आलोचना से तिलमिलाए राष्ट्रीय संयोजक लाबी का कायस्थ खबर पर हल्ला बोल,कायस्थ समाज ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
कायस्थ खबर द्वारा संगत पंगत की रिपोर्टिंग के दौरान हुई घटनाओ की सही तस्वीर पेश किये जाने और वहां हुई अव्यवस्थाओ के लिए राष्ट्रीय संयोजक की ज़िम्मेदारी कहे जाने से तिलमिलाए संयोजक की टीम ने उनके इशारे पर कायस्थ खबर पर ही हल्ला बोल दिया ।
विरोध करते हुई उक्त टीम के सदस्यों ने भस्मासुर और सिरफिरे पत्रकार जैसे विश्लेषणों का इस्तमाल किया , जिसकी सभी ने निदा की है ।
वही घर बैठे आँखो देखे हाल देखने का दावा करने वाले एक शक्श ने तो चापलूसी की सारी सीमाये तोड़ दीं ।
राष्ट्रीय संयोजक की शान में कसीदे पड़ते हुए जहाँ उन्होंने मंच संचालन को ही सर्वश्रेष्ठ बता दिया । वही 300 लोगो की संख्या को भी हज़ारो लोगो की भीड़ बता दिया ।
हताशा का स्तर ये रहा की लेखक महोदय देहरादून के कार्यक्रम के लाइव टेलीकास्ट होने का दावा तक कर गए ।
बहराल सिर्फ एक लाबी विशेष के आलावा बाकी सभी लोगो ने कायस्थ खबर को उसकी निस्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए आभार प्रकट किया है ।
नाम ना छापने की शर्ट पर संगत पंगत से जुड़े एक सदस्य ने कायस्थ खबर ने इस सब के लिए कायस्थ खबर को बधाई दी। उन्होंने लाबिंग और गुटबाज़ी के चलते लोगो को राष्ट्रीय संयोजक द्वारा खुद फ़ोन करके मना करने को उनका निंदनीय कार्य बताया । उन्होंने आगे कहा राष्ट्रीय संयोजक की ऐसी ही हरकतों से दिल से कायस्थ समाज के लिए कार्य करने वाले लोग संगत पंगत से दूर हो रहे है ।
गाज़ियाबाद की रहने वाली समाज सेवी कविता सक्सेना इस प्रकरण पर खुल कर सामने आई और उन्होंने कायस्थ खबर को बधाई देते हुए लिखा
आशू भटनागर की रिपोर्टिंग से सही तथ्य सामने आए संगत पंगत के। धन्यवाद आशू । लेकिन आशु कार्यक्रम में ३०० लोगों से जायदा लोग पहुँच ने की सूचना थी और कार्यक्रम की अधिकांश सीटें खाली थी। यह तो गये हुए लोगों की गलती थी जिन्होंने कार्यक्रम ना ज्वाईन करके घूमने में समय व्यर्थ किया । यह बहुत शर्मनाक बात है। बिना बुलाए लोग नहीं जा सकते क्योंकि हर इंसान की अपनी इज्जत होती है। रही लिस्ट में कटे हुए नाम भी पहुंचे वो तो उनके अपने लोग हैं जिन्होंने वो चाहेंगे उनका नाम प्रधानमंत्री भी काट दे तो भी वो लोग पहुंचेंगे ही । धन्यवाद
ऐसे में कायस्थ खबर ने कायस्थ समाज में एक नयी बहस छेड़ दी है की क्या संगत पंगत से जुड़ने के लिए लोगो को राष्ट्रीय संयोजक की गलतियों को भी अनदेखा करना होगा ।
या संगत पंगत अव राष्ट्रीय संयोजक की संस्था बन कर रह गया है ।