आशु भटनागर I हर साल ११ जनवरी आती है तो हम सब प्रतीकातमक तोर पर लाल बहादुर शास्त्री जी तो याद करते है लेकिन नयी पीड़ी को शास्त्री जी के बारे में बताने में शायद ही कभी सोचते है I भारत के चमकदार चेहरों के पीछे अक्सर ये इमानदार और बहदुस्र प्रधानमन्त्री का वयाक्तित्व छोटा पढ़ जाता है या फिर यूँ कहूँ की कांग्रेस सरकारों ने गांधी परिवार की छाया में कोई और सामने ना सके इसलिए उनको पीछे ही कर दिया हैलेकिन फिर भी हर साल कम से कम आज के दिन लोग शास्त्री जी के महान व्यक्तित्व को जरुर याद करते है I देश के सबसे इमानदार और निडर प्रधान मंत्री की ऐसी कहानी जो उनकी मौत के दिन ही सुनी जाती है , भारत मे शास्त्री जी जैसा सिर्फ एक मात्र प्रधानमंत्री हुआ ! जिसने अपना पूरा जीवन आम आदमी की तरह व्तीत किया ! और पूरी ईमानदारी से देश के लिए अपना फर्ज अदा किया !!
जिसने जय जवान और जय किसान का नारा दिया
क्यूंकि उनका मानना था देश के लिए अनाज पैदा करने वाला किसान और सीमा कि रक्षा करने वाला जवान बहुत दोनों देश ले लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है !!स्वदेशी की राह पर उन्होने देश को आगे बढ़ाया ! जब तक वे प्रधानमंत्री रहे एक भी विदेशी कंपनी को देश मे घुसने नहीं दिया ! उनका कहना था एक ईस्ट इंडिया कंपनी के कारण भारत को 250 साल की गुलामी जेहलनी पड़ी थी ! जिसके किए कितने क्रांतिकारियों ने फांसी खाई ! दुबारा विदेशी कंपनियो को बुलाकर देश की आजादी के साथ कोई समझोता नहीं किया जा सकता !शास्त्री जी को अपने अपना आदर्श मानने वाले दिल्ली के मनोज श्रीवास्तव कैलाश वाले कहते है १९६५ में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया, हालात ये हो गये कि दो घंटे युद्ध और चलता ! तो भारत की सेना ने लाहोर तक कब्जा कर लिया होता !! लेकिन तभी पाकिस्तान को लगा कि जिस रफ्तार से भारत की सेना आगे बढ़ रही हमारा तो पूरा अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा !पाकिस्तान ने अमेरिका से कहा कि वो किसी तरह से युद्ध रुकवा दे !! अमेरिका जानता था कि शास्त्री जी इतनी जल्दी नहीं मानने वाले !! क्यूँ कि वो पहले भी दो -तीन बार भारत को धमका चुका था !!अमेरिका ने भारत को धमकी दी कि हम भारत को गेहूं देना बंद कर देंगे ! तो शास्त्री जी ने कहा हाँ कर दो ! फिर कुछ दिन बाद अमेरिका का ब्यान आया कि अगर भारत को हमने गेंहू देना बंद कर दिया ! तो भारत के लोग भूखे मर जाएँगे !!
शास्त्री जी ने कहा हम बिना गेंहू के भूखे मारे या बहुत अधिक खा के मरे ! तुम्हें क्या तकलीफ है !???
हमे भूखे मारना पसंद होगा बेशर्ते तुम्हारे देश का सड़ा हुआ गेंहू खाके !! एक तो हम पैसे भी पूरे दे ऊपर से सड़ा हुआ गेहूं खाये ! नहीं चाहीये तुम्हारा गेंहू !
फिर शास्त्री ने दिल्ली मे एक रामलीला मैदान मे लाखो लोगो से निवेदन किया कि एक तरफ पाकिस्तान से युद्ध चल रहा है ! ऐसे हालातो मे देश को पैसे कि बहुत जरूरत पड़ती है ! सब लोग अपने फालतू खर्चे बंद करे ! ताकि वो domestic saving से देश के काम आए ! या आप सीधे सेना के लिए दान दे ! और हर व्यति सप्ताह से एक दिन सोमवार का वर्त जरूर रखे !!तो शास्त्री जी के कहने पर देश के लाखो लोगो ने सोमवार को व्रत रखना शुरू कर दिया ! हुआ ये कि हमारे देश मे ही गेहु बढ्ने लगा ! और शास्त्री जी भी खुद सोमवार का व्रत रखा रखते थे !!अंत मे शास्त्री जी युद्ध के बाद समझोता करने ताशकंद गए ! और फिर जिंदा कभी वापिस नहीं लौट पाये !! पूरे देश को बताया गया की उनकी मृत्यु हो गई ! जब कि उनकी ह्त्या कि गई थी !!ऐसा प्रधानमंत्री भारत को शायद ही कभी मिले ! अंत मे जब उनकी paas book चेक की गई तो सिर्फ 365 रुपए 35 पैसे थे उनके बैंक आकौंट मे ! !
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