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कायस्थ खबर वार्षिक लेखा जोखा : 2016 के १० कायस्थ नेता जो इस साल समाज में अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाए

साल 2016 अपने अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर है। इस साल भी कायस्थ समाज में कुछ लोग चमके तो कुछ लोग अपनी चमक खोते नजर आये । चमक खोने वाले लोगो में कई लोग पिछले साल कायस्थ खबर में स्थान पाए थे । आज हम इसी बात की विवेचना कर रहे हैं। तो आइए कायस्थ खबर वार्षिक लेखा जोखा में जानते हैं साल 2016 के  10 ऐसे लोगो के बारे में जो इस साल अपनी चमक खो गए ।

अशोक श्रीवास्तव: कायस्थ समाज में पिछले कई सालो से सक्रिय नॉएडा के अशोक श्रीवास्तव जब जुलाई में देश की लोकप्रिय संगत पंगत के मंच संचालन के साथ साथ ही अगले कुछ समय तक  कायस्थ समाज के कार्यक्रमों से भी दूर रहने की अफवाहों के बीच नजर आये तो उनके समर्थको और विरोधियो दोनों को ही झटका लगा I सबके मन में एक ही सवाल था की आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ की कभी संगत पंगत के इंटरनेशल संयोजक जैसे पद तक पहुँचने वाले अशोक श्रीवास्तव ने ये कदम उठाया I हालांकि साल के आखिर आते आते भी इसके बारे में कोई साफ़ बात सामने नहीं आई I संगत पंगत में भी हर बार नए व्यक्ति के साथ मंच संचालन की एक नयी परम्परा शुरु हुई I बहराल जुलाई के बाद से ही अशोक श्रीवास्तव फिर किसी कायस्थ कार्यक्रम में सार्वजनिक तोर पर नजर नहीं आये और नए साल में एक बार फिर से कायस्थ कार्यक्रमों में आयेंगे इसके बारे में भी अभी कुछ पता नहीं

कविता सक्सेना : कभी गाजियाबाद की उभरती हुई नेत्री के रूप में चर्चित हो रही कविता सक्सेना इस पुरे साल ही कायस्थ परिद्रश्य से गायब रही I हालांकि जनवरी में उन्हें कायस्थ वृन्द की राजनीति टीम में महत्वपूर्ण भूमिका दी गयी थी पर पुरे साल राजनैतिक कार्य तो दूर वो कायस्थ  समाज सेवा के कार्यक्रमों में भी नहीं दिखी I साल के आखरी तिमाही में कविता कायस्थ महापंचायत करने की घोषणा से एक बार फिर अपनी ज़मीन तलाश करती दिखी लेकिन पर्याप्त तैयारी और मजबूत लोगो के साथ ना होने से वहां भी असफल ही दिखी I

पंकज भैया : पिछले साल कायस्थ विकास परिषद् के तेज तर्रार नेता के रूप में पहचान बनाए पंकज भैया  जब अपनी नयी संस्था कायस्थ वाहनी  को लेकर सामने आये तो पुरे साल बस उसे ही संभालने में कहीं खो गए I हालत ये हो गयी की २०१६ में जहा उन्हें भी कायस्थ वृन्द की बैठक में राजनैतिक विंग में सूत्रधार की भूमिका दी गयी थी वही साल के मध्य में अशोक श्रीवास्तव पर उनकी संस्था को नुक्सान पहुचाने जैसे आरोप लगाने के बाद इतने शांत हो गए की  साल का अंत आते आते चुनावों से ठीक पहले कायस्थ समाज के लोग उन्हें ढूढने में लगे है I पंकज आजकल कहाँ है इसका जबाब भी अभी किसी के पास नहीं है आशा है नए साल में वो भी २०१७ चुनावों को लेकर कुछ करेंगे

 डा अरविन्द श्रीवास्तव : २०१५ में कायस्थ वृन्द और अखिल भारतीय कायस्थ महासभा (पारिया गुट ) के चाणक्य कहे जाने वाले डा अरविन्द श्रीवास्तव आज कल खुद के वजूद को बचाने का संघेर्ष करने नजर आ रहे है I कायस्थ वृन्द के आपसी द्वन्द के बाद कमज़ोर पड़े डा अरविन्द को बड़ा झटका जब लगा जब पारिया गुट ने साल के आखिर में राष्ट्रीय संयोजक पद को ही असंवैधानिक बताते हुए ख़तम कर दिया I ऐसे में डा अरविन्द कायस्थ समाज में अपनी स्थिति को दुबारा से पाने के लिए नए साल में क्या करेंगे वो देखना बाकी है

नीरा शास्त्री : २०१५ में कायस्थ समाज के कार्यक्रमों के एक मजबूत स्थिति में नजर आने वाली वरिष्ठ नेत्री और भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुत्रवधू नीरा शास्त्री ने अचानक अपनी उपशिती जब कायस्थ कार्यक्रमों में कम कर दी तो लोगो को आश्चर्य हुआ I पुरे साल कायस्थ समाज उनके मार्गदर्शन की उम्मीदे करता रहा लेकिन शायद अब २०१७ में वो एक बार फिर से सबके साथ आये I

सुरेन्द्र कुलश्रेष्ठ : कायस्थ सिंघम के नाम से प्रसिद आगरा के सुरेन्द्र कुलश्रेष्ठ मई में आगरा में कायस्थ वृन्द के आयोजन के बाद हुए विवाद के बाद से ही शांत हो गए I कभी कायस्थ समाज की राजनीती में सबसे आगे रहने वाले सुरेन्द्र २०१७ के चुनावों की घडी में अब बिलकुल शांत हैं I ७० सीटो पर चुनाव लड़ने की बात करने वाले सुरेन्द्र की अगली रणनीति क्या होगी किसी को नहीं पता पर २०१६ में उनकी इस तरह की चुप्पी में राजनीती में आने वाले लोगो को ज़रूर हतोत्साहित किया

संजीव सिन्हा : कभी कायस्थ वृन्द में नम्बर 3 की पोजीशन रखने वाले लखनऊ के संजीव सिन्हा जब चर्चा में आये जब  २०१६ के पहल तिमाही में एक चेरीटेबल ट्रस्ट में आपसी खीच तान के चलते वो कायस्थ वृन्द से अलग हो कर मई में अपना नया संगठन राष्ट्रीय कायस्थ वृन्द बना लिए I हालांकि संगठन में अपने गुट के लोगो को साथ रखने में सफल तो हुए लेकिन २०१५ की मजबूत स्थिति को नहीं संभाल पाए Iसंजीव २०१६ के आखरी तिमाही में एक बार फिर से विवादों के जरिया चर्चा पाने की कोशिश करते दिखे हालांकि अभी तक नाकाम रहेवैध राजीव सिन्हा : कायस्थ विकास परिषद् के अध्यक्ष  वैध राजीब सिन्हा जहाँ २०१५ में पंकज भैया के चलते एक बड़ा नाम बन गए थे , पंकज के अलग होते ही उनकी संस्था भी गोरखपुर तक ही सिमट कर रह गयी I हालांकि पंकज की जगह नए लोगो को लाकर राजीव सिन्हा संगठन और अपनी जगह को बचाने की कोशिश करते दिखे लेकिन २०१५ वाली चमक फिर नहीं दिखी

मेघना श्रीवास्तव : कहते जो जितनी तेजी से चड़ता है वो उतनी ही तेजी से उतरता भी है ,जनवरी में कायस्थ महासमागम  की महत्वपूर्ण भूमिका और मार्च  में हरियाण ABKM की प्रदेश पदाधिकारी बनी मेघना श्रीवास्तव को जब अगस्त में उनके पति के संयोजन में गुजरात के एक कार्यक्रम में वरिष्ठ पदाधिकारियों को दरकिनार करके गेस्ट आफ आनर दिया गया तो हंगामा हो गया I लोगो ने पारिवारवाद के आरोप के साथ ही दोनों के इस्तीफे मांगे हालांकि बात इतनी बड़ी की उसके चलते पारिया गुट ही हाशिये पर खड़ा नजर आये है I राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष होने के तमाम तर्कों के वाबजूद मेघना और पारिया गुट उनके सम्मान और सविता एस एस लाल के अपमान  को जस्टिफाई नहीं कर पाया और इसके साथ ही मेघना राष्ट्रीय परिद्र्शय से गायब हो गयी जिसका नुक्सान पारिया गुट ने भी उठाया

ब्रजेश श्रीवास्तव : जनवरी में कायस्थ वृन्द की बैठक फैजाबाद में कराकर चर्चा में आये ब्रजेश साल के मध्य में आकर जब कहीं खो गए जब अपने बडबोले पन में वो ये कह गए की जनवरी में अखिल भारतीय कायस्थ मह्सभा के राष्ट्रीय महामंत्री ने फैजाबाद के दुर्घटना में मरने जिस गरीब कायस्थ की पत्नी को ५०००० रूपए की मदद देने की बात कही थी I उसको वो मदद अगस्त तक इसलिए नहीं दी जा सकी क्योंकि वो फैजाबाद में पारिया गुट का कोई कार्यक्रम नहीं करा सके और उस महिला ने अप्रैल में लखनऊ में पारिया गुट के राष्ट्रीय सम्मलेन में आकर मदद लेने से मन कर दिया I पारिया गुट के जिलाध्यक्ष के इस बायाँ पर हालांकि बाद में लीपापोती की गयी लेकिन ब्रजेश अपनी स्थिति को संभाल नहीं पाए और उसके बाद उन्हें पारिया गुट ने किसी महत्वपूर्ण कार्य की बागडोर नहीं सौपी I परिस्थितयां यहाँ तक हुई की वो  उसके बाद  रास्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में में भी नजर नहीं आये

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