आक्रोश, विरोध और सेलिब्रेशन !!!
कुछ ऐसा ही हुआ जब २ दिन पहले देर शाम बस्ती में कायस्थ शिरोमणि आर के सिन्हा पर एक निर्दलीय प्रत्याशी द्वारा हमले और पथराव की रिपोर्ट दर्ज होने की खबर कायस्थ खबर ने पब्लिश की I कायस्थ समाज का अधिकाँश हिस्सा जहाँ इस अप्रत्याशित खबर से भौंचक्का था और आक्रोश प्रकट कर रहा था , उनकी सलामती के लिए लगातार कायस्थ खबर के ट्वीटर , फेसबुक व्हाट्सएप और फ़ोन पर जानकारी के लिए संपर्क कर रहा था, वही आर के सिन्हा के व्यक्तिगत विरोध से ग्रसित कुछ लोगो और मीडिया का समूह उस पर चटखारे लेने और लगातार उसको नकारात्मक रूप में चलाने में लगा था I
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घटना को आर के सिन्हा के कायस्थ विरोधी होने तक की मुहीम से जोड़ने की साजिश तक रची जाने लगी , लगातार कुछ लोग अपशब्दों से भरी एक मीडिया रिपोर्ट(कायस्थ खबर नहीं ) को एक अंतराल पर सब जगह देने लगे जिससे सामान्य कायस्थ समाज में असमंजस की बन गयी I
फ़ाइल फोटो
आर के सिन्हा के राजनैतिक विरोधियो ने अचानक आर के सिन्हा के बस्ती समेत यूपी चुनावों में भाजपा के प्रचार को कायस्थ विरोधी बताना शुरू किया , और उनकी साजिश को मुहीम दी कुछ ऐसे लोगो ने जिनको अब समाज ने दरकिनार कर दिया है I ऐसे विरोधी नेताओं की समझ और असलियत बस यही तक सीमित है
गलतफहमियों के सिलसिलें आज भी इतने दिलचस्प है ...... की है हर ये ईंट सोचती है दिवार मुझपर टिकी हुई है
लेकिन ऐसे नेताओं की साजिश और विरोधी मुहीम को जबाब भी दिया आर के सिन्हा के सेवा भाव को समर्पित कार्यो से अभिभूत कायस्थ समाज ने I समाज का वो वर्ग जिसे आपसी विरोध की राजनीती से कोई मतलब नहीं उसने आर के सिन्हा के इस अपमान को अपना अपमान माना और पुरे सोशल मीडिया में आर के सिन्हा के लिए सहानभूति की एक लहर बनी , ज़मीनी तोर पर उसके बाद हुई सभाओं और रोडशो में आर के सिन्हा के प्रति उमड़ी भीड़ में इसका उत्साह भी दिखा I गोंडा से लेकर रायबरेली और अब इलाहबाद में उनके साथ और समर्थन में आने वाले कायस्थों ने विरोधियो के मुह पर ताले लगा दिए I
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यूपी चुनाव में आर के सिन्हा होंगे कायस्थ बहुल क्षेत्रो में बीजेपी के लिए तारनहार
पहले फेज में कायस्थों की उपेक्षा से उठे कायस्थों के प्रतिरोध के बाद पहली बार किसी कायस्थ नेता के इस तरह यूपी प्रचारकों में शामिल किया जाना कायस्थ समाज के लिए गर्व की बात है और आर के सिन्हा गोंडा से लेकर रायबरेली और अब आगे की स्थिति को देखते हुए लग रहा है की विरोधियो की तमाम साजिशो के बाद आर के सिन्हा बीजेपी के लिए पश्चिमांचल ,पूर्वांचल और मध्य यूपी पर लगभग १२० सीटो पर बीजेपी को जबरदस्त फायदा पहुंचाने जा रहे है I आर के सिन्हा पर हुए हमले का जबाब कायस्थ समाज उनके समर्थन में आगे आकर बीजेपी के लिए गोलबंद और समर्थन में वापस आ रहा है I जिसकी आहट गोंडा, राय बरेली, इलाहबाद से अब दिखाई दने लगी है जिसकी गूँज आगे चलकर अभी गोरखपुर , बनारस में में सुनाई देगी I
कायस्थ समाज को कायस्थवाद और हमलावाद में में फर्क करना सीखना होगा
लेकिन समस्या आर के सिन्हा का समर्थन, विरोध या उन्हें वापस लौटाने की नहीं है ,समस्या छदम कायस्थवाद और उसके नाम पर किसी को अपनी बात ना कहने देने की है I
२ दिन से कायस्थवाद का मतलब समझने की कोशिश ने हमें ये सोचने पर मजबूर कर दिया है की आखिर क्या चंद लोगो की भीड़तंत्र से लोकतंत्र को बंधक बनाया जा सकता है ?
क्या सच में कायस्थवाद का मतलब जाती की आड़ में हमलावाद या फिर यूँ कहे की अपराधवाद की बात हो रही है ?
बस्ती में आर के सिन्हा का विरोध करते लोग
क्या हम ये नहीं समझ पा रहे है की आप किसी भी वाद को माने मगर लोकतंत्र में सबको अपनी बात , अपनी पसदं का हक़ है I आखिर क्यूँ हम ये चाहते है की सारे कायस्थ वोट सिर्फ एक ही आदमी को चले जाए I कायस्थ समाज को हम क्या अन्य पिछड़ी जातियों से तुलना करने लगे है जहाँ लोग बिना सोचे समझे एक आदमी के पीछे चल पड़ेंगे I आखिर कायस्थ समाज की संस्कृति हमें ये तो नहीं कहती है I पिछले २ सालो से कायस्थ खबर लगातार कायस्थवाद और कायस्थ समाज के लिए आगे आने की बात अपने युवाओं से कहता रहा है लेकिन सिर्फ चुनावों में किसी की हार जीत पर हम अपना सामाजिक ताना बाना तोड़ने को तैयार हो गए है I
क्या हो जाता अगर आर के सिन्हा किसी कायस्थ प्रत्याशी के लिए प्रचार करके अपनी पार्टी के प्रत्याशी का प्रचार कर रहे थे I क्या आपको अपने प्रत्याशी या अपने उपर इतना भी विश्वाश नहीं था की आर के सिन्हा को अपनी बात भी वहां रखने नहीं देना चाहते थे I आखिर आर के सिन्हा के वहां अपनी पार्टी के गैर जाती के नेता के प्रचार से क्या नुक्सान हो जाता I
क्या है कायस्थवाद ?
आखिर राजनीती में कायस्थवाद कैसे काम करे ?
असल में कायस्थवाद को परिभाषित २ साल की हमारी कोशिश को कुछ गलत लोगो ने गलत रूप में ले लिया है I हमारे युवा कायस्थवाद का मतलब ये समझने लगे की बस कोई एक जो खड़ा हो जाए सबको उस को सपोर्ट करना है I पर इस बहुदलीय प्रणाली में समस्त कायस्थ समाज किसी एक दल के साथ कैसे बंध कर रह सकता है I असल में कायस्थवाद का मतलब है की हम अलग अलग दलों में अपने मौजूद नेताओं को मजबूत करें I और जहाँ कायस्थ अधिकता में होंगे वहां जाहिर तोर पर कायस्थ नेता भी ज्यदा होंगे कुछ चुनाव लड़ने तक की सीडी को पा लेंगे लेकिन कुछ को अपने अपने दलों के प्रति निष्ठा रखते हुए उनके लिए काम करना होगा I ऐसे में अगर हम बाकी सबको इस बात के लिए मजबूर करे की बस एक ही कायस्थ को वोट करें तो ये ना वैचारिक तोर पर संभव है ना राजनैतिक तोर पर I
कायस्थवाद में हमें राजनीती में अधिक से अधिक सामर्थ्यवान नेता हर दल में चाह्यी I राजनीती में सीखिए कैसे लालूयादव और शरद यादव एक ही जाती के होते हुए दो बिभिन्न दलों में शीर्ष नेतृत्व को संभाले हुए है I वो राजनीती में एक दुसरे के धुरविरोधी भी रहे है लेकिन जाती के तोर पर नहीं , उन्होंने एक दुसरे के खिलाफ भी प्रचार किया है I
पनपने दीजिये एक नयी पौध को सभी दलों में लेकिन उसके लिए किसी आर के सिन्हा को रोकने से नहीं १० नए आर के सिन्हा जैसे प्रभाव शाली नेता बनाने से बात बनेगी जिनसे आप डर रहे है की अगर वो किसी की सभा में आ गए तो आपके कायस्थ वोट उनकी पार्टी को चले जायेंगे I
आज कायस्थवाद के पेड़ को बरगद का पेड़ बनाने की ज़रूरत है जिसके हर और एक नया नेता निकल कर आ रहा हो I समस्या राजनीती में किसी एक के नहीं सैकड़ो लोगो के जगह बनाने की है उसके लिए बस्ती जैसी भीड़तंत्र और हमले की घटनाओं से बचने की सख्त आवश्यकता है I
विश्वाश रखिए यदि एक आर के सिन्हा से हम इस स्थिति में आ गए है तो १० और १०० के बाद सारी राजनीति हमारे समाज के कदमो में होगी I इसलिए विरोध नहीं सहयोग कीजिये I राजनातिक प्रतिद्वंदिता को राजनीती तक रहने दीजिये ना की उसे व्यक्तिगत पर लाइए I भगवान् चित्रगुप्त ने भी १२ बेटो को इसीलिए अलगअलग नाम दिए ताकि वो शाशन में राज्य में हर जगह विराजमान हो I अपनेही कुल वंशजो पर शाब्दिक या शारीरिक हमलो से कायस्थवाद मजबूत नहीं होगा , इसको फलने फूलने में समय भी लगेगा और एक दुसरे का सहयोग भी I
अपने विचार नीचे कमेन्ट बाक्स में ज़रूर दीजिये आपके विचार हमें इस मुद्दे पर समाज को समझने में कोशिश करंगे लेकिन शब्दों की मर्यादा का ध्यान रखिये I असभ्य , अश्लील , और अपशब्दों को कायस्थखबर नहीं रखेगा I
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