बुधवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (यूपीईएसएससी) का नया अध्यक्ष नियुक्त कर एक बार फिर कायस्थ समाज से जुड़े उच्च अधिकारियों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब रविवार को कायस्थ समाज के ही नितिन नबीन को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की खबर ने समाज में उत्साह बढ़ाया था।
मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यूपीएएसएससी के माध्यम से राज्य की माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में शिक्षकों की बम्पर भर्ती होनी है। मई माह में सेवानिवृत्त होने वाले प्रशांत कुमार को रिटायरमेंट के बाद ही योगी सरकार द्वारा महत्वपूर्ण ओहदा सौंपकर सेवा में फिलहाल बनाए रखने का संकेत दिया गया है। सरकार का दावा है कि उनकी व्यापक प्रशासनिक दक्षता से शिक्षा चयन प्रक्रिया और पारदर्शिता दोनों में सुधार होगा।
कौन हैं प्रशांत कुमार?
- 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार मूल रूप से बिहार के सीवान जिले के निवासी हैं।
- उन्होंने तमिलनाडु कैडर से 1994 में यूपी कैडर ज्वॉइन किया।
- करीब 1.5 साल तक कार्यवाहक डीजीपी के रूप में तैनात रहे, इस दौरान उनके नेतृत्व में 300 से अधिक एनकाउंटर हुए।
- ADG मेरठ जोन, डीजी कानून-व्यवस्था और डीजी आर्थिक अपराध शाखा जैसे अहम पदों पर विविध अनुभव हासिल किया।
- चार बार राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित रहें, माना जाता है कि ‘सिंघम’ की छवि वाले ये अधिकारी अपनी जमीन-जमाई ईमानदारी और सख्ती के लिए मशहूर हैं।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि और पारिवारिक जीवन
प्रशांत कुमार तीन-तीन मास्टर्स डिग्रियां धारक हैं – डिजास्टर मैनेजमेंट में एमबीए, एप्लाइड जूलॉजी में एमएससी और डिफेंस व स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एमफिल। इन अकादमिक योग्यताओं ने उन्हें कानून-व्यवस्था के साथ-साथ सतर्कता और रणनीति निर्माण में भी पारंगत बनाया है। उनके पिता का नाम ललन प्रसाद है। पत्नी डिंपल वर्मा एक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं, जो वर्तमान में यूपी रियल एस्टेट रेग्युलेशन अथॉरिटी (UP RERA) की सदस्य के रूप में कार्यरत हैं।
राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य
केंद्रीय नेतृत्व में नितिन नबीन की जीत के बाद राज्य स्तर पर कायस्थ समाज के वरिष्ठ अधिकारियों को वरीयता देना सूबे में समाजिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास माना जा रहा है। योगी सरकार ने अब तक कई महत्वपूर्ण पदों पर ऐसे अफसर नियुक्त किए हैं, जो सत्ताधारी विचारधारा के नज़दीक माने जाते हैं। प्रशांत कुमार की ताज़ा तैनाती से यह साफ संकेत मिलता है कि योगी कैबिनेट ने अपने भरोसेमंद अधिकारियों को लेकर शिक्षा क्षेत्र में भी बदलाव करने का मन बनाया है।
अक्सर पुलिस अफसर को शिक्षा चयन आयोग जैसे सिविल सेवा से सम्बद्ध पदों पर तैनात करना विवादास्पद भी रहा है, लेकिन योगी सरकार इसे प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने और भर्ती प्रक्रिया में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता के रूप में देखती है। प्रशांत कुमार की नियुक्ति की आलोचना भी हो सकती है कि यह पद उन्हें सेवाकार्य के बाद ‘सुविधा जीवन’ प्रदान करने जैसा दिखाई दे, वहीं उनके समर्थक इसे ‘मेधावी कलेक्शन’ कर शिक्षा जगत में नई ऊर्जा का संचार मान रहे हैं।
यूपीईएसएससी अध्यक्ष के रूप में प्रशांत कुमार की सबसे बड़ी चुनौती रहेगी — तेज़ी से हो रही आबादी और बढ़ते स्कूलों के छात्रों के बीच गुणवत्तापूर्ण शिक्षकों की भर्ती सुनिश्चित करना। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता और ग्रामीण-अर्बन असंतुलन की समस्या से निपटने के लिए पारदर्शी चयन प्रक्रिया के साथ-साथ समयबद्ध भर्ती बेहद जरूरी है। प्रशांत कुमार के अनुभव और प्रशासनिक कुशलता पर अब सबकी निगाहें टिकी हैं कि वे कितनी जल्दी और कितनी विश्वसनीयता के साथ इस प्रक्रिया को सुचारू बनाते हैं।
।। Kayasth Khabar ।। no 1 Kayasth Portal, sri chitrgupt Bhagwan, chitransh parivar, Kayastha News , Kayasthworld Kayasth News , Kayasth Khabar , no 1 Kayasth Portal, Kayasthworld , sri chitrgupt Bhagwan, chitransh parivar,
