“सकल पदारथ एही जग माही, कर्महीन नर पावत नाही ” आरक्षण और कायस्थ समाज
भगवान ने हम संसार की संरचना करते समय सिर्फ और सिर्फ मानव जाति को ही दिमाग दिया, पर हम उसका प्रयोग किस लिए इसी पर निर्भर करता है कि हमने क्या पाया और क्या खोया।
कायस्थों को भी आरक्षण का लाभ देने या आरक्षण को समाप्त करने के संबंध में कुछ बंधुओं द्वारा अपनी सारी ऊर्जा लगायी जा रही है। वे एक ऐसे पत्थर पर सर पटक रहे हैं, जहां से कोई नदी नहीं निकलती। वर्ष 1990 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार के समय पिछडा वर्ग को आरक्षण देने के मुद्दे पर मंडल कमीशन की रिपोर्ट सरकार द्वारा लागू किये जाने पर पूरे देश में आंदोलन भडक उठा था, जिसमें सैकडों लोगों की बलि चढी थी लेकिन सरकार अपने निर्णय पर अडिग रही। जो लोग उस आंदोलन की आहूति की भेंट चढ गये, उन परिवारों की सुधि लेने वाला आज कोई नहीं है। 25 वर्ष से ज्यादा का समय व्यतीत हो चुका है।
क्या ऐसी ही कोई आहुति आरक्षण विरोधी आंदोलन के समर्थक अपने कायस्थ बंधु व परिवारों से चढवाना चाहते हैं। अपनी जो ऊर्जा वे उस आंदोलन में लगा रहे हैं, उस ऊर्जा को अगर कायस्थ युवाओं को रोजगार के वैकल्पिक साधन ढूढने के कार्य में लगाया जाये तो आरक्षण से प्राप्त होने वाली नौकरियों से कई गुना रोजगार के अवसर हमारे युवाओं को प्राप्त होंगे।
क्या सरकारी नौकरी ही एकमात्र रोजगार का साधन है, जिसे सरकारी नौकरी नहीं मिलती, वो भूखा मर जाता है क्या। किसी भी आंदोलन का
औचित्य सर्वसमाज की बेहतरी होती है और सर्वसमाज की बेहतरी रोजगार के अवसर बढाने से होगी न कि अनावश्यक के समय खाने वाले आंदोलनों से।
इसलिए मेरा सबसे विनम्र निवेदन है कि अनावश्यक के आंदोलनों के चक्कर से निकल कर रोजगार के विकल्पों को ढूढे और अपने कायस्थ युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में सहायता करें।
जय चित्रांश।
आपका साथी
संजीव सिन्हा
सदस्य संचालन मंडल/एडमिन
कायस्थ वृन्द एवं जय चित्रांश आंदोलन
मो.नं. 9335721679 / 8400800171