समाज सेवा करते-करते अगर व्यक्ति के दिल में अहंकार आ जाए तो बना बनाया साम्राज्य कैसे बिखर जाता है, इसका उदाहरण कायस्थ पाठशाला और प्रयागराज में कायस्थों के ही एक अन्य समाजसेवी संगठन वंशज सभा में हो रही उथल-पुथल से आप समझ सकते हैं ।
प्रयागराज के सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इसी वंशज सभा के कार्यक्रम में ऋतुराज को अध्यक्ष बनने को लेकर भाजपा विधायक के डॉक्टर के पी श्रीवास्तव ने अपने अहम में वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजवादी नेता टीपी सिंह का अपमान कर दिया था । उनके साथ में आए एक अन्य नेता ने तब कायस्थ पाठशाला के तत्कालीन प्रवक्ता के साथ धक्का मुक्की तक कर दी थी । अब इस वंशज सभा के 2 अक्टूबर को होने वाले वार्षिक शास्त्री जयंती के कार्यक्रम पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं ।

जानकारों की माने तो दरअसल डॉक्टर केपी और सुशील सिन्हा का इस पाठशाला के वर्तमान अध्यक्ष सुशील सिन्हा अपने पसंद के जिस व्यक्ति को वंशज सभा के उसे कार्यक्रम में अध्यक्ष बनने के लिए अड़ गए थे आज उसी के चलते वह अकेले पड़े दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि टीपी सिंह तब कुमार नारायण को वंशज सभा का अध्यक्ष बनाने की बात कह रहे थे । डॉक्टर सुशील सिन्हा पर दाव लगाने के चलते डॉक्टर केपी श्रीवास्तव तब टीपी सिंह से वाद विवाद में इतना उलझे कि वह विवाद अब बढ़ाते बढ़ाते कैश पाठशाला के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक आ गया ।
लोगों का दावा है कि उस कार्यक्रम के दौरान चर्चा के बहस में बदल जाने पर डॉक्टर के पी श्रीवास्तव ने टीपी सिंह को लगभग चुनौती देते हुए यह कह दिया था कि जो हो सकता है उखाड़ लो अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहते हो तो लाकर देख लो और उसी के बाद डॉक्टर सुशील सिन्हा के साथ लगकर खड़े टीपी सिंह और कुमार नारायण के रास्ते इतने अलग हुए कि वह धुर विरोधी चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह कैंप से जाकर मिल गए और आज कायस्थ पाठशाला में अविश्वास प्रस्ताव की तलवार डॉ सुशील सिंह के सर पर लटक रही है। प्रयागराज कायस्थ समाज के एक वरिष्ठ चिंतक ने कहा कि डॉक्टर सुशील सिंह डॉक्टर केपी श्रीवास्तव की दोस्ती और सहानुभूति की बड़ी कीमत चुकाने जा रहे हैं।
इसलिए इन दिनों प्रयागराज में कायस्थ दबी जवान में कह रहे हैं कि भाजपा विधायक ने बुजुर्ग हो चुके अधिवक्ता और समाजवादी नेता टीपी सिंह से जोश जोश में पंगा तो ले लिया किंतु यह पंगा उन्हें लगातार नुकसान दे रहा है। देखा जाए तो डॉक्टर केपी श्रीवास्तव इस बात को समझ भी गए थे इसलिए उस घटनाक्रम के कुछ दिन बाद उन्होंने लिखित तौर पर खेद प्रकट करते हुए माफी भी मांग ली थी और मामले को खत्म करने की बात कही थी ।
किंतु मुंह से निकली हुई बात और कमान से निकला हुआ तीर कहीं ना कहीं जाकर निशाना लगाता ही है और उसके परिणाम भी होते हैं तो अब प्रयागराज में क्या वाकई 2 अक्टूबर को वंशज सभा अपना कार्यक्रम इस आन बान शान से कर पाएगी या फिर किसी तरीके से जैसे तैसे अपना कार्यक्रम करके अपनी लाज बचा पाएगी यह देखेंगे हम कायस्थ ।