कायस्थ खबर पर आयी खबर "बड़ा सवाल : कायस्थ पाठशाला में क्या अब कांग्रेस, बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच होगी टक्कर ?" को लेकर कमेन्ट के अक्षरा नंदन के नाम से ये जानकारी दी गयी, इसको हम छाप रहे है I इस खबर के रेफरेंस में जो भी लोग अपने अपने पक्ष लिखना चाहते है वो हमें ५०० शब्दों में भेज सकते है उनको भड़ास में स्थान दिया जाएगा
Akshara Nandan
इस बार चुनाव एक आश्चर्यजनक नतीजा दे सकता है। जितेंद्र नाथ का पूर्व अध्यक्ष को एक गंदी राजनीति के तहत चुनाव से बाहर रखने का प्रयास उनको भारी पड़ना निश्चित है। हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार नई प्रबंध समिति तब तक चार्ज नहीं लेगी जब तक रजिस्टरार अपना निर्णय नए वोटर लिस्ट पर ना दे दे। और ये भी सब जानते है की २००० वोटर बनाना और पूर्व अध्यक्ष का निष्कासन बिना कोई प्रक्रिया अपनाए किया गया है। और दोनो बातें अपने आप में चुनाव निरस्त होने के लिए पर्याप्त है। अगर चुनाव होता है तो उसका निरस्त होना तय है। पिछली बार की तरह अगर ट्रायब्यूनल ३ महीने में इलेक्शन पटिशन तय नहीं करेगा तो अब जितेंद्र सिंह द्वारा सप्रीम कोर्ट में उन्ही के द्वारा दाख़िल पटिशन में क़रीब ५०० नयसधरियो ने दस्तखत कर चुनाव को निरस्त कराने का निर्णय लिया है और चुनाव बायकाट करना का भी, ऐसी चर्चा चल रही है। अब इस तानाशाही के ख़िलाफ़ एक बड़ा मोर्चा खुल गया है। और जहाँ तक डॉक्टर के पी श्रीवास्तव का सवाल है समाज क्या ये नहीं समझता की अगर वो सबको आश्वासन देकर ये सोच रहे है की उनके चुनाव में सबका वोट मिलेगा तो शायद वो ग़लत हो सकते है। हो सकता है उन्हें अपने चुनाव में भी आश्वासन ही मिले वोट नहीं।