प्रियंका वाड्रा द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी के अपमान पर अभाकाम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुबोध कान्त सहाय की चुप, एक टिकट के काग्रेसी नेता के इस तरह मुह छिपाने वाले को कायस्थ समाज नहीं मानता नेता
कायस्थ खबर डेस्क I होली पर बनारस में कांग्रेस की राजन्कुमारी प्रियंका वाड्रा द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री स्व लाल बहादुर शास्त्री जी के अपमान पर खुद को अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बताने वाले कांग्रेसी नेता सुबोध कान्त सहाय की चुप्पी पर भी कायस्थ समाज का आक्रोश फुट पड़ा है
कायस्थ समाज के लोग सुबोध कान्त सहाय की इस चुप्पी को उनकी राग दरबारी संस्कृति बता रहे है I तो कई रांची से उनके चुनाव लड़ने की इच्छा के चलते कायस्थ महापुरुष के सम्मान को बेच दने तक की बात कही जा रही है I लोगो का ये भी कहना है की समाज ने कभी भी सुबोध कान्त सहाय को अपना राष्ट्रीय नेता माना ही नहीं है I
बता दें की सुबोध कान्त सहाय पर पहले भी कायस्थ समाज उनके सामाजिक नेता होने पर सवाल उठाता रहा है उनके कायस्थ समाज को मुसलमानों , दलितों से सम्बन्ध को लेकर KADAM का भी जबब्र्दस्त हुआ था I
ऐसे में प्रियंका वाड्रा के अपमान पर फिर हुई चुप्पी पर कायस्थ समाज ने अखिल भारतीय कायस्थ महासभा को ही अपना संगठन मानने से मन कर दिया है I कायस्थ वृन्द की मुख्य समंवायिका डा ज्योति श्रीवास्तव कहती है बरसो से ये महासभा विवाद में है और इस समय ४ से ५ लोग खुद को इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष कहते है इस विवादित स्थति में भी मात्र २ साल पहले सुबोध कान्त सहाय का इसका अध्यक्ष बन्ने की जल्दबाजी पर उन्हें हैरानी हुई थी और आज उनकी चुप्पी उनके समाज से जुड़ाव को बता देती है
कायस्थ खबर के प्रबंध सम्पादक आशु भटनागर के अनुसार सुबोध कान्त सहाय कभी कायस्थ समाज के नेता रहे ही नहीं है वो कभी भी उत्तर भारत के कायस्थों की आवाज़ नहीं रहे है उनका मुख्य जोर रांची तक ही है और मुख्य उद्देश्य कांग्रेस में नेतागिरी है I हालाँकि टिकट की चाह में वो ज़रूर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हने का दावा करते रहे है लेकिन सामाजिक प्रष्ट भूमि में उनको कोई नहीं मानता है
प्रयागराज से जादूगर अभय निरखि पहले ही प्रियंका वाड्रा द्वारा शास्त्री जी के अपमान पर ना बोलने वाले कांग्रेसी नेताओं के लिए शर्म करने को कह चुके है I ऐसे में प्रियंका वाड्रा के सामने घुटने टेके सुबोध कान्त सहाय क्या अपमान पर चुप रहकर टिकट पा जायेंगे या फिर भी टिकट नहीं पायेंगे