सम्पादकीय : २०१९ की राजनीती की बिसात पर गायब कायस्थ समाज, जानिये क्या करे कायस्थ समाज
२०१९ की चुनावी बिसात बिछ चुकी है I हमेहा की तरह कायस्थ समाज के सोशल मीडिया वीर और सामाजिक संगठनों के स्वयंभू नेता अपने अपने संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का दावा करते हुए नजर आने लगे है I सभी पार्टियों से कायस्थों को टिकट देने पर ही वोट देने की अपील्स का दौर भी आने वाला है और उसके बाद टिकट ना मिलने पर कुछ दिनों तक राष्ट्रीय पार्टियों का विरोध करने का दौर भी चलेगा
लेकिन इन सब से अलग ये कायस्थ मंथन का दौर है I आखिर हम उत्तर भारत में ऐसे कितने नेताओं को जानते हैं जिनको वाकई कोई राजनैतिक दल अगर टिकट दे तो वो जीत सकते है या आज के महंगे चुनाव में होने वाले खर्चो को बर्दाश्त कर सकते है
कायस्थ खबर ने लगातार इसको लेकर उत्तर भारत में अपनी खोज जारी रक्खी है लेकिन बीते ५ साल से लगातार होते राजनैतिक बदलाब और जाग्रति के बाबजूद कायस्थ समाज से अभी तक काबिल राजनेता दिखाई देने शुरू नहीं हुए है I बीते ५ साल में कुछ निर्दलीय चुनाव तक ना लढ़ पाने वाले लोगो ने अपने राजनैतिक दल बनाकर कायस्थ समाज का भावुक शोषण भी जरुर किया है और समाज को गलत सपने दिखा कर समाज का नुक्सान ही किया है
हमको उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनावों में इसका एक उदहारण भी देखा था जब बस्ती में एक निर्दलीय गुमनाम प्रत्याशी ने बीजेपी में उस समय राज्य सभा सांसद आर के सिन्हा पर जानलेवा हमला करवा दिया था बाद में कायस्थ समाज के नाम पर वोट मांगने का दावा करने वाले इस शख्स को १००० वोट भी नहीं मिले थे
ऐसे में अब लोक सभा चुनावों में कायस्थ समाज आखिर किन को अपना नेता माने ये एक बड़ा सवाल बन चूका है , क्या वाकई कायस्थों के राजनैतिक दलों का दावा करने वालो के जाल में फिर से फंसने का समय है का राष्ट्रीय दलों में अपना स्थान बनाये लोगो को उन दलों में मजबूत करने की रणनीति पर विचार किया जाए ताकि लोकसभा चुनाव जीतने पर अपने समाज की बातें आगामी ५ सालो में कही जा सके इसका फैला कायस्थ समाज को ही करना होगा