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सर्वानंद सर्वज्ञानी की कलम से……….. दान का हंगामा

वर्तमान में एक ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही है. एक व्यक्ति अपने वेतन का 40% हिस्सा कायस्थ समाज कल्याण में खर्च करना चाहता है. सर्वज्ञानी जी को मालुम हुआ कि कई कटोरेबाज आनन-फानन में अपने-अपने कटोरे ठठेरा के पास पॉलिश करवाने के लिए भेजने लगे हैं. कुछ तो पुराने कटोरा लेकर ही दौड़ पड़े हैं.
एक अल्पज्ञानी चेला से न रहा गया तो पूछ ही डाला - सर्वज्ञानी जी ये कटोरेबाज कौन लोग हैं? हद हो गया. तुम इतने मूढ़ हो, आज पता चला. अगर यही हाल रहा तो तुम्हें मैं अपने गुरुकुल से आउट कर दूंगा. बेचारा दर कर हाँथ जोड़ दिया. तरस खाकर मैंने उसे समझाया –कटोरेबाज लोग समाज हितार्थ दान दुसरे के अकाउंट में दिलवाते हैं और अपने पास रिकॉर्ड रखते हैं कि उनके माध्यम से किसे कितना सहायता दिलवाया गया. है न पुण्य का काम? “हिंग लगे न फिटकिरी रंग चोखा आय.”
अब खबर यह मिल रही है कि बेचारे दानी महाराज की सपने और नींद दोनों, कटोरे की आवाज से हराम हो गई है. उन्होंने इअर प्लग के सैंकड़ों सेट का आर्डर भेज दिया है एवं अपने चलंत यंत्र को साइलेंट मोड़ में डाल दिया है.
इसी बीच एक टल्ली महाराज ने एक फतवा सुना दिया है कि सभी दान मेरे नाम से बांटे जाएँ. अन्यथा .................... उन्होंने अपने शागिर्दों को उस दानदाता पर नजर रखने के लिए कह दिया है. साथ ही कुछ फकीरों को उस दानी महाराज के पास भेजने की भी जुगत भीड़ा दी है. पता चला है कि किसी दुर्गम अज्ञात जगह पर फकीरों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है और बताया जा रहा है कि कैसे और कितना मांगना है?
देर-सवेर जब कुछ और लोगों को खबर मिली तो कुछ लोग आईना खरीदने दूकान पर पहुंचे जहाँ सर्वज्ञानी जी पहले से ही विद्यमान थे. लोग इतने व्याकुल दिखे कि बिना दाम पूछे सौ-पचास की आर्डर देने लगे. दुकानदार बेचारा अचरज से कभी ग्राहक को तो कभी कर्मचारी को निर्देश देने में व्यस्त हो गया. माल पैक कर दाम हाँथ में लिया इसके बाद अपने ग्राहकों से पूछा –भाई इतनी संख्या में आईना क्या करेंगे? दुकानदार हो या पाजामा? इतना भी नहीं समझते कि आईना शक्ल देखने की काम आती है? लेकिन इस बार “दुसरे को आईना दिखाना है इस लिए ज्यादा खरीदारी करनी पड़ रही है”. सुनते ही सर्वज्ञानी जी ने हांक लगाई. अरे भाई, थोडा ठहरो एक बड़ा आईना मेरे तरफ से भी लेते जाओ. सारे आईने तो दुसरे को दिखाओगे लेकिन यह आईना अपने खुद के लिए काम आयेंगे. अंत में खबर मिली कि दानी महाराज ने एक महर्षि नियुक्त कर दी है और ऐलान कर दिया है कि दान की इच्छा रखनेवाले महर्षि महाराज से संपर्क कर अपना आवेदन प्रस्तुत करें. सर्वज्ञानी जी ख़ुशी के मारे ताली बजाने में तल्लीन हो गए हैं. अब उन्हें भी फुर्सत नहीं. कटोरेबाज सकते में हैं. -सर्वानन्द सर्वज्ञानी.

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2 comments

  1. We are every naman to chitrigupt jee. Jai chitragupt mahsraj kee jsi

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