सोशल मीडिया पर कल एक सुखद तस्वीर आई जिसमें कायस्थ समाज के सर्वमान्य नेता कायस्थ शिरोमणि आर के सिन्हा को सुबोध कांत सहाय की उपस्थिति में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा (सहाय गुट )का अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया । तस्वीर में आर के सिन्हा और सुबोध कांत सहाय साथ साथ बैठे दिख रहे हैं उनके पीछे बीते 10 सालो से विवादित महामंत्री विश्वविमोहन कुलश्रेष्ठ खड़े हैं
लेकिन इस खुशी के मौके पर ए बी के एम 2150 नाम से एक ट्रस्ट चलाने वाले मनीष श्रीवास्तव एक लंबा पत्र जारी करके आपत्ति जता दी है मनीष ने सोशल मीडिया पर लिखा कि उनके 2150 बनाम 5680 के विवाद में सुबोध कांत सहाय गुट फिलहाल जितेंद्र सिंह गुट की पिटिशन के बाद अगस्त में आए आदेश के बाद कोई नई नियुक्तियां नहीं कर सकता है ऐसे में किस कानूनी नियम से उन्होंने आर के सिन्हा को अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया है मनीष यहीं नही नहीं रुके उन्होंने आर के सिन्हा की उम्र और शारीरिक स्वच्छता पर भी सवाल उठाते हुए उनके अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने पर सवाल उठा दिए है
मनीष श्रीवास्तव ने कायस्थ खबर को भेजे अपने लिखे लंबे पत्र में तमाम सवाल उठाए हैं कायस्थ खबर पूरे पत्र को नीचे प्रकाशित कर रहा है
लेकिन ऐसी खुशी के मौके पर इस तरीके से विवाद को जन्म देने से समाज में सवाल उठने शुरू हो गए है । पत्रकार अतुल श्रीवास्तव इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि मनीष तो सिन्हा जी के करीबी थे फिर क्या यह एक विद्रोह है या किसी तरीके का नया खेल। वही कुछ लोगो ने इस पूरे प्रकरण में विरोध और पदस्थापना को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कायस्थों के वोटों के एकाधिकार की कोशिश मात्र कहा है अखिल भारतीय कायस्थ महासभा सारंग गुट के वरिष्ठ पदाधिकारी अरविंद श्रीवास्तव ने कायस्थ खबर को बताया कि वर्तमान में असली कायस्थ महासभा के अध्यक्ष जितेंद्र नाथ सिंह ही हैं बाकी सब चुनावों में अपनी भूमिका खोजने के प्रयास में लगे है
वही ABKM के साथ विलय के सवाल पर मनीष श्रीवास्तव ने कायस्थ खबर को बताया कि वो तीन शर्तो पर ऐसा कर सकते है पहले विश्वविमोहन कुलाश्रेठ को राष्ट्रीय महामंत्री पद से हटाया जाए दूसरा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में युवा बर्ग को जगह दी जाए और तीसरा कार्यकारिणी कोर्ट के आदेश के बाद ही बने उसके बाद वो पूरी तरह विलय कर दूंगा