
अयोध्या में बिखरे सामाजिक तानेबाने की भयावह तस्वीर : दो महीने से घर में मां और बहन के शव के साथ रह रही थी बेटी, कायस्थ संगठनो को अधिकार की लड़ाई से मतलब
अतुल श्रीवास्तव/ कायस्थ खबर डेस्क I कायस्थ समाज में एकाकी जीवन , स्वार्थी संगठनो और एकाधिकार की कहानी एक बार फिर सामने आयी है I नौकरी में होने तक सरकारी अधिकारियों को शिरोमणि और कायस्थ रत्न देने वाले उनके जाने के बाद उनके परिवारो की बाद में कैसे सुध नहीं लेते उसकी ये पूरी कहानी है I दसियों सालो तक संस्थाओं पर कब्जे की लड़ाई लड़ने वालो को अयोध्या पूर्व में फैजाबाद के पूर्व SDM एसडीएम विजेंद्र श्रीवास्तव के जाने के बाद उनके परिवार से कभी कोई मतलब नहीं रहा ।विजेंद्र श्रीवास्तव की वर्ष 1990 में मौत हो गई थी। मामला अयोध्या नगर कोतवाली क्षेत्र के देवकाली चौकी स्थित आदर्श नगर कॉलोनी का है। पड़ोसियों ने बताया कि इस घर में रहने वाली मां और उनकी दो बेटियां मानसिक रूप से बीमार थीं। इस वजह से कोई भी इस परिवार से बातचीत नहीं करता था। पिछले डेढ़ महीने से घर से बदबू आ रही थी। जिसकी शिकायत लगातार पुलिस से की जा रही थी। गुरुवार को तेज बदबू आने के बाद फिर से पुलिस को सूचना दी गई। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस घर का दरवाजा तोड़ा तो मां और बेटी के कंकाल पड़े थे। जबकि दीपा दूसरे कमरे में सो रही थी।विजेंद्र श्रीवास्तव की वर्ष 1990 में मौत हो गई थी। उसके बाद उनकी पत्नी और तीन बेटियां इस घर में रह रही थीं। एक बेटी रुपाली जो मानसिक रूप से स्वस्थ थी उसकी मौत पहले ही हो चुकी थी। पत्नी पुष्पा श्रीवास्तव अपनी दो बेटियां विभा और बेटी दीपा श्रीवास्तव के साथ यहां रह रही थीं। इन तीनों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। करीब दो महीने पहले पुष्पा और उसकी एक बेटी विभा की मौत हो गई। तभी से दीपा दोनों के शव के साथ रह रही थी। गुरुवार को घर से तेज बदबू आने की शिकायत पुलिस को मिली थी। जिसके बाद पहुंची पुलिस ने घर से दो कंकाल और एक युवती दीपा को घर से बाहर निकाला। दीपा को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है।अब ऐसे में फैजाबाद के कायस्थ संगठनो को इस पर कोई शर्म होगी या नहीं ये भगवान् चित्रगुप्त ही बता सकते है क्योंकि उनके मंदिर के नाम पर वही पर बहुत लोगो ने चंदे की मुहीम चलाई पर वहीं कही एक घर में मानसिक बीमार महिलाओं की सुध किसी ने नहीं ली I सामाजिक चिन्तक अम्बुज सक्सेना के अनुसार कायस्थ समाज में डिप्रेशन और मेंटली retarted लोगो की संख्या ज्यदा है क्योंकि समाजिक स्टेटस के चलते शादी देर से होना या ना होना और फिर सामाजिक संगठनो का सिर्फ मतलब के समय ही लोगो को पूछना लोगो को एकाकी जीवन जीने पर मजबूर कर देता है I
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