जनता दल की चंद्रशेखर ओर भाजपा की अटल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को विपक्ष का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया है। मंगलवार को शरद पवार के घर पर हुई विपक्षी दलों की बैठक में यह फैसला लिया गया। अब उनका मुकाबला NDA उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से होगा। यशवंत सिन्हा के राष्ट्रपति पद के उम्मीद वार होने कि घोषणा होते ही सोशल मीडिया पर तमाम कायस्थ उनके कायस्थ होने का जश्न मनाने लगे लेकिन सवाल ये भी है कि खुद यशवंत सिन्हा कितने बड़े कायस्थ वादी है ओर उन्होने अपने आईएएस ओर मंत्री रहते हुए समाज के लिए क्या किया है
जब कायस्थ मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद से भिड़ गए यशवंत सिन्हा
1960 के IAS परीक्षा में यशवंत सिन्हा को देशभर में 12वीं रैंक मिली थी। शुरुआती ट्रेनिंग के बाद उन्हें 1964 मे बिहार के संथाल परगना में DC यानी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर बनाया गया था। बिहार के तत्कालीन कायस्थ मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिन्हा संथाल परगना के दौरे पर गए थे।
इसी दौरान CM से लोगों ने अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की। इसके बाद मुख्यमंत्री यशवंत सिन्हा से सवाल करने लगे। बार-बार किए जा रहे सवाल से यशवंत सिन्हा परेशान हो गए। यशवंत सिन्हा अपने जवाब से CM को खुश करने की कोशिश कर रहे थे। तभी CM के साथ आए सिंचाई मंत्री उन पर कुछ ज्यादा ही बिगड़ गए। इसके बाद सिन्हा ने मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद की तरफ देख कर कहा कि सर मैं इस तरह के व्यवहार का आदी नहीं हूं।
यशवंत के इस जवाब को सुनकर मुख्यमंत्री उन्हें एक कमरे में ले गए। वहां के SP और DIG के सामने महामाया प्रसाद ने उनसे कहा कि आपको मंत्री के साथ इस तरह का बर्ताव नहीं करना चाहिए था। इसके बाद यशवंत ने कहा कि आपके मंत्री को भी मेरे साथ इस तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए था। सिन्हा का ये जवाब सुनकर महामाया प्रसाद गुस्से में बोल पड़े कि मुख्यमंत्री से आपकी इस तरह बात करने की हिम्मत कैसे हो गई? साथ ही उन्होंने IAS सिन्हा से कहा कि आप दूसरी नौकरी खोज लीजिए।
इतना सुनते ही यशवंत सिन्हा ने महामाया प्रसाद से कहा, 'सर, आप एक IAS नहीं बन सकते हैं, लेकिन मैं एक दिन मुख्यमंत्री बन सकता हूं।'
महत्वाकांक्षी ओर आत्म-केंद्रित यशवंत सिन्हा
यशवंत सिन्हा के कायस्थ वादी होने पर लोगो का कहना है कि यशवंत सिन्हा कायस्थ वादी होने कि जगह महत्वाकांक्षी ओर आत्म-केंद्रित व्यक्ति है I जेपी यानी जयप्रकाश नारायण के दौर मे यशवंत सिन्हा ने रिटायरमेंट से 12 साल पहले ही IAS की नौकरी छोड़ दी ओर जनता दल में शामिल हो गए और चंद्रशेखर के करीबी हो गए। 1989 में वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने यशवंत को राज्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया लेकिन 10 सेकेंड के अंदर उन्होंने इस पद को ठुकरा दिया था। दरअसल, सिन्हा कैबिनेट मंत्री बनना चाहते थे। इसके बाद नवंबर 1990 में जब चंद्रशेखर PM बने तो उन्होंने सिन्हा को वित्त मंत्री बना दिया। यह सरकार भी महज 223 दिन चली थी। सरकार गिरने के कुछ दिनों बाद यशवंत सिन्हा BJP में शामिल हो गए। अटल सरकार में वे वित्त मंत्री और विदेश मंत्री भी बने। 2009 मे बीजेपी भी उसके बुरे समय मे छोड़ दिये ओर 2020 मे टीएमसी को जॉइन किया I
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के लिए नहीं दिला पाये दिल्ली मे कोई आफिस
जी हाँ खुद को कायस्थ नेता ओर कायस्थ वादी बताने वाले यशवंत सिन्हा अपने मंत्री रहते समाज को एक कार्यालय की जगह तक नहीं दिला पाये थे I इस घटना को याद करते हुए तब के राष्ट्रीय सचिव अशोक श्रीवास्तव ने कायस्थ खबर को बताया कि 1998 मे कैलाश नाथ सारंग अध्यक्ष थे ऐसे मे दिल्ली मे अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के कार्यालय बनाए जाने कि आवश्यकता हुई I ऐसे मे राष्ट्रीय सचिव अशोक श्रीवास्तव ने अपने ही आफिस का एक तल अखिल भारतीय कायस्थ महासभा को यूज करने को दे दिया I ओर इसमे समाज के ही एक वायक्ति के सहयोग से 2 कम्पुटर लगाए गए I तब तत्कालीन सरकार मे मंत्री रहे यशवंत सिन्हा को इसके उदघाटन के लिए बुलाया गया I
यशवंत सिन्हा उदघाटन के लिए आए ओर कार्यालय को देख कर बोले कि इतना छोटा कार्यालय I जिस पर महासभा के पदाधिकारियों द्वारा उनके दिल्ली मे किसी जगह एक ज़मीन अलाट करवाने की प्रार्थना की ओर कहा कि अगर ज़मीन मिल जाएगी तो उस पर भव्य कार्यालय महासभा समाज के सहयोग से बना देंगे I लेकिन उदघाटन के बाद यशवंत सिन्हा कभी भी मंत्री रहते इस बात को पूरा नहीं किए I