लखनऊ में कायस्थ राजनीती पर बलदाऊ जी श्रीवास्तव ने सौरभ श्रीवास्तव को लिखा खुला पत्र
बेटा सौरभ
मुझे आश्चर्य है कि हमारे नेता सुरेश जी के साथ रहकर भी राजनीति के तीखे प्रहार से आहत नही हो ।यह देखो कि लोकसभा सीट लखनऊ तुम्हारी यानी कायस्थ की होनी चाहिए।कायस्थ कभी देश द्रोही नही हो सकता, सर्जिकल हमला होना तुम्हे राष्ट्रभक्ति लगता है और संबिधान निर्माता का नाम अम्बेडकर होना भी रातरभक्ति की निशानी है, भू0पू0प्रधानमंत्री के रेल्वे स्टेशन का नाम दीनदयाल रखना भी राष्ट्रभक्ति है, पूरे उ0प्र0,उत्तरांचल से एक भी कायस्थ को भजपा के टिकट के लायक समझना भी राष्ट्रभक्ति है और 39 दलों से समझौता करने के बाद भी दूसरे गठबंधन को महामिलावटी महागठबंधन कर बदनाम करना देशभक्ति है। 5 बार mla रहे mallb यानी well qualified, बुद्धजीवी को मंत्रिपरिषद में शामिल न करना पर कांग्रेस से आए एक बार चुनाव जीतने पर कैबिनेट मंत्री बनाना देशभक्ति है।
जातिवाद की मजबूरी में 3 मुख्यमंत्री देना राष्ट्रभक्ति है।
हम जातिवाद सोचे तो राष्ट्र द्रोह
वे जातिवाद करे तो राष्ट्रभक्ति
तो ठीक है, हम अपने कर्म के साछि है
कभी, शासन में हम ही हम थे क्यो की तब जातिवाद नहीं, बुद्धवाद था
कभी प्रशासन में हमी थे क्यो कि बुद्धिवाद था, रिजर्वरेशन बे हिसाब नही था
हम तो राष्ट्रवाद सोचते करते
शासन , प्रशासन से शून्यता पर चले गए।
अब भी नही चेते तो अगली जनरेशन कभी माफ नही करेगी
मै गलत। कहा हुगा तो सठियाना समझ लेना ।
जय चित्रगुप्त
बलदाऊ श्रीवास्तव
पत्र में दिए विचारों से कायस्थ खबर का सहमत होना आव्ध्यक नहीं है