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कायस्थ पाठशाला में हो गया युद्ध का शंखनाद : डा सुशील सिन्हा की कार्यशैली के विरोध में कुमार नारायण ले आए ‘अविश्वास प्रस्ताव, पहली बार धुरविरोधी चौधरी परिवार और टीपी सिंह के सुर हुए एक

प्रयागराज । कई माह से सुलग रही विद्रोह की चिंगारी का विस्फोट आखिरकार हो ही गया। कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ सुशील सिन्हा की तानाशाही के खिलाफ पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुमार नारायण ने अविश्वास प्रस्ताव के तौर पर अपना ब्रह्मास्त्र चला दिया है। रोचक तथ्य यह है कि इस अविश्वास प्रस्ताव पर 720 न्यासीयो के द्वारा डॉक्टर सुशील सिन्हा के विरुद्ध हस्ताक्षर किए हैं । हस्ताक्षर करने वालों में जहां एक और चौधरी परिवार से चौधरी राघवेंद्र नाथ सिंह और कौशलेंद्र नाथ सिंह हैं वही उनके धुर विरोधी रहे वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अध्यक्ष टीपी सिंह भी है । पूर्व अध्यक्ष चौधरी जितेंद्र नाथ सिंह इलाज के लिए शहर से बाहर हैं इसलिए उनके हस्ताक्षर नहीं हो सके हैं किंतु वो भी इस तानाशाही के विरोध में है । लोगो का कहना है कि दो परस्पर ध्रुवो को मिलाकर कुमार नारायण ने डॉक्टर सुशील सिन्हा की सत्ता को बड़ी चुनौती दे दी है । माना जा रहा है कि अविश्वाश प्रस्ताव के बाद डा सुशील सिन्हा की सत्ता जाना तय है ।

शुक्रवार को कुमार नारायण के नेतृत्व में अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली टीम सबसे पहले समिति सब रजिस्ट्रार के पास पहुंची और उनको इसकी जानकारी देने के बाद इसको लेकर कायस्थ पाठशाला के कार्यालय पहुंचने लगे किंतु आरोप है कि अविश्वास प्रस्ताव की भनक मिलते ही अध्यक्ष महामंत्री सहित ट्रस्ट से सभी कर्मचारी ताला लगाकर चले गए । इसके बाद अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के सभी डॉक्यूमेंट डॉक्टर सुशील सिन्हा को स्पीड पोस्ट से भेज दिए गए हैं ।

कायस्थ पाठशाला के मुख्य द्वार पर ताला लगा हुआ था, वहां पूछने पर बताया गया दो दिन पूर्व कायस्थ पाठशाला के पूर्व कार्यकारिणी सदस्य के निधन के करण कंडोलेंस कर दिया गया, जबकि नियमतः कंडोलेंस अगले दिन होना चाहिए, अतः हम लोगों ने इसकी एक प्रतिलिपि रजिस्टार सोसायटी के यहां एवं एक प्रतिलिपि स्पीड पोस्ट, भारतीय डाक सेवा के द्वारा महामंत्री कायस्थ पाठशाला को प्रेषित किया है

कौशलेंद्र नाथ सिंह

आपको बता दें कि दो दिन पहले ही कुमार नारायण ने प्रेस कांफ्रेंस करके डॉक्टर सुशील सिन्हा की तानाशाही और कार्यशैली के खिलाफ कई आरोप लगाए थे। अपने आरोपों में कुमार नारायण ने यह दावा किया कि डॉक्टर सुशील सिन्हा अपराधियों के साथ मिलकर कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट में निवासियों को दबा रहे हैं। उन्होंने अपने साथ हुए अन्याय की चर्चा करते हुए आरोप लगाया कि उनको दबाने के लिए कायस्थ पाठशाला में उनके वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहते उनके नाम की पट्टीका को उखाड़ कर उस पर पुष्प अर्पित कर दिए गए। उन्होंने प्रतिरोध के तौर पर जब इसकी पुलिस में एफआईआर लिखवाने की बात कही तो कायस्थ पाठशाला अध्यक्ष ने उस पर कोई संज्ञान नहीं लिया ।

छह प्रष्ठ के इस पत्र में डॉक्टर सुशील सिन्हा की कार्यशैली पर तमाम आरोप लगाए गए हैं। जिसमें मुख्य तौर पर कायस्थ पाठशाला की सदस्यता को बिना किसी योजना के ₹100 करने के प्रावधान का भी विरोध किया जताया है। इसके अलावा स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में खून खराबा, कम्युनिटी सेंटर की बुकिंग में भ्रष्टाचार और मनमाने ढंग से टेंडर करने के आरोप लगाए गए हैं। पत्र में कहा गया कि जो समरसेबल पंप 130000 में लगता है उसका भुगतान 1090000 किया गया है क्योंकि वह एक प्रभावी व्यक्ति से जुड़ा हुआ है ।

वहीं कायस्थ पाठशाला के घटनाक्रम पर नजर रख रहे हमारे कार्यकारी संपादक अतुल श्रीवास्तव के अनुसार डॉ सुशील सिन्हा के नेतृत्व में कायस्थ पाठशाला की गवर्निंग काउंसिल की असाधारण बैठक रविवार को शाम 4:00 बजे करने के विज्ञापन अखबारों में छुपाए जा चुके हैं जिसमें कायस्थ पाठशाला रूल्स में संशोधन और सेलेक्ट कमेटी के गठन पर विचार की बातें की गई है ।

कायस्थ खबर ने इस प्रकरण को लेकर कानूनी संभावनाओं को जानने की कोशिश की, तो पता लगा की सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत अविश्वास प्रस्ताव रिसीव होने के बाद अध्यक्ष अगले 20 दिन के अंदर जीबीएम बुलाने के लिए बाध्य हैं और वहां पक्ष में या विपक्ष में परिणाम आने के बाद ही किसी तरीके के अन्य काम कर सकेंगे ।

ऐसे में बड़ा प्रश्न यह है कि क्या रविवार को अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद रविवार को कायस्थ पाठशाला में डॉक्टर सुशील सिन्हा प्रस्तावित साधारण बैठक कर सकेंगे। क्या अगले 20 दिन में डॉक्टर सुशील सिन्हा अपना साम्राज्य बचाने में कामयाब हो सकेंगे या फिर कुमार नारायण को आगे करके उनके विरोधी उनको सत्ता से बेदखल कर देंगे।

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