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कायस्थों ने दिखाई कायस्थ समागम मे ताकत, बिहार की राजनीति मे उथल-पुथल

रोहित श्रीवास्तव । पटना । रविवार को पटना के गांधी मैदान के कृष्ण मेमोरियल हाल मे कायस्थ समागम 2015 का भव्य आयोजन हुआ। इसकी भव्यता और सफलता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरा आयोजन स्थल खचाखच भरा हुआ था। उल्लेखनीय है कि इस कायस्थ समागम के आयोजन की तैयरिया महीनो से चल रही थी जिसका जिम्मा स्वयं राज्यसभा सांसद और एसआईएस ग्रुप के मुखिया रवीन्द्र किशोर सिन्हा लिए हुए थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रविनन्दन सहाय, आर के सिन्हा, नीरा शास्त्री, नितिन नवीन, त्रिलोकी वर्मा एवं अन्य के अलावा केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद मंचासीन थे।  
समागम मे बोलते हुए बीजेपी के राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा ने कायस्थों की एकता और एकरूपता की बात को पुनः दोहराया। उन्होने कहा सामाजिक कमियो को दूर करना होगा, राजनीति मे चित्रांशों की भागीदारी बढ़ाने के लिए समाज को एकजुट होना होगा। श्री सिन्हा ने समाज मे दहेज की समस्या पर बोलते हुए उन्होने कहा हमे इससे निजात पाने के लिए बिना लगन के चित्रगुप्त मंदिरो मे शादी करनी होगी।
  केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंच से कायस्थों से राजनीति मे आने की अपील की, उन्होने कहा हमे अपनी राजनीति मे सक्रियता बढ़ानी चाहिए जिससे समाज के विकास के साथ देश के विकास मे भी हम (चित्रांश) योगदान दे सकें। श्री प्रसाद ने भी दहेज को ‘सामाजिक-बुराई’ बताते हुए इसे समाज मे खत्म करने की अपील के साथ, कायस्थ युवाओ को ‘स्वावलबी’ और स्व-रोजगार की ओर बढ्ने का संदेश दिया। आपको बता दें कि पटना मे आयोजित इस समागम के सफल आयोजन के बाद बिहार और देश की राजनीति मे अचानक से भूचाल आ गया है। जेडीयू एवं आरजेडी के अलावा अन्य कई राजनीतिक पार्टियो ने आरोप लगाया है कि यह कायस्थ समागम न होकर ‘बीजेपी समागम’था। गौरतलब है कि इस विषय पर कायस्थ खबर ने जब आयोजको से बात की तो पता चला कि समागम को लेकर बिहार (एवं देश) के सभी राजनीतिक दलो के नेताओ को इसके लिए आमंत्रित किया गया था। समागम मे काँग्रेस के नेता अरुण कुमार वर्मा सहित अन्य कई नेता शामिल भी हुए थे। काँग्रेस के संजय निरूपम और सुबोध कान्त सहाय के अलावा जेडीयू के राज्यसभा सांसद पावन वर्मा को आमंत्रित किया गया था। बड़ा दिलचस्प है कि इस आयोजन के साथ ही बिहार मे और कई जगह कायस्थों के छोटे-बड़े संगठनो ने कार्यकर्मों का आयोजन किया। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि सभी ने एक सुर मे एक बात को स्वीकारा है कि कायस्थों को (बिहार की हो या ) देश की राजनीति मे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है

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