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२६ जुलाई : संगत और पंगत , प्रगतिशील बुद्धिजीवी सम्मलेन सहित कई कायस्थ समाज के आयोजनों का दिन

आखिर २६ जुलाई का दिन आ ही गये है , आज देश मैं मैं कायस्थों के लिए कई आयोजनों का दिन है , जिनमे दिल्ली मई राज्य सभा सांसद श्री आर के सिन्हा के आवास पर हर महीने के आखरी रविवार को होने वाला मासिक संगत और पंगत शाम ५ बजे से होना है तो बिहार से आ रही खबरों को देखे तोआज  अबसे थोड़ी ही देर  दो कायस्थ के सम्मलेन हो रहे है जिसमे अखिल भारतीय कायस्थ महासभा बिहार के अध्यक्ष और जनता दल के स्पोक्सपर्सन श्री राजीब रंजन जी का “कायस्थ महाकुम्भ ” और लालू प्रसाद यादव की पार्टी के के श्री विनोद कुमार श्रीवास्तव का “प्रगतिशील बुद्धिजीवी सम्मलेन ” हैं इसके अलावा लखनऊ मैं कायस्थवृन्द व्यापार प्रकोष्ठ ने भी कायस्थो को रोजगार उपलब्ध कराने संबंधी वार्ता हेतु एक वार्ता का आयोजन किया है मासिक संगत और पंगत एक सामाजिक कार्यक्रम है और इसका अपना सामाजिक महत्व है , इसके  आयोजक श्री आर के सिन्हा ने कायस्थ खबर को बताया की  इस आयोजन का उद्देश्य न तो राजनीतिक है, न ही कोई नया संगठन खड़ा करना है। उद्देश्य को स्पष्ट करने के लिए ये दो पंक्तियाँ पर्याप्त है:- "हम कौन थे, क्या हो गये हैं?, और क्या होंगे अभी। आओ सभी मिल बैठकर, इसपर विचारें, हम सभी।।" पिछले पाँच दशक के अपने राजनीतिक-सामाजिक जीवन में समाज से लोगों की अपेक्षाएँ बहुत देखी - सुनी हैं। लोगों को समाज से सम्मान चाहिए, पद चाहिए, प्रतिष्ठा चाहिए। जो संभव है वह भी चाहिए और जो असंभव है वह भी चाहिए। यह चाहत, ससुरी ऐसी बीमारी है कि जिसे लग जाये, मरते दम तक जाती ही नहीं। मित्रों, मुझे समाज से अब कुछ भी नहीं चाहिए। समाज ने मुझे ज़रूरत से ज़्यादा दिया है। अब तो जीवन पर्यन्त मुझे समाज के ज़रूरतमंद भाइयों/बहनों को सिर्फ़ देना ही देना है। सेवा करनी है। सेवा का मार्ग ही सर्वोत्तम है। इसीलिए तो मैं बार- बार कहता हूँ कि एक ही मूल मंत्र है;- संगत (सार्थक विचार विमर्श) करते रहो और पंगत (साथ बैठकर भोजन) पाते रहो। धीरे- धीरे विचार एक होते जायेंगे और एक मज़बूत संगठन खड़ा हो जाएगा। सेवा का मार्ग सर्वोत्तम है। सेवा से ही संगठन खड़ा होगा, नेतागिरी से नहीं। उधर लखनऊ मैं भी कायस्थों को व्यापार से सम्बन्धी समस्याओं के निराकरण के लिए श्री संजीव सिन्हा जी ने ओने आवास पर एक सेमीनार का आयोजन किया है , श्री सिन्हा ने कायस्थ  खबर को बताया कि पिछले १०० सालो मैं  कायस्थों का रुझान नौकरी पर ही रहा है जिसके चलते आज के बदलते दौर मैं वो अपने आप को स्थापित करने मैं सफल नहीं हो पा रहा है और उसका फायदा कुछ लोग आरक्षण विरोध जैसे गलत कामो मैं उनको लगाकर कायस्थ समाज का ही नुक्सान कर रहे है I इसी लिए ये प्रयोग शुरू किया हा ताकि युवा कायस्थों को अवसरों की पहचार करकर कर उन्हें व्यापार मैं लगाया जा सके है इधार बिहार की धरती पर इसके उलट अलग ही जंग चल रही है , राजनैतिक चेतना के नाम पर पिछले दिनों जब कायस्थ समागम हुआ तो उसको बीजेपी का कार्यक्रम कहकर विरोध करने वाले आज खुद एक दुसरे के सामने अपनी अपनी राजनातिक प्रतिबध्ताओ को साबित करने के लिए "कायस्थ महाकुम्भ " और “प्रगतिशील बुद्धिजीवी सम्मलेन ” नाम से एक ही दिन दो बड़े कायस्थ सम्मलेन करने का दावा कर रहे है I ये भी आश्चर्यजनक जी है की कायस्थों के नाम पर होने वाले इन कार्यक्रमों मैं बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव् के पहुचने के भी दावे किये जा रहे है I जिससे कायस्थों मैं भ्रम की स्थति मैं की है की आखिर ये कायस्थ समाज के  सम्मलेन हो रहे है या फिर कायस्थों के नाम पर राजनातिक सम्मलेन कराकर अपनी पार्टी ने शीर्ष नेताओं को खुश करने की कवायद I बरहराल देखना ये अद्भुत रहेगा की आज का दिन कायस्थों को कितना कुछ देकर जाएगा ?

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