हम 400 साल तक राम मंदिर के लिए क्यो लड़े थे.. कि हम हिंदू है इसलिए मंदिर बनना चाहिए… भारत में लाखो मंदिर है फिर भी अयोध्या के लिए लड़े क्यो क्यो….. अगर अयोध्या के लिए नहीं लड़ते तब क्या भूखे मर जाते या तरक्की नहीं होती है….. हम केवल अपनी अस्मिता को बचाने के लिए, अपने गौरव को बचाने के लिए, अपने अस्तित्व को बचाने के लिए…… लड़े थे और 400 सालो तक लड़े थे… क्या राम मंदिर.. गरीबी दूर करने के लिए लिया लड़ा गया था… क्या मंदिर बनने से पूरे भारत की या किसी समुदाय विशेष की गरीबी दूर हो सकती है… कभी नहीं……
सब काम गरीबी दूर करने के लिए नहीं होते हैं…..कुछ काम अपने अस्तित्व को बचाने के लिए अपने गौरव को बचाने के लिए अपनी सभ्यता और संस्कृति संस्कार को बचाने के लिए भी लड़े जाते हैं और राम मंदिर भी उसी की एक कड़ी थी
सबसे पहले अपनी गरीबी अपनी अस्मिता अपना अस्तित्व है… इसलिए kaystho जागो अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जागो… अपना अस्तित्व बचाना भी देश भक्ति से कम नहीं है
यदि आप सच में कायस्थ है तो आप महाराणा प्रताप से कुछ सीखिए। उन्होंने घास की रोटी खा ली थी लेकिन अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं किया था। ?
जो ये कहते हैं कि पैसे से मान सम्मान मिलता है… पैसा तो वैश्या भी कमा लेती है लेकिन उसको कोई मान सम्मान नहीं मिलता समाज में
लोग ये दलील दी रहे हैं कि अनारक्षित वर्ग के लोग 4 या 6 नंबर से नौकरी से चूक जाते हैं। obc होंगे तो मिल जाएगी।
ये नहीं सोचते कि अगली बार मेहनत करके वो 6 नंबर ले आये।
अपनी पहचान गंवा कर आरक्षण की भीख लेने को तैयार हो गए।
जिन्हे इस बात का लालच है कि obc होने के बाद आसानी हो जायेगी तो जान लो जल्द ही एक और नीति लागू होने वाली है, OBC वाला सिर्फ obc आरक्षित सीट के लिए हकदार होगा चाहे उसका जितना no हो, सवर्ण सवर्ण आरक्षित सीट में ही जितनी सीट जिसके लिए आरक्षित होंगी उसी वर्ग का ही होगा और obc में है 119 जातियां न घर के रहोगे न घाट के….horizontal reservation भी लागू है
इतनी ही चिंता है सरकार को तो ews का कोटा बढ़ा दे ना। और आप भी कहिए न सरकार को। अपनी पहचान की कीमत पर ये भीख क्यों??? जिसको भी यहां पूछो वो कहता है कि ये मेरे लिए नहीं लेकिन बाकी गरीब कायस्थों के लिए है।
मेरा सवाल है कि आखिर कौन है?
आज तुम आरक्षण लेने के लिए पिछड़ा वर्ग बनने को तैयार हो कल को अगर ईसाई या मुसलमान बनने पर आरक्षण देगा तो तुमको धर्म परिवर्तन करते देर नहीं लगेगी।
अगर आपको हक़ ही लेना है तो आर्थिक आधार पर आरक्षण को सपोर्ट कीजिये,
जातिगत नही।
क्या पैसा ही सब कुछ है अगर आप लोग पैसा ही सब कुछ मानते हो फिर तो आप लोगों से कोई जिहादी कहे कि 2 लाख रुपये महीने लो और मुस्लिम बन जाओ और हमारे साथ काम करो.. ये जॉब दे रहा है जिहादी क्या पैसे के पीछे ऎसा करोगे बोलो जबाब जरूर देना
ओबीसी समर्थकों की स्थिति उस कौवे वाली है जिसके मुंह में रोटी थी और लोमड़ी ने थोड़ी सी बड़ाई क्या कर दी बस अपने पंचम सुर में गाने की शुरुआत की और मुंह की रोटी गिर गई नौकरी देकर चली गई और उसके बाद फिर आज तक भटक रहे हैं जहां-तहां कांव-कांव कर रहे हैं ऐसे मंद बुद्धि लोगों को समझाने के प्रयास की जगह इनका बहिष्कार किया जाए (ओबीसी kaystho का) छोड़ दीजिए ऐसे लोगों को कोई जरूरत नहीं है जवाब देने की देख ले यह कितना आरक्षण ले लेते हैं दलित जातियां 70 साल से आरक्षण लेकर कहां पहुंची है वही यह भी पहुंच जाएंगे।
कुछ कूजडे कुलश्रेष्ठ और श्रीवास्तव कुछ मछुआरे गौड कुम्हार तंबोली, नाई श्री वास्तव, bhurji.. Saxena लिखते हैं ऐसे ही लोग ओ बी सी का समर्थन कर रहे हैं सरनेम लगा कर ये धोखेबाज कायस्थों में मिल भी गये हो सकते हैं अतः विवाह इत्यादि में शजरा और रिश्तेदारिया देख कर ही निर्णय ले
अजब कागज पर पिछड़ा लिख गया तो फिर आपका बचा क्या ? आने वाले समय में।कागज ही सब कुछ होगा इस लिए #कायस्थोंकोआरक्षणनहीचाहिए*
अपने मयार से नीचे तो मैं आने से रहा
शेर भूखा हो मगर घास तो खाने से रहा!
KayasthaAlwaysGeneral
boycott Aarakshan
अंबुज सक्सेना
लेखक के विचार से कायस्थ खबर का सहमत होना आवश्यक नही है