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कायस्थ-समागम 2015 पर कुछ सुझाव – राकेश श्रीवास्तव

श्री सिन्हा जी को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए साधुवादमाननीय सिन्हा जी,कल २८ जून को पटना में होने वाले आप के सभा समागम में भाग लेने के लिए देश भर से जिस प्रकार से चित्रांशियों का आगमन हो रहा है, वह यह बताने के लिए पर्याप्त है कि देश भर का कायस्थ आप को कितना सम्मान की निगाह से देखता है, और उसे आप के नेतृत्व में कितना भरोसा है। मुझे भी उम्मीद है कि कायस्थ एकता और कल्याण के जिस उद्देश्य को लेकर पटना में महासभा का आयोजन किया जा रहा है, उस उद्देश्य की पूर्ति होगी और आप कायस्थ एकता का मार्ग प्रशस्त कर कायस्थों को उज्जवल भविष्य की मंजिल पर पहुंचाने में सफल होंगे। आप ने कायस्थ समाज के दुख दर्द, और दिक्कत परेशानी को महसूस कर उसे उम्मीद और सकून का नया सवेरा दिखाने का वीणा उठाया, इसके लिए मैं आप का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं और आप के प्रयासों की सराहना करता हूं।मान्यवर सिन्हा जी, मैं भी उत्तरी दिल्ली के कायस्थ संगठन का पदाधिकारी हूं, और कायस्थों के दुख दर्द  में शरीक होने और उनकी बेहतरी के लिए निरंतर काम करने का गुण मुझे विरासत में अपने पिताश्री से मिला है, जिन्होंने दिल्ली सरकार में वरिष्ठ पीसीएस के रूप में काम करने के बावजूद जीवन भर कायस्थों के कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार का योगदान दिया है। मैंने अपना संक्षिप्त परिचय आप को इसलिए दिया है, ताकि मैं आप को बता सकूं कि मैंने विभिन्न कायस्थ संगठनों, उनके कार्य कलापों और उनके उद्देश्यों को बहुत करीब से देखा है, और यह जाना है कि कायस्थ एकता और कल्याण की राह में कौन कौन सी बाधाएं हैं। आप के नेतृत्व और प्रयास को देख कर मेरे मन में आशा की एक नई किरण उगी है, और मैं नई उम्मीद के साथ आप से अपेक्षा करता हूं कि आप कायस्थ एकता और कल्याण की राह में आने वाली बाधाओं को पार कायस्थ समुदाय को देश की राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुख्य धारा की प्रमुख ताकत बनाने में सफल हो सकेंगे।मान्यवर, देश में कायस्थ कल्याण और एकता के घोषित उद्देश्य को लेकर देश भर में हजारों की तादाद में कायस्थ संगठन काम कर रहे हैं, पर इसके बावजूद कायस्थ कायस्थ में आपसी बंधुत्व की भावना नहीं विकसित हो पा रही, और न अन्य जातियों की तरह एकजुट हो कर कायस्थ बिरादरी देश की चुनावी राजनीति की मजबूत ताकत नहीं बन पा रही, तो इसके पीछे कुछ न कुछ कारण अवश्य होगा। वह कारण यह है कि हजारों की संख्या में कायस्थ संगठन होने के बावजूद सभी संगठन टुकड़ों में बंटे हुए हैं। उन संगठनों के  कर्ता धर्ता कायस्थ कल्याण की जगह अपने निजी कल्याण को लेकर आपसी लड़ाई में उलझे हुए हैं। अपनी इस प्रवृत्ति के चलते वे न तो कायस्थ समुदाय की समस्याओं को समझ पा रहे हैं, और न तो उसे दूर करने की राह में कोई कारगर कदम ही उठा पा रहे हैं। कायस्थ संगठनों की ऐसी ही हरकतों के चलते आम कायस्थ न तो उनसे जुड़ पा रहा है, और न विश्वास की नजर से देख ही पा रहा है। कायस्थ संगठनों की इस प्रकार की कमी के चलते ही कायस्थ समुदाय में एकता की भावना विकसित नहीं हो पा रही है। यह कायस्थों के बिखराव का ही परिणाम है कि प्रबुद्ध और प्रभावी संख्या होने के बाद भी कायस्थ मजबूत राजनीतिक ताकत नहीं बन पाया है। अगर देश में कुछ राजनीतिक कायस्थ नेता हैं भी, तो वे कायस्थों की इसी कमी के चलते माॅस नेता नहीं बन पा रहे हैं। आप को कायस्थ और कायस्थ प्रवृत्ति की इन्हीं खामियों को दूर कर कायस्थ समुदाय को देश की एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बनाना है। जब तक कायस्थ देश की राजनीतिक ताकत नहीं बनेगा, वह सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिए पर ही रहेगा।एक सर्वमान्य तथ्य यह है कि एक कुशल नेतृत्व के बिना कोई भी समाज चतुर्दिक विकास नही कर सकता। कुशल नेतृत्व की नीतियों और विचार धारा से ही समाज में जागरूकता और संचेतना आती है जबकि समुदाय के विकास के लिए जागरूकता और संचेतना मूल मंत्र होती है। मुझे विश्वास है कि आप में इस प्रकार के गुणों की कमी नहीं है। आप समान विचार के लोगों को एक मंच पर ला कर कायस्थ एकता का सपना साकार करेंगे और कायस्थों को देश की मजबूत राजनीतिक ताकत बनाने में सफल होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।आप का शुभेक्षुराकेश श्रीवास्तव

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