साथियों नमस्कार, पोस्ट लंबी है लेकिन समाजहित में पढियेगा जरूर और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा।
लखनऊ लोकसभा सीट से श्रीमती पूनम सिन्हा जी प्रत्याशी हैं। उत्तर प्रदेश लखनऊ, प्रयागराज, बरेली और गोरखपुर जैसे और कई लोकसभा क्षेत्र हैं जहाँ से बिना कायस्थ समाज के समर्थन के कोई जीत नहीं सकता। परन्तु एक तय साजिस के तहत हम कायस्थ समाज को टिकट न देकर हमें राजनैतिक रूप से पूरी तरह मैदान से हटाने का काम कर रहे हैं तमाम राजनैतिक दल। हमें इस विषय पर भी मंथन करना उतना ही आवश्यक है, जितना कि हम अपने भविष्य को लेकर करते हैं। बिना राजनीति में मजबूत हुए हमारी कहीं कोई नहीं सुनने वाला। संसद से ही नीतियों का निर्माण होता है और आप संसद में जब रहेंगें ही नहीं तो आपकी कौन सोचेगा, सब अपने अपने लोंगो का फायदा देखेंगे आपको कौन पूछेगा ?
देखे विडियो : कायस्थ समाज के नताओ सहित लखनऊ में पूनम सिन्हा पहुंची भगवान चित्रगुप्त मंदिर
कुछ अंधभक्त सूरदास लगातार पूनम सिन्हा के पक्ष में की जा रही अपील पर तमाम अमर्यादित टिप्पणी कर रहे हैं। उनसे मैं पूछना चाह रहा हूँ कि अगर एक पूनम सिन्हा जी लखनऊ से जीत गईं तो मोदी जी की सरकार बनने में कौन सी आफत आ रही है। फिर ये भी सोचिये अगर मोदी जी की सरकार नहीं बनी, और पूनम सिंह जी लखनऊ हार गईं तो अंधभक्त सुरदासों तुम्हारे पास क्या बचेगा। कुछ लोग बोलते हैं कि पूनम सिन्हा जी सपा से लड़ रहीं हैं और सपा देशद्रोही पार्टी है इसलिए पूनम सिन्हा को समर्थन नहीं करेंगे, भाई सोचने की बात है कि सपा क्या है क्या नहीं ये बहस का विषय नहीं है, सोचने की बात है कि राजनीति में विलुप्त किये जा रहे कायस्थ समाज को फिर से राजनीति में सशक्त करना जरूरी है, और किस तरह से होगा, हमें दलगत भावनाओं से हटकर अवसर का लाभ लेते हुए पूनम सिन्हा जी को संसद भेजना ही होगा।
कुछ इस बात का तर्क देते हैं कि शत्रुघ्न सिन्हा गद्दार हैं, और पूनम सिन्हा उनकी पत्नी हैं इसलिए हम समर्थन नहीं देंगे, उन्हें मैं बताना चाहूंगा कि शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा से कभी गद्दारी नहीं की अटल जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भाजपा को मजबूत किया पटना को लगातार जीत कर भाजपा को दिया। अटल जी की सरकार में मंत्री रहे। फिर भाजपा ने वर्तमान सरकार में उन्हें उपेक्षित करने का साहस कैसे किया। यही नहीं पटना से उनका टिकट काटकर यह भी जता दिया कि अटल जी के साथ संघर्ष करने वालों की अब उसे कोई जरूरत नहीं। गद्दारी शत्रुघ्न सिन्हा जी ने नहीं बल्कि भाजपा ने की है उनके साथ।
कुछ मूर्ख कहते हैं कि पूनम सिन्हा जी कायस्थ नही हैं सिंधी हैं, इसलिए उन्हें हम समर्थन नहीं करेंगे। मैं उनको बताना चाहूँगा कि स्त्री की कोई जात नहीं होती, न ही उनका कोई धर्म होता है। तभी हिन्दू धर्म मे होने वाला जनेऊ, और उपनयन संस्कार सिर्फ पुरुष का होता है, स्त्री का नहीं, इस्लाम मे खतना सिर्फ पुरुष का होता है, ईसाई धर्म में वपतसीमा सिर्फ पुरुष का होता है। स्त्री जिस जाति, धर्म में विवाह के उपरांत जाती है वह उसी जाति और धर्म को अंगीकार कर लेती है।
लखनऊ में कायस्थ समाज के सभी संगठन खुलकर पूनम सिन्हा का साथ दे रहे हैं और इस अवसर का लाभ समाज को मिले इसलिए एकजुट हो रहें हैं। आप सभी से भी अपील है कि समाजहित में, समाज को राजनीति में पुनः मजबूत बनाने के लिए बिना किसी के बहकावे में आये पूनम सिन्हा की जीत सुनिश्चित करने के लिए समर्थन करना ही होगा।
अरविन्द श्रीवास्तव
कायस्थ मतदाता मंच
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आशु भटनागर
प्रबंध सम्पादक
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