भाई और बहनों जिस संस्था के राष्ट्रीय पदाधिकारी जिस राज्य में या जिला रहता हो या प्रदेश अधिकारी जिस राज्य में या जिस जिले में रहते हों वहां के लोकल 10 कायस्थों का भी भला न किया हो और न 10 लोगों को इकठा कर सकते हों। उनसे क्या आप उम्मीद कर सकते हैं। आप सभी भाई बहनों से अनुरोध है कि इन सभी फर्जी संस्थाओं से दूर रहें। ये संस्थाएं सिर्फ समाज को गुमराह कर रही हैं और हमारे नौजवानों अन्धेरें में धकेल रही हैं। आप सभी से अनुरोध है कि आप सभी अपने अपने स्तर पर यथा शक्ति समाज की सेवा करें। प्रमोद श्रीवास्तव bhadas में दिए गए विचार लेखक के अपने हैं , कायस्थ खबर का इससे सहमत या असहमत होना अनिवार्य नहीं हैभाई और बहनों आज हम इन्ही संस्थाओं की वजह से हम पिछड़े हैं जो हमे गुमराह करती हैं। और दिशा भ्रमित कर समाज को बांटती हैं। आज एक नया स्लोगन सुनने को मिला "KADOM" अगर कायस्थ समाज को आगे बढ़ना है तो कायस्थ समाज ,दलित और मुस्लिम एक हो कर आगे बढ़ो कितनी शर्म की बात है क्या हमारे नौजवान दलित के साथ खड़े होकर आने वाले समय में आरक्षण की भीख मांगेंगे ये मदरसे में मुस्लिमों के साथ पढ़कर कटर वादी बनेगें? क्या यही सीख हम कायस्थ समाज के नौजवानों को दे रहें है।
कितनी शर्म की बात है। मैंने बड़े से बड़े आंदोलन अन्य समाज के द्वार भी देखा जो अपनी सिर्फ समाज की बात करते हैं कि समाज कैसे आगे बड़े जैसे कि जाट समाज,गुजर समाज, पाटिल समाज, मराठा समाज इत्यादि ये लोग अपने समाज के नवजवानों को आपने समाज की रक्षा और गौरव की बात करते हैं। ना कि "KADOM" जैसे घटिया सोंच को थोपते हैं।
कायस्थ बोलता है : सामाजिक नेता समाज की रक्षा और गौरव की बात करते हैं, ना कि “KADOM” जैसे घटिया सोंच को थोपते हैं- प्रमोद श्रीवास्तव
आदरणीय सभी भगवान चित्रगुप्त जी के बंसज कायस्थ समाज के भाई और बहनों को सादर प्रणाम?| मैं अपने पूर्वजों पर और अपने आप पर गर्व करता हूँ कि दुनिया की सबसे अछे कायस्थ समाज में जन्म लिया, यह समाज ऐसा जो लेखनी और विद्वता में विश्व में अग्रणी था। इसलिए हमारे इष्ट देव भगवान चित्रगुप्त जी महाराज को सभी देवताओं ने हमारे भगवान की विद्वता को देखते हुए विश्व के सभी प्राणियों के कर्मो के लेखा जोखा लिखने का कार्य दिया।
मेरे भाई और बहनों इतना बड़ा कार्य हमारे समाज को मिलने के वावजूद आज हम इतना पिछड़ क्यों गए यह विचारणीय है। सभी को इस पर गंभीरता से बिचार करना चाहिए। मैं बहुत दिनों से एक संस्था के बिसय में सुना है, और कुछ दिनों के लिए उससे जुड़ा भी था,की ये संस्था 100 साल पुरानी है इसके अध्यक्ष राजा महाराजा और उसके बाद आजाद भारत के कुछ नामचीन लोग भी रहे, पर मुझे इसकी इतनी जानकारी नहीं है और न ही कोई प्रमाण मैंने पढ़ा है।
मैंने इस संस्था के साथ ये सब सुनकर जुड़ा और समझने की कोशिश की इतनी पुरानी संस्था है तो समाज के लिए कुछ किया होगा, जैसे बिद्यालय,कॉलेज ,धर्मशाला इत्यादि जो कायस्थ समाज के लिए भला करता हो,पर कही कुछ नहीं मिला 100 साल पुरानी होने के बाद भी, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि फिर इस संस्था को बनाने का उद्देश्य क्या था,और इस संस्था का कायस्थ समाज के लिए आज का क्या उद्देश्य है।
प्यारे भाई और बहनों आज बहुत सारी सोशल मीडिया के द्वारा इस संस्था की रास्ट्रीय कार्य कारनि की बैठक देख रहा था और कायस्थों के नाम पर कायस्थ समाज की दुर्गति देख रहा था शर्म आ रही थी देख कर, हमारे देश में 29 राज्य हैं और हिंदी भाषी जहां हमारा कायस्थ समाज ज्यादा है और लोग कायस्थ समाज को जानते हैं इनमें से राज्य हैं। Bihar, Chhattisgarh, Delhi, Haryana, Himachal Pradesh, Jharkhand, Madhya Pradesh, Rajasthan, Uttarakhand and Uttar Pradesh. ये सभी हिंदी भासी राज्य हैं ,लेकिन इन सभी राज्यों से लोगों की उपस्थिति नगण्य थी इस 100 साल पुरानी संस्था के लिए।