यूपी चुनाव में कायस्थों को झुनझुना थमाने की तैयारी में भाजपा , हताश कायस्थ समाज कर सकता है भाजपा से विद्रोह
आशु भटनागर I इलाहबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की २ दिवसीय बैठक में जिस तरह से कायस्थ नेताओं की उपेक्षा की गई है यूपी में उसके निहितार्थ निकाले जाने शुरू हो गए है I कायस्थ खबर ने इस बारे बीजेपी में शामिल और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक कायस्थ कार्यक्रताओ और नेताओं से जब इस बारे में बातचीत करने की कोशिश की तो स्थिति बहुत भयावय होती दिखी रही है
हालात ये है की कायस्थ नेता अब टिकट के जातीय गणित में अपने को ठगा हुआ महसूस करने लगे है I देखा जाए तो जिस तरह इलाहाबाद में कायस्थ नेताओं को किनारे किया गया है और भाजपा का सारा जोर ब्राह्मण और पिछड़ी जातियों के गणित को ही ठीक करने में लगा है उससे कायस्थ समाज के वोटर्स को भी धक्का लगा है
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा मुकेश श्रीवास्तव जहाँ इसे कायस्थ समाज का शोषण बता रहे है वही इलाहबाद से ही कायस्थ वृंद के मुख्य समन्वयक धीरेन्द्र श्रीवास्तव इसे कायस्थ समाज के साथ भावनात्मक धोखा बता रहे है I धीरेन्द्र कहते है की भाजपा जिस तरह से कायस्थ नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर रही है उससे उन्हें आश्चर्य तो नहीं हुआ है लेकिन कायस्थ समाज ऐसे धोखे का जबाब चुनावों में ही देगा I
लखनऊ से एक युवा कायस्थ नेता नाम ना छापने की शर्त पर अपना दुःख प्रकट करते हुए कहते है की दरअसल भाजपा कायस्थ समाज को वोटर्स में गिन ही नहीं रही है वो उन्हें अपना बंधुआ वोटर मान रही है I ऐसे में उसका सारा ध्यान ब्राह्मण और पिछड़ी जातियों के साथ सौदेबाज़ी में ज्यदा है I
ऐसे में कायस्थ समाज अब यही सवाल कर रहा है की कायस्थ समाज को क्या बीजेपी को ऐसे धोखे का पलट कर जबाब नहीं देना चाह्यी ? क्या जातीय समीकर सिर्फ ब्राह्मण और पिछड़ी जातियों के ही होते है या फिर कायस्थ समाज ऐसे ही हिन्दू धर्म के नाम पर बीजेपी को वोट देता रहेगा
ये तो सब हमारे बिखरेपन व असंगठित होने का नतीजा हैं , बरना क्या औकाद किसी भी पार्टी की वह हमारी उपेक्षा कर , हमें झुनझुना पकड़ाने की कोशिस करें , लेकिन येसी बातों को हम हाइ लाइट ही क्यों करते हैं , इससे भी गलत सन्देस जाता हैं । जय चित्रगुप्त , जय चित्रांश