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जानिये श्री राम जन्मभूमि पर फैसला देने वाले ५ जजों में से एक कायस्थ जज अशोक भूषण के बारे में

कायस्थ खबर डेस्क I अयोध्या मामले में आए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से कायस्थ समाज भी जुड़ा है। मामले की सुनवाई करने वाले उच्चतम न्यायालय के पांच जजों की पीठ में शामिल जस्टिस अशोक भूषण  कायस्थ समाज के रत्न है  आपको बता दें जस्टिस अशोक भूषण मूल रूप से मड़ियाहूं कस्बे के निवासी हैं। उनकी ससुराल शहर के काली कुत्ती परमानतपुर में है। काफी दिनों तक उनका परिवार परमानतपुर में ही रहा था। जस्टिस अशोक भूषण के पिता चंद्रमा प्रसाद श्रीवास्तव इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता थे। पांच जुलाई 1956 को जन्मे न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने 1979 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू कर दी I  न्यायमूर्ति अशोक भूषण की शादी शहर के कालीकुत्ती परमानतपुर निवासी एवं सिविल कोर्ट के अधिवक्ता राधेमोहन श्रीवास्तव के परिवार में हुई। इनके ससुर राधे मोहन श्रीवास्तव भी अधिवक्ता थे और सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे। न्यायमूर्ति अशोक भूषण  इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कई अहम पदों पर काम भी कर चुके हैं। 2001 में वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही जज नियुक्त कर दिए गए। वर्ष 2014 में जस्टिस अशोक भूषण केरल हाईकोर्ट के जज बने। वर्ष 2015 में वह केरल हाईकोर्ट के ही चीफ जस्टिस बना दिए गए। 13 मई 2016 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बना दिए गए, उसके बाद से कई महत्‍वपूर्ण फैसले में शामिल रहे। आपको बता दें  जस्टिस अशोक भूषण भाग्य से अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा बने थे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठतम जजों ने पीठ में शामिल होने से इन्कार कर दिया था। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर संविधान पीठ का हिस्सा तब बने थे जब जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस यूयू ललित ने मामले की राजनीतिक संवेदनशीलता के मद्देनजर इसका हिस्सा बनने से इन्कार कर दिया था। जस्टिस भूषण के बड़े फैसलों पर गौर करें तो इनमें इच्छामृत्यु का अधिकार, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों पर दिया फैसला शामिल है. वह आधार कानून की संवैधानिकता परखने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में भी रहे. अयोध्या पर इस्माइल फारूकी केस में मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा न मानने वाली टिप्पणी पर दाखिल पुनर्विचार की मांग को खारिज करने का फैसला भी उन्होंने दिया था

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