कायस्थ खबर का पोल कल १० मार्च की रात को पूरा हुआ उम्मीद से ज्यदा लोगो ने एक बार फिर से इसमें भाग लिया I हालांकि इस बार हमने फिल्टर्स बढ़ाए थे क्योंकि हम अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचना चाहते थे इसमें महत्वपूर्ण बात ये रही की लोग इन फिल्टर्स के चलते लोगो को बता कर इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित कर सके I
कायस्थ खबर का इन सर्वेक्षण को कराने के हमारे दो प्रमुख उद्देश्य है
१) लोगो में कायस्थ राजनीती के लिए लगाव पैदा करना
2) अपने दिल की बात को वोट के ज़रिये रिजल्ट में बदलने की आदत डालना
और इन दोनों ही प्रक्रिया में कायस्थ खबर कुछ हद तक सफल होता दिख भी रहा है I लोग चाहे तो सर्वे को पसंद करें , नापसंद करें , आलोचना करें या तारीफ करें मगर इतना तय है की वो अपने कीमती समय में से कुछ समय इस पर ज़रूर सोच रहे है I
बहराल अब इसके रिजल्ट पर आते है उम्मीद के मुताबिक़ इन पोल में
सर्वाधिक ३४% लोगो लखनऊ से संचालित और कायस्थ समाज की पार्टी के रूप में जाने जानी वाली राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी को मिले है और पहली पसंद के साथ वही इस पोल की विजेता भी है
दुसरे नम्बर पर भी
२३% वोटो के साथ आगरा से संचालित और कायस्थ समाज की पार्टी के रूप में जाने जानी वाली भारतीय कार्यस्थ सेना रही I इसके बाद नम्बर आता है अब तक कायस्थों के परम्परागत पार्टी के तोर पर स्वीकार्य रही भारतीय जनता पार्टी का जिसे १८% लोगो ने पसंद किया
१५ % लोग ऐसे भी थे जिन्होंने कहा की वो पार्टी को नहीं बल्कि कायस्थ उम्मीदवार को वोट करेंगे चाहे वो जिस भी पार्टी में हो I हालांकि सबसे ज्यदा आश्चर्यजनक फेरबदल रहा बसपा का I
५% कायस्थों ने बहुजन समाज पार्टी को अपनी पसंद बनाया है
वही
सपा 2% वोटो के साथ भले ही कायस्थ समाज का ध्यान आकर्षित कर रही हो लेकिन
कांग्रेस और
AAP १% के साथ अपनी साख बचाने में सफल नहीं रही I महत्व पूर्ण ये भी है की
2% लोगो ने "नोटा यानी इनमे से किसी को भी नहीं " को भी अपनी पसंद माना है
तो आखिर इसके मायने क्या है ?
तो आखिर इन परिणामो से तस्वीर क्या बनती है ? यही महत्वपूर्ण सवाल है जो सबके जहन में है I इस सर्वे से 4 बातें साफ़ हुई है
१) ये भ्रम टुटा है की कायस्थ भाजपा के समर्पित वोटर्स हैं और सब उसी को वोट करेंगे I १००% से १५ % में सिमटना इस बात का सूचक है की भाजापा का कर्मठ कायस्थ वोटर्स कम से कम यूपी में बहुत कम हुआ है , जातिगत समीकरणों के खेल में भाजपा द्वारा कायस्थों की लगातार उपेक्षा ने कायस्थों को अन्य पार्टियों की तरफ रुख करने को मजबूर कर दिया है
2) कायस्थों की अपनी पार्टी कही जाने वाली पार्टियों राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी और भारतीय कार्यस्थ सेना ने संगठन के तोर पर अपनी उपस्थिति बेहद मजबूत की है और कायस्थ समाज इनमे अपनी दिशा और दशा को नयी उम्मीद से देख रहा है इनका साथ साथ चुनाव में उतरना परिणामो को पलट सकता है हालांकि आमने सामने में ये सबसे ज्यदा नुकसान एक दुसरे को ही पहुंचाएंगे
3) यूपी की राजनीती में सपा , कांग्रेस कायस्थों के लगातार उपेक्षा का परिणाम स्वरूप कायस्थों के दिल में ना के बराबर ही है लेकिन बसपा को अपेक्षाकृत ५% वोट मिलना ये दर्शाता है की अगर बसपा कायस्थों को ज्यदा टिकट दे तो ये वोट उसकी तरफ जा सकता है
4) सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर जिसको कायस्थ खबर ने बहुत ध्यान से देखा है वो है पार्टी छोड़ सिर्फ और सिर्फ कायस्थ उम्मीद्वार चाहे वो किसी भी पार्टी से हो को वोट करने वाले लोगो की संख्या , जी हाँ १५% कायस्थ वोटर वो है जिसे आप फ्लोटिंग वोटर या स्विंग वोटर कह सकते है I जो किसी भी चुनाव की स्थिति को बदल सकते है I ये १५% अगर बसपा को मिलते हैं तो उसके साथ २०% वोटो का प्रतिशत बन जाता है , यही अगर भाजपा, राष्ट्रव्यापी जनता पार्टी और भारतीय कार्यस्थ सेना को मिल जाते है तो उनकी जीतने की संभावनाए दुगनी हो जाती है
अब आखिर में यही इस पोल का सारांश है कि २०१७ के यूपी चुनावों में किसी भी पार्टी की समर्पित वोटर की जगह इस बार कायस्थ समाज सभी पार्टियों से खुली सौदेबाजी के पक्ष में आ गया है और यूपी चुनाव में इनका गणित एक बड़ा फैक्टर साबित होगा I क्योंकि यूपी के 2 करोड कायस्थ वोटर्स लगभग ३५ सीटो पर हार जीत का फैसला करते है और करीव १५ सीटो पर जीतने वाली पार्टी का खेल भी बिगाड़ रहे है I इसलिए सभी प्रमुख पार्टियों को कायस्थ समाज को नजरअंदाज करना उनके जीत के सपने को पूरा करने में घातक हो सकता है
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