कायस्थ पाठशाला के आने वाले चुनाव के लिए जहां अभी तक चौधरी राघवेंद्र सिंह और डा सुशील सिन्हा के बीच उम्मीदवार होने की दावेदारी चल रही थी। वही देश में महिलाओं को 33% आरक्षण की माहोल में महिला प्रत्याशी रतन श्रीवास्तव ने अपना दावा ठोक कर इस लड़ाई को एक नई दिशा दे दी है ।
इलाहाबाद उत्तरी से विधानसभा चुनाव लड़ चुकी श्रीमती रतन श्रीवास्तव ने रविवार को अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ अध्यक्ष पद चुनाव सन 2023 का नामांकन कर दिया । नामांकन के बाद मीडिया से बातचीत में रतन श्रीवास्तव ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जी से की प्रेरणा से उन्होंने पाठशाला चुनाव लड़ने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ परिवारवाद है तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की
आम कार्यकर्ता को अवसर देने की नीति एवं और पूरा
कायस्थ समाज
है ।
उन्होंने प्रयाग राज के कायस्थ समाज के सम्मानित मतदाता के ऊपर पूरा विश्वास जताते हुए कहा कि जिस प्रकार कायस्थ समाज भारतीय जनता पार्टी की नीति पर चलकर परिवारवाद चुनाव में विरोध करता है ठीक उसी प्रकार से कायस्थ पाठशाला कि चुनाव में ही परिवारवाद का विरोध करते हुए मुझे विजयी बनाएंगे।
तीन प्रत्याशियों से चुनाव हुआ रोचक
अभी तक दो प्रत्याशियों के होने के बीच तीसरी महिला प्रत्याशी के आगमन से सत्ता में रहे चौधरी परिवार के लिए समीकरण संतुलित होते दिखाई दे रहे हैं । माना जा रहा है इस बार चुनाव में विपक्ष के सभी प्रत्याशियों का एकजुट होकर डॉक्टर सुशील सिन्हा का समर्थन करने से चौधरी परिवार कमजोर दिखाई दे रहा था किंतु अब एक बार पुनः विपक्ष की ओर से दो प्रत्याशी होने से मुकाबला जहां त्रिकोणीय हो गया है वहीं बाकी दोनों प्रत्याशियों के लिए महिला वोटो को रोक के रखना भी चुनौती बन सकता है । वहीं विपक्ष की ओर से बने प्रत्याशी डॉक्टर सुशील सिंह के समर्थकों में उसे नकारात्मक तौर पर भी देखा जा रहा है
ऐसे में आने वाले दिनों में क्या चौधरी परिवार को हराने के लिए बाकी दो प्रत्याशियों में कोई समझौता होगा? क्या उनमें से कोई एक अपना नामांकन वापस लेगा या फिर इस बार अध्यक्ष पद के चुनाव में एक नया इतिहास लिखा जाएगा ये आने वाले समय के साथ पता चलेगा