कायस्थ खबर डेस्क I कायस्थ खबर पहले भी कायस्थ समाज को संस्थाओं के नाम पर होने वाली हेरफेर से अवगत करता रहा है अब इसी क्रम में काफी समय से विवादित रही अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के पारिया गुट के घोटालो की आहट एक बार फिर से सुनाई देनी शुरू हो गयी है I यु तो पारिया गुट पिछले काफी समय से विवादित रहा है लेकिन हमेशा अपने विरोधियो पर पैसे के गबन के आरोप लगाने वालो के हाथ भी अब खुद उसी खेल में रंग नजर आते जा रहे है I फैजाबाद में गरीब कायस्थ को ५०००० रूपए देने की हवाई घोषणा जैसे विवाद , बड़ोदा बैठक में सविता एस एस लाल के अपमान , आयोजक पति द्वारा अपनी ही पत्नी को गेस्ट आफ आनर देने पर इस्तीफे का का विवाद और एक पद एक संगठन के विवाद के बाद ये लगातार विवादों के बाद अब घोटालो की संस्था साबित होने जा रही है
क्या पारिया गुट खेल रहा है सदस्यता शुल्क केनाम पर घोटाले का खेल ?
कायस्थ खबर को मिली जानकारी के अनुसार पारिया गुट दिल्ली में अपनी पहली राष्ट्रीय बैठक २७ नबम्बर को राजेन्द्र भवन में कर रहा है I जिसमे एजेंडे के तोर पर शामिल होने वाले लोगो को २ डाक्यूमेंट भेजे गए है I जिसमे चंदे और सदस्यता शुल्क के बारे में हमेशा ही साफ़ मना करने वाले पारिया गुट ने पहली बार अपने पदाधिकारियों से पिछले कुछ समय में बनाए गए सदस्यों से सदस्यता शुल्क की जानकारी मांगी है I
पहली बार इस कान्फिडेंशियल डाक्यूमेंट में सदस्यता शुल्क के तोर पर २५१ से ३१००० तक की राशियाँ लिखी गयी है ऐसे में संदेह ये होता है की आखिर इस सब से कही पारिया गुट कायस्थ समाज के लोगो लाखो रूपए तो नहीं ले चुका है , सदस्यता शुल्क लेना गलत नहीं है लेकिन जब मामला अदालत में हो और कोर्ट ने सिर्फ सिर्फ यथा स्थिति रखने का आदेश दिया हो तो ऐसे में सदस्यता शुल्क लेना किसी बड़े घोटाले का संकेत देता है I क्योंकि यथा स्थिति के केस में अगर दोनों ही विवादित पक्ष अगर पैसे लेकर सदस्य बना रहे है तो किसी भी एकपक्ष के पास फैसला होने की दशा में दुसरे पक्ष में पैसे दे कर बने सदस्य अवैध हो जायेंगे I सूत्रों की माने तो पारिया गुट इसी खेल को जानभुझ कर कल रहा है ताकि उसके विरुद्ध फैसला आने पर ऐसे लोगो को भड़का कर अभाकाम में विवाद को जनम दिया जा सके गौरतलब है की इलाहाबाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील पहले भी कायस्थ खबर को एकविशेष बातचीत में बता चुके हैं की कोर्ट में केस लगते ही पारिया गुट का पक्ष कमज़ोर साबित होगा I ऐसे में ३१००० रूपए जैसे बड़े अमाउंट लेना क्या पैसे के घोटाले के संकेत नहीं है I
लाखो/करोरो में हो सकता है ये घोटाला
जानकारों की माने तो इतने बड़े समाज में अगर इन्होने ऐसे १००० भी लोग बना लिए होंगे ओत अगर औसत राशि ११००० भी माने तो ये रकम लाखो /करोरो में हो सकती है I ऐसे में विधिक तोर पर विवाद में पक्ष कार रहे लोग अगर कोर्ट का फैसला आने से पूर्व ही ऐसा कर रहे है तो इसकी जांच भी होनी चाह्यी और समाज को इसका जबाब भी माँगना चाहए I
पहले भी कायस्थ समाज ऐसे ही कभी मंदिर के नाम पर , कभी टीवी सीरियल के नाम पर पैसा दे चूका है और अब ये दुबारा से नया खेल किसी बड़े घोटाले के संकेत तो नहीं
पारिया गुट पर पहले भी लगे है पैसे देकर पद देने के आरोप
कायस्थ समाज को याद होगा की पारिया गुट पर पहले भी पैसे देकर पद देने का आरोप लग चुके है लगभग १.५ साल पहले पटना में कायस्थ महाकुम्भ सम्मलेन के दौरान पहुंचे जयपुर के ललित सक्सेना ने ABKM पारिया गुट पर पैसे लेकर पद देने का आरोप लगाया था I ये आरोप इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाते है क्योंकि उसी सम्मलेन में कायस्थ विकास परिषद् से हटाये गए एक विवादित नेता पंकज भैया को भी पारिया गुट ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसा पद देने की घोषणा की थी , लेकिन उसके बाद वो बस घोषणा ही रह गयी I पंकज ने उसके बाद अपनी अलग संस्था कायस्थ वाहनी बना ली I लेकिन मूल सवाल तब शायद दबा दिया गया की कहीं पैसे के विवाद के कारण ही तो पंकज घोषित होने के बाद भी अलग तो नहीं हुए I हालांकि पंकज उसके बाद कभी इस पर सामने आने को तैयार नहीं हुए की घोषणा के बाद शामिल ना होने उनकी रणनीति थी या पैसे ना दे पाने के बाद की स्थिति I
फैसला आने तक किसी भी गुट का सदस्यता शुल्क लेना कानूनन अवैध है, ना दे किसी को भी चंदा - मनीष श्रीवास्तव
कायस्थ खबर ने जब इस बारे में ऐ के श्रीवास्तव गुट के मनीष श्रीवास्तव से बात की तो उन्होंने बताया की अखिल भारतीय कायस्थ महासभा में इतनी राशि का कोई सदस्यता शुल्क नहीं है और जब कोर्ट ने यथास्थिति "status quo" का निर्देश दिया हुआ है ऐसे में ऐसी कोई भी बात गैरकानूनी है और कोर्ट की अवमानना भी I
उन्होंने सदस्यता शुल्क के नाम पैदा देने वाले सदस्यों को भी ऐसे किसी भी प्रपंच से सचेत रहने को कहा है I मनीष ने अपनी बात रखते हुए कहा लोगो को समझना होगा की जब कानूनी तोर पर अभी कुछ साफ़ ही नहीं है तो लोग इसके सदस्य या पदाधिकारी कैसे बन सकते है और ऐसे में वो अपने पैसे बस बर्बाद ही कर रहे है
जालसाजी के माहिर रहे है कुछ लोग
मनीष श्रीवास्तव ने आरोप लगाते हुए कहा की २०१४ में जब अखिल भारतीय कायस्थ महासभा से निकाले गए लोगो ने राजनैतिक दल के साथ मिल कर SDM कोर्ट के जरिये उनकी उपस्थिति दिखाई तभी से वो इस प्रपंच के खिलाफ हुए है I गौरतलब है की विवाद के पक्षकारो में एक यही पेंच ऐसा है जो मनीष की बात को सत्यापित करता है , मनीष के अनुसार उनकी जानकारी के बिना उनका पैन कार्ड यूज किया गया और नाम मनीष चन्द्र श्रीवास्तव लिख दिया गया I आखिर SDM कोर्ट ने किस आदेश के आधार पर सुनवाई करी , ऐसे में इस जालसाजी का अंत भी कोर्ट के फैसले के बाद ही होगा I उन्होंने सवाल उठाया की जिन लोगो को महासभा से निकाल दिया गया वो कैसे नयी समानन्तर समीति बना सकते है और अब पैसे ले सकते है
खोले गए है प्रांतीय इकाइयों के भी बैंक अकाउंट
मजे दार बात ये भी है की २ अलग तरह के भेजे इन डाक्यूमेंटस में ये अपने लोकल पदाधिकारियों से उनके बैंक अकाउंट की जानकारी भी माग रहे है जिसका मतलब है की सदस्य बनाने के समय ही उनसे लोकल शाखा में बैंक अकाउंट खोलने को कहा जाता होगा ताकि सदस्यता या अन्य शुल्क के नाम पर अवैध उगाही चल सके I
क्या दिल्ली की बैठक में शामिल होने डा आशीष पारिया ?
कायस्थ खबर को मिली जानकारी के अनुसार पारिया गुट की होने वाली इस बैठक में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष डा आशीष पारिया के भी शामिल होने की संभावना कम ही है I डा आशीष पारिया पिछले काफी समय से ही कार्यक्रमों में जाने से बचते रहे है और उनके स्थान पर महामंत्री ही कार्यक्रमों में जाते रहे है I ये सवाल इसलिए भी महत्त्व पूर्ण है की कहीं डा आशीष पारिया भी राष्ट्रीय महामंत्री के साथ किसी मज़बूरी में तो नहीं है I
नहीं होता है किसी भी गुट का कोई ऑडिट
कायस्थ खबर को मिली जानकारी के अनुसार पारिया गुट ने पिछले २ सालो से अभी तक कोई वार्षिक ऑडिट अपनी वेबसाइट पर भी नहीं डाला है जिससे उसके पिछले २ सालो में हुए कार्यक्रमों के खाचे और पदाधिकारियों के आने जाने के खर्चो पर कोई सवाल भी कर सके I पारिया गुट से ही जुड़े एक पदाधिकारी ने नाम ना छपने की शर्त पर कहा की पारिया गुट अब एक रैकेट की तरह काम कर रहा है और इसमें चंद लोगो ने ही अपनी मनमानी चला रख्खी है I लखनऊ कार्यक्रम में भी कहाँ से पैसे आया , कहाँ गया प्रदेश सदस्यों को ही नहीं पता है
पैसे के इस बड़े खेल में ही इतने सालो से अखिल भारतीय कायस्थ मह्सभा को विभाजित रखा है I अभाकाम से जुड़े एक सक्रीय कार्यकर्ता ने कायस्थ खबर को बताया की दरअसल ये चुनावों के समय राजनैतिक दलों से जातीय संगठन के नाम पर मिलने वाली सुविधाओं का खेल है इसी लिए काम काजी आदमी ऐसे संगठनों से इसीलिए दुरी बना कर रखता है I
ऐसे में बड़ा सवाल ये भाई है की क्या पारिया गुट द्वारा अखिल भारतीय कायस्थ महासभा में क्या पहले की भाँती किसी नए घोटाले को जनम दिया जा रहा है ?
क्या फिर से कायस्थ समाज के लोगो से सदस्यता के नाम पर कानूनी रूप से विधिक तोर पर रोक लगी होने के बाबजूद ऐसी घटनाएं गलत नहीं है ?
क्या हमें सच में ऐसे ही संगठन को अपना सिरमोर बनाना होगा या फिर किसी नए निर्बाध , निर्विवादित संगठन , विचारधारा को आगे लाना होगा , जहाँ चंदे और सदस्यता शुल्क की जगह आत्मीयता हो , सेवा की भावना हो , गरीबो की मदद हो , पदों का लालच ना हो ताकि कायस्थ समाज के भी अच्छे दिन आ सके , इसका फैसला कायस्थ समाज को ही करना होगा I
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