
कायस्थ पाठशाला चुनाव : डॉ सुशिल सिन्हा बनाम डा विवेक, जानिये कौन है व्यवहारिक, किसका है पलड़ा भारी?
अतुल श्रीवास्तव/कायस्थ खबर डेस्क I कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट के चुनाव में के नामांकन की अंतिम तिथि नजदीक आने के साथ ही चुनावी तस्वीर अब साफ़ होती नजर आने लगी है I आखरी दिन के आते आते अधिकतर संभावित पत्याशी अपना नामांकन करा चुके है जिनमे से कुछ पूर्व अध्यक्ष और कुछ कई बार किस्मत आजमा चुके लोग है Iऐसे में कुछ प्रत्याशी तो हर तरह से जुट गए है हालात ये है की एक प्रत्याशी के यहाँ पति और पत्नी दोनों ही अपना नामांकन करा चुके है I ऐसे में कायस्थ खबर ने प्रत्याशियों की स्थिति , विजन को लेकर एक पड़ताल शुरू की है I जिससे ये पता चल सके की पाठशाला के अध्यक्ष के रूप में कौन प्रत्याशी क्या सोचते है Iकायस्थ खबर ने डॉक्टर सुशील सिन्हा जी से फ़ोन पर पूछा तो उन्होने विस्तृत रूप से अपनी योजनाओ को बताया उन्होने कहा यदि वो अध्यक्ष बनते है तो सर्व प्रथम ट्रस्ट मे चाहेगे हर कायस्थ की सहभागिता हो इसके लिए मेंबर शिप को कमसे कम रखा जाए I साथ ही उनकी प्राथमिकता चुने जाने के कुछ ही दिनों के बाद एक डिस्पेंसरी खुलवाने की होगी जिसमे सभी न्यासधारियों एवं कायस्थों का इलाज हो सके और उसमे उनको छूट मिलेबाहर के न्यास धारियों एवं समाज के लिए सबसे पहले जहा जहा केपी ट्रस्ट की जमीन आदि है वहाभगवान् चित्रगुप्त के मंदिर का निर्माण हो या मूर्तिया लगे Iचुनाव में उनको लेकर कुछ प्रत्याशियों द्वारा लगाये गए आरोपों पर उन्होने किसी भी प्रत्याशी के खिलाफ कुछ भी कहने से इंकार कर दिया और कहा सभी लोग अच्छे है और सभी से व्यक्तिगत संबंध है इसलिए वो व्यक्तिगत कुछ नहीं कहेंगे I ट्रस्ट के इतिहास पर चर्चा करते हुए कहा कि उनका प्रयास होगा देश के अन्य हिस्सों मे भी ट्रस्ट को और अधिक दान मिले जिससे ट्रस्ट को और अधिक मजबूती प्रदान कर सके Iइसके बाद कायस्थ खबर ने दुसरे प्रत्याशी डॉ विवेक भी को फोन पर उनके विजन और इस विषय मे जानने के लिए फोन किया तो पहले तो उन्होने फोन पर कुछ भी बताने से इंकार कर दिया और प्रतिनिधि उनके घर भेजने को कहा फिर व्यस्तता का बहाना बना कर फ़ोन रख दिया Iऐसे में कायस्थ खबर का आज के दोनों प्रत्याशियों में डा विवेक के मुकाबले डा सुशील सिन्हा ज्यदा व्यवहारिक लगे I समाज के लोगो से मिलने या बात करने में किसी प्रकार की हिचक ना दिखाते हुए जिस तरह से उन्होंने बात की उससे भी एक बात साफ़ हुई की अगर ये अध्यक्ष बनते भी है तो कम से कम कायस्थ उनसे बात तो कर सकेंगे वहीं डा विवेक इसके उलट बात करने से ही बचते दिखे, जब अभी से उनका ये हाल है तो अगर दैवीय चमत्कारवश वो अध्यक्ष बन गये तो समाज में किसी से मिलने की बात तो छोडिये , फोन तक नहीं उठायेंगे Iकायस्थ खबर ऐसे दोनों के मध्य सही चुनाव न्यासधारियों के उपर ही छोड़ता है, साथ ही सबसे यही अपील करता है कि हम अपने वोट की कीमत पहचाने क्योकि इलेक्शन 5 साल मे होगा और कही आपका निर्णय गलत हो गया तो पूरे 5 साल हाथ मलेगे I कायस्थ खबर अध्यक्ष और कार्यकारणी पद हर प्रत्याशी से उसका विजन और व्यवहार की जानकारी आपके सामने आने वाले दिनों में सबके सामने रखता रहेगा