अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए। जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए। जिसकी ख़ुशबू से महक जाय पड़ोसी का भी घर फूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए। आग बहती है यहाँ गंगा में झेलम में भी कोई बतलाए कहाँ जाके नहाया जाए। प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिए हर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए। मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए। जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे मेरा आँसु तेरी पलकों से उठाया जाए। गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रूबाई है दुखी ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बुलाया जाए।कार्यक्रम में डा महेश शर्मा के प्रतिनिधि के रूप में संजय बाली और विधायक विमला बाथम भी उपस्थित रहे I कार्यक्रम के आयोजन टीम के प्रमुख राजन श्रीवास्तव ने समस्त नॉएडा वासियों को भारी संख्या में आने के लिए धन्यवाद दिया और उम्मीद करी की वो उनके समाज और साहित्य के कामो में ऐसे ही साथ देते रहेंगे I इस अवसर पर श्री चित्रगुप्त सभा ट्रस्ट के संजीव माथुर , मनोज श्रीवास्तव , अनुरंजन श्रीवास्तव, विवेक श्रीवास्तव , श्री नारायण सनस्क्री न्यास की सुमित्रा , ॐ विश्रांति चैरिटेबल सोसायटी की ज्योति सक्सेना , कायस्थ खबर के आशु भटनागर, लायंस क्लब नॉएडा के आर के गुप्ता , एक के साहनी , एक के मित्तल , पी के गुप्ता एवं योगेन्द्र शर्मा जैसे कई जाने पहचाने लोग शामिल रहे
नॉएडा में भव्य कवि सम्मलेन – ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बुलाया जाए ने बाँधा समां
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर श्री चित्रगुप्त सभा ट्रस्ट और श्री नारायण चेतना न्यास की संयुक्त तत्वाधान में एक भव्य कवि सम्मलेन का आयोजन किया गया I जिसमे पदम् विभूषण कवि गोपाल दास नीरज के सानिध्य में देश के जाने माने कवियों ने अपनी रचनाये प्रस्तुत की जिनमे डा कुंवर बैचेन , बाबा कानपुरी , बाल स्वरूप राही , राजवीर सिंह क्रांतिकारी , उर्मिला श्रीवास्तव , बलराम श्रीवास्तव , कीर्ति माथुर प्रमुख थे I गजेन्द्र सोलंकी और करुणेश शर्मा ने इस कार्यक्रम को अपने अनूठे अंदाज में कार्यक्रम के सूत्रधार की भूमिका निभाई
सबसे पहले शुरुआत कीर्ति माथुर ने कविता चरणों को तेरे माँ गंगा पुकारती है से की, इसके बाद डा कुंवर बैचेन सांस का हर सुमन है वतन तेरे लिए सुनाया I बाद में बहुप्रतीक्षित गोपाल दास नीरज ने जब अपनी कविताओं के द्वारा समा बाँधा शुरू किया तो लोग तालियाँ ही बजाते रहे