दीपावली की शुभकामनाये !!! उम्मीदों की रौशनी में कायस्थ समाज
सम्पादकीय I आज दीपावली है यानी दीपो का पर्व , ऐसा पर्व जिसके साथ भगवान् राम के अयोध्या वापस लौटें की कहानी है, हनुमान जयंती का प्रसंग है , ऐसा महापर्व जिसके साथ लक्ष्मीपूजन का महत्व जुडा हुआ है , ऐसा महापर्व जिसके साथ गोवर्धन का महत्व है , ऐसा महापर्व जिसके जरिये भगवान् चित्रगुप्त की पूजा का महत्व जुडा हुआ है I
इतने सारे पर्वो की अहमियत जब जुड़ जाती है तो ऐसे महापर्व पर कोई समाज क्यूँ ना इठलाये , और फिर समाज ही क्यूँ उस समाज और संस्कृति को दिशा देने वाला कायस्थ समाज उस पर क्यूँ ना इठलाये I आखिर कायस्थ समाज ही तो सदियों से सर्व समाज को दिशा और नेतृत्व देने का काम करता रहा है
कुछ भी बात हो देश आज भी सबसे पहले कायस्थ समाज की तरफ ही देखता है, ऐसे में कायस्थ समाज की ये ज़िम्मेदारी भी बनती है की वो खुद आगे बढ़ कर सम्पूर्ण समाज को दिशा दे I उसके लिए ये भी ज़रूरी है की समाज पहले खुद में भी पर्याप्त आत्मविश्वाश भरे I
याद रखये हम उन भगवान् चित्रगुप्त की संताने हैं जो स्वयं सम्पूर्ण प्राणियों के अंतर्मन में बैठे उनके कर्मो का हिसाब किताब रखते है , हम उन स्वामी विवेकानंद के वंशज है जो ज्ञान से सारे विश्व को प्रकाशित करते है और हमारे धर्म को विश्व में ना सिर्फ स्थापित करते है वरन उसका सम्मान भी पुनर्स्थापित करते है
ऐसे में माता लक्ष्मी की कृपा भी सबसे पहले हम तक ही आती है और क्योंकि सम्पूर्ण मनुष्य जाती के अंतर्मन की बातें भी तो माँ लक्ष्मी भगवान् चित्रगुप्त के जरिये ही जानती है इसलिए माँ लक्ष्मी के इस महापर्व के बाद आने वाली कलम दवात पूजन को भी हम उतना ही भव्य बनाए I
कलम दवात पूजन सिर्फ कायस्थों का ही त्यौहार नहीं है बल्कि हर उस व्यक्ति का त्यौहार है जो ज्ञानार्जन हेतु कलम को थामता है , जिसकी आजीव्किका ज्ञान से है I इसलिए कलम दवात पूजन में ज्यदा से ज्यदा लोगो को शामिल कीजिये हो सके तो सर्व समाज के लोगो को शामिल कीजिए, उन्हें मुख्य अतिथि , विशिष्ठ अतिथी और सम्मानित कीजिये I फिर देखिये कैसे अगले साल तक कलम दवात पूजन आपके घरो के से निकल कर सर्व समाज के घरो तक पहुँच जाएगा I
पुन: दीपावली के महापर्व की शुभकामनाओं के साथ ...
आशु भटनागर