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संघर्षो से भरा रहा है लाल बहादुर शास्त्री की पुत्रवधू नीरा शास्त्री का सफर

अगर आप आज के प्रपेक्ष मे बात करेंगे तो पाएंगे कि भारतीय राजनीति मे महिला राजनेत्रियों का योगदान, भागीदारी और सक्रियता पहले की तुलना मे बढ़ी है। एक तरफ काँग्रेस की इन्दिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थी तो आगे चलकर उनकी पुत्रवधू सोनिया गांधी ने काँग्रेस की कमान अपने हाथो मे ली, तो दूसरी तरफ बीजेपी की सुषमा स्वराज (जो आज विदेश मंत्री है, पूर्व मे दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी है), वसुंदरा राजे (राजस्थान की वर्तमान सीएम), स्मृति ईरानी (केंद्रीय शिक्षा मंत्री), मायावती (यूपी की पूर्व सीएम) एवं अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीति मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हम कह सकते हैं कि देश की कई राजनीतिक परिवारों की महिलाओ (बहुओ) का दबदबा भारतीय राजनीति मे रहा है। इसी शृंखला को आगे बढ़ाते हुए कायस्थ खबर के संपादक आशु भटनागर एवं सह-संपादक रोहित श्रीवास्तव ने बात की है शास्त्री परिवार की सबसे छोटी बहू और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता श्रीमति नीरा शास्त्री से, जिन्होने अपने राजनीतिक करियर मे संगठन एवं अन्य संवैधानिक संस्थाओ मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस साक्षात्कार के कुछ अंश नीचे दिये हुए है :- कायस्थ खबर: आपकी शादी अशोक जी (अशोक शास्त्री-लाल बहादुर शास्त्री के सबसे छोटे पुत्र) से कब और कैसे हुई? नीरा शास्त्री: अशोक जी से मेरी अरेंज मैरेज (व्यवस्थित विवाह) सारे रीति-रवाजों के साथ दिल्ली के 21, अशोका रोड पर 19 मई 1977 को हुई थी। कायस्थ खबर: अशोक जी की मृत्यु के बाद आपके जीवन मे आए उतार-चढ़ाव के बारे मे बताए?नीरा शास्त्री: उनकी मृत्यु के बाद मुझे काफी संघर्ष करना पड़ा। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार मे, पेट्रोल सचिव टी एन राव के द्वारा हमे पेट्रोल पंप आवंटित तो हुआ जिसे परिवार के लोगो ने बाद मे अस्वीकार कर दिया था। एक समय मेरे खाते मे केवल 17 रूपए थे। उसके बाद बच्चो की देखभाल करना और परिवार संभालते हुए राजनीति मे सक्रियता बढ़ाना मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। आपके परिवार मे कौन-कौन हैं?नीरा शास्त्री:  मेरे अलावा मेरी तीन बेटियाँ (मंदिरा, महिमा, मालविका) और 1 बेटा (समीप) है। कायस्थ खबर : तीन बेटियाँ ? हमारी जानकारी के अनुसार आपकी दो बेटियाँ और 1 बेटा है? नीरा शास्त्री:  जी, आपने सही सुना है,  मैं अपनी बहू (मालविका) को ‘बेटी’ ही मानती हूँ। मेरा मानना है कि हमे अपनी ‘बहू’ को हमेशा बेटी ही मानना चाहिए। कायस्थ खबर: आपको राजनीति मे आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?नीरा शास्त्री: मैंने राजनीति मे आने से पहले टाटा स्टील के साथ काम किया था।  मैं उनके (टाटा स्टील के) कॉर्पोरेट ऑफिस मे उच्च-पद पर कार्यरत थी जब मुझे अटल जी और आडवाणी जी ने नौकरी छोड़ बीजेपी मे आने को कहा। कायस्थ खबर: अपने राजनीति सफर और उससे जुड़े अनुभवो को हमसे सांझा करे? नीरा शास्त्री: मैंने तीन दशक से पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) के सभी छोटे-बड़े पदों पर बड़ी ज़िम्मेदारी के साथ काम किया है, मुझे पार्टी ने जो काम दिया है उसको मैंने बड़ी तत्परता और मेहनत के साथ किया है। महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय सचिव, दिल्ली की प्रदेशीय इकाई मे उपाध्यक्ष के अलावा बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी मे सदस्य रह चुकी हूँ। मैंने राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के सदस्य के तौर पर काम करते हुए जोधपुर, कोचीन, ग्वालियर, हैदराबाद, चेन्नई सहित समूचे देश मे लोगो समस्याओ को हल करने का काम किया है। आज भी लोग मेरे पास अपनी समस्या के साथ आते हैं और मैं उनकी यथासंभव मदद भी करती हूँ। आप आज खुद को भारतीय राजनीति मे कहाँ देखती हैं?नीरा शास्त्री: मैंने पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) को अपने लगभग तीन दशक दिये हैं, अब पार्टी को भी (मेरे समर्पण और वर्षो की मेहनत के लिए) सम्मानजनक पद देना चाहिए। आज भी पार्टी महत्वपूर्ण कार्यो के लिए मुझे बुलाती है। मैंने पार्टी के शीर्ष नेताओ लाल कृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ साथ नरेंद्र मोदी के साथ भी काम किया है। कायस्थ खबर: आपको अक्सर कायस्थ-समाज के कार्यक्रमों मे देखा जाता है, आप ने खुद को चित्रांश समाज से कैसे जोड़ रखा है? नीरा शास्त्री:  मैं अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की महिला अध्यक्ष रही हूँ। जब हम मोती लाल नेहरू स्थित निवास पर रहते थे तो हर गुरुवार कायस्थ समाज की एक मीटिंग रखते थे। मैंने देशभर मे हो रहे विभिन्न कायस्थ कार्यकर्मों मे जगह-जगह कर कायस्थों को एक होने के लिए प्रेरित किया है। कायस्थों का भारतीय राजनीति मे भविष्य क्या देखती हैं?नीरा शास्त्री:  राजनीति मे अपनी भूमिका को निश्चित करने के लिए चित्रांशों को एकजुट होना होगा। हमे अनुभवी यशवंत सिन्हा, आर के सिन्हा एवं अन्य लोगो के साथ एक केंद्रीय समिति का निर्माण करना चाहिए जो देशभर मे ऐसे (युवा) चित्रांशों की पहचान कर सकें जो राजनीति मे आना चाहते हैं ताकि उन्हे सक्रिय राजनीति मे आने के लिए और प्रशिक्षित किया जा सकें।

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