फिर हाई कोर्ट में नहीं लिस्ट हुआ केस अखिल भारतीय कायस्थ महासभा का केस , अगली तारीख 3 जुलाई २०१७ I क्या अखिल भारतीय कायस्थ महासभा कानूनी दांव पेच , अधिकार और षड्यंत्र का एक ऐसा किस्सा बन कर रह जायेगी जिस पर बरसो बाद कोई देवकी नंदन खत्री एक नयी “चन्द्रकाँता सन्तति ” भी लिख दे तो कोई आश्चर्य नहीं
कायस्थ खबर डेस्क I कानूनी दांव पेंच ने एक बार फिर कायस्थ समाज को झटका दिया है I कायस्थ खबर को मिली जानकारी के मुताबिक़ एक बार फिर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के असली होने को लेकर दायर किया हाई कोर्ट में नहीं लिस्ट हो पाया है , इसकी अगली तारीख अगले साल 3 जुलाई २०१७ रख दी गयी है I जिसके कारण कोई भी गुट अब २०१७ के मध्य तक अखिल भारतीय कायस्थ मह्सभा को लेकर अपना पूर्ण हक़ का दावा नहीं कर सकता है I
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हाई कोर्ट की वेबसाइट पर नहीं है अपडेटेड डेटा
कायस्थ खबर ने जब इसके जजमेंट को लेकर हाईकोर्ट की वेबसाइट को चेक किया तो उस पर भी अंतिम डेटा १९ अप्रैल का मिला I ऐसे में सवाल ये है की क्या कोई भी पक्ष इसको लेकर गंभीर नहीं है और सभी का हित इसको यथा स्थिति बनाए रखने में है I क्योंकि फैसले की सूरत में चुनाव होंगे और सभी विवादित लोगो को अपने पद छोड़ने पड़ेंगे
अब क्या होगा आगे ?
ऐसे में विशेषज्ञों की राय के मुताबिक़ अखिल भारतीय कायस्थ मह्सभा को अब कायस्थ समाज के हित में भूल जाना ही बेह्टर है क्योंकि विवास्पद होने के कारण इसकी बैधता हमेशा संदेहास्पद रहेगी I इसके चुनावों और पदाधिकारियों पर हमेशा सवाल खड़े होते रहेंगे और इसके कार्यो को लेकर भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिए जा सकेंगे
ऐसे में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा कानूनी दांव पेच , अधिकार और षड्यंत्र का एक ऐसा किस्सा बन कर रह जायेगी जिस पर बरसो बाद कोई देवकी नंदन खत्री एक नयी "चन्द्रकाँता सन्तति " भी लिख दे तो कोई आश्चर्य नहीं I
क्या करेगा कायस्थ समाज ?
कायस्थ समाज में इसे लेकर बिभिन्न तरह की प्रतिक्रिया आ रही है I कायस्थ वृन्द के मुख्य समन्यवयक ने इस पर संतुलित टिप्पड़ी देते हुए कहा है की आज के बदलते दौर में किसी एक संगठन की महत्ता को कायम रख पाना मुश्किल है ऐसे में अगर १०-२०० कायस्थ संगठनो में से कोई एक आंतरिक विवादों और षड्यंत्रों के चलते महत्वहीन हो भी जाता है तो कायस्थ समाज को कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ेगा I आज के दौर में सामूहिक नेतृत्व की जिस अवधारना की बातें कायस्थ वृन्द कर रहा है उसी से कायस्थ समाज का विकास संभव है I
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एक अन्य कायस्थ चिन्तक ने अपनी बात रखते हुए कहा कायस्थ वृन्द की ही तर्ज पर बिना कोई संगठन बनाए लोगो को एक प्लेटफार्म पर लाने वाले संगत पंगत पर भी ऐसे में लोगो की निगाहें जाने लगी है I अब लोगो को कोई फर्क नहीं पढ़ रहा है की कौन सा गुट, क्या संगठन ?
वहीं युवाओं की भी चिंता इस सब को लेकर "टेक चिल पिल " जैसी ही है I ऐसे ही एक युवा ने एस पर अपनी राय रखते हुए कहा की आज के दौर में इन सग्थानो से युवाओं को कोई फर्क नहीं पड़ता I युवाओं ने आज ३० हजार से ४० हजार लोगो को जोड़ने वाले ऐसे ग्रुप बना लिए है जो इस विवास्पद संगठनो से ज्यदा प्रभाव शाली है और ज्यदा तेजी से काम करते है