संजीव सिन्हा ने लिखा है कविता जी आपने इसी बयान बाजी के लिए मुझे रोका था। धीरेंद्र जी और उनके गुट की बयानबाजी फिर शुरु हो गयी है। मेरे पास पूरी प्रेस नोट तैयार है, कविता जी अरविंद जी के अनुरोध और समाज हित में रूका हू। मैने सवाल उठाने शुरु किये तो फिर सब समाप्त हो जायेगा। इसे धमकी नहीं चेतावनी समझा जायेगा। ट्रस्ट के संबंध कोई चरचा हुयी और रमन सिन्हा के संबध मे बयानबाजी हुयी या फिर मेरे परिवार के बारे मे किसी ने नाम भी लिया तो फिर निश्चित रूप से वो कार्यवाही करूंगा कि बयानवीर याद रखेंगेकायस्थ खबर के वो प्रेस नोट को जारी करने के सवाल पर उन्होंने कहा की
परसो सबने मिलकर एक महिला को जिस तरह घेरा था, वो समाज के नेता कहलाने का दम भरने वाले लोगों के स्तर को प्रदर्शित करता है। आशू जी अभी मै कविता जी के कहने पर चुप हूँ, इसलिए अभी प्रेस रिलीज रोका हुआ है।अब इस सब में एक बात और साफ़ हुई है की समाज के सामने आये इस विवाद में अभी परदे के पीछे कोई सब कुछ मैनेज करने का काम कर रहा है , आखिर कविता जी ने क्यूँ प्रेस नोट को रुकवाया है ? इसके क्या निहितार्थ है ये सब एक विचारणीय प्रशन है ? आखिर ऐसा क्या है जो संजीव सिन्हा छुपा रहे है और जिसके कहने भर से सब समाप्त हो जाएगा ? क्या ये समाज हित के नाम पर व्यक्तिगत लड़ाई सामने आ रही है