अतुल श्रीवास्तव/ आशु भटनागर । प्रयागराज में स्थित एशिया के सबसे बड़े शैक्षिक ट्रस्ट केपी ट्रस्ट में के चुनाव में चौधरी परिवार पर ऐतिहासिक जीत हासिल कर डा सुशील सिंह भले ही 1 जनवरी को शपथ लेने की तैयारी कर रहे हो, किंतु प्रयागराज में इस समय चर्चा यह है कि क्या शपथ लेने के बावजूद चौधरी परिवार और निवर्तमान केपी ट्रस्ट के अध्यक्ष चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह उनको आसानी से चार्ज दे देंगे या फिर इसको लेकर भी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी।
यह प्रश्न इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि चौधरी समर्थको की तरफ से मिल रहे संकेतों की माने तो चौधरी परिवार अभी भी अपनी हार को मानने को तैयार नहीं है और लगातार चुनावी प्रक्रिया में तमाम तर्क दिए जा रहे हैं चौधरी समर्थको के आरोप हैं कि वोटर्स ने कार्यकारिणी का बैलेट पेपर अध्यक्ष के डिब्बे में डाल दिया और अध्यक्ष का बैलेंट पेपर कार्यकारिणी में डाल दिया ऐसे में उन वोटो को जीना जाना चाहिए जबकि चुनावी नियमों के अनुसार यह सब इनवेलिड वोटो के तौर पर गिने जाते हैं।
ऐसी ही तमाम बातों को लेकर चौधरी परिवार और उनके समर्थक लगातार इस जीत को मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं कांटे की टक्कर के बाद मिली जीत के बावजूद डॉक्टर सुशील सिंह फूंक कर कदम रखने को मजबूर हैं । यद्धपि प्रमाण पत्र मिलने के बाद अब यह स्पष्ट हो चुका है कि जीत डॉक्टर सुशील सिंह की ही हुई है किंतु शपथ ग्रहण के बाद अगर चार्ज देने में चौधरी जितेंद्र सिंह ने आनाकानी की तो फिर इसमें एक नई कहानी शुरू हो जाएगी और इसको लेकर कायस्थ पाठशाला के भविष्य पर अभी से प्रश्न उठने लगे हैं।
जीत के बाद डॉ सुशील सिंह के समर्थको की अचानक संख्या बढ़ी, दुत्कारे जा रहे चुनाव के समय छोड़कर जाने वाले लोग
कांटे के चुनाव में जहां लड़ाई ,मार पिटाई, आरोप प्रत्यारोप और गाली गलौज तक की बातें खूब हुई,वहीं दबाव और लालच में डॉक्टर सुशील सिन्हा के समर्थन की जगह चौधरी परिवार के साथ जाने वाले तमाम लोग अब वापस डॉक्टर सुशील सिंह के पास लौटते नजर आ रहे हैं। कई लोग तो अभी कहते नजर आ रहे हैं कि हम उन्हीं के साथ थे हमने वोट उन्ही को दिया है किंतु ऐसे लोगों को अब टीपी सिंह कैंप से वापस भगाया जा रहा है । सूत्रों के अनुसार टीपी सिंह कैंप इस बार ऐसे किसी भी व्यक्ति को माफ करने को तैयार नहीं है जिन्होंने चुनाव के समय सौदेबाजी में उनको धोखा दिया।
चौधरी परिवार के साथ साथ सिद्धार्थ नाथ सिंह की राजनीति पर भी लगा ग्रहण
कायस्थ पाठशाला में मिली इस हार से न सिर्फ चौधरी परिवार को धक्का लगा है बल्कि परिवार से ही आने वाले एक अन्य सदस्य सिद्धार्थ नाथ सिंह की भाजपा की राजनीति को भी जबरदस्त डेंट लगने की बातें की जा रही है प्रयागराज में अब यह कहा जा रहा है कि जो विधायक अपने भाई को नहीं जीत पाया उसको पूरे समाज का समर्थन अब कैसे माना जाएगा। ऐसे में सिद्धार्थ नाथ सिंह के आने वाले लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने की सारी संभावनाएं धूमिल होते दिख रही हैं । लोगों ने कहना शुरू कर दिया है कि ऐसे हालात के बाद सिद्धार्थ नाथ सिंह को लोकसभा तो छोड़िए 2027 में विधानसभा के लिए भी उपयुक्त नहीं माना जाना चाहिए ऐसे में सिद्धार्थ नाथ सिंह की राजनीति और उनका राजनीतिक कद भाजपा में अब कितना रह पाएगा इस पर भी चर्चाएं शुरू हो गई है