दुनिया वालों अपने घर में चाहे हम जितना विवाद करें पर अपने परिवार के किसी भी सदस्य के सम्मान पर आँच भी आए, ये बर्दाश्त नहीं करते – डा ज्योति श्रीवास्तव
साथियों, जब भी हम एकता की बातें करते हैं सर्वथा निराशाजनक स्थिति ही दृष्टिगत होती है। हम स्वत:अपनी हास्यास्पद तस्वीर दुनिया के सामने प्रस्तुत करते हैं। परिणामत: बिखरे समाज पर प्रहार किसी के लिए भी बहुत सरल हो जाता है।
जबअपने घर में द्वंद्व छिड़ता है, दूसरे लाभ लेते ही हैं। समाज के शीर्षस्थ ही केंद्रबिंदु बनते हैं।आज भी कुछ ऐसा ही अनुभव हो रहा है।
डॉ आशीष पारिया जी पर लगाए गए निराधार आरोप निश्चित रूप से विक्षिप्त मानसिकता का परिचायक एवं निकृष्ट सोच का प्रतीक है। इस विषय पर मैं श्री ए के श्रीवास्तव जी, श्री धीरेन्द्र श्रीवास्तव जी,श्री एम बी बी सिन्हा जी, श्री ललित सक्सेना जी के वक्तव्यों का स्वागत और समर्थन करती हूँ और ऐसे षडयन्त्रपूर्ण घृणित कार्य की निंदा करती हूँ। मैं अपने सभी साथियों के साथ डॉ आशीष पारिया जी के साथ हूँ।
चित्रगुप्त वंशजों से अपील है..जागो!उठो!!
अब अवसर है समाज के लिए अपने दायित्व निर्वाह का...
ऊर्जावान हो, बुद्धिमान हो, आरोप प्रत्यारोप बहुत हुए। अपने ही भाई-बंधु से कैसी प्रतिस्पर्धा??
आओ एक हो जाएँ जिससे कोई हमारे परिवार पर आघात न कर सके।
ये भी सत्य है..... दुनिया वालों अपने घर में चाहे हम जितना विवाद करें पर अपने परिवार के किसी भी सदस्य के सम्मान पर आँच भी आए, ये बर्दाश्त नहीं करते।
जय श्री चित्रगुप्त भगवान!
जय चित्रांश!!
डॉ ज्योति श्रीवास्तवा,
देहरादून