इलाज खर्च 16 लाख, तनख्वाह सिर्फ नौ हजार- पीड़ित कायस्थ को है समाज और सरकार से मदद की दरकार
साभार पत्रिका न्यूज़ , जयपुर I सस्ते इलाज की आस में मुंबई से 1150 किलोमीटर की दूरी तय कर जयपुर पहुंचे। मुझे लगा कि छोटे शहर में इलाज सस्ता होगा। लेकिन, यहां भी इलाज करवा पाना नामुमकिन है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से गरीब पार पा नहीं सकते हैं।
पैसे वपर्याप्त इलाज के अभाव में बीमारी उन्हें लील ही जाती है। नवीं मुंबई निवासी हेमलता सिन्हा ने शुक्रवार को रुंधे हुए गले से अपनी पीड़ा जाहिर की। हेमलता के पति महेश सिन्हा लीवर की गंभीर बीमारी से पीडि़त है। डॉक्टरों के अनुसार लीवर कैंसर में लीवर का ट्रांसप्लांट अंतिम विकल्प है।
मुंबई के ग्लोबल अस्पताल और केईएम अस्पताल में ट्रांसप्लांट के 25 लाख रुपये मांगे। महेश इतनी बड़ी रकम कहां से दे पाते। दरअसल, महेश बीमारी के चक्कर में पडऩे से पहले एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौ हजार रुपए मासिक तनख्वाह पर नौकरी करते थे।
एेसे में 25 लाख रुपए का खर्च उठा पाना पूरे परिवार के लिए संभव नहीं था। सस्ते और अच्छे इलाज की तलाश में पति-पत्नी ने जयपुर स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में संपर्क किया। यहां इलाज के खर्च पर थोड़ी राहत देते हुए ट्रांसप्लांट का खर्च 16 लाख बताया गया। महेश कुछ दिनों तक महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती रहे।
लेकिन, आर्थिक तंगी के कारण उनके लिए अस्पताल का खर्च उठाना संभव नहीं हो पाया तो अस्पताल ने उन्हें डिस्चार्ज कर दिया है। अब वे दर-दर भटकने को मजबूर है। हेमलता ने बताया कि उसके दो बच्चे है। इलाज की आशा में वे यहां दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर है।
दंपत्ती के दोनों बच्चे मुंबई में हैं। दो साल पहले बीमारी के कारण उसके पति ने काम पर जाना छोड़ दिया था। राजधानी के अस्पतालों में रोगियों को अपेक्षाकृत सस्ती व अच्छी सुविधाएं दी जा रही हैं। सस्ते इलाज की चाह में न केवल दूसरे प्रदेशों बल्कि दूसरे देशों से भी मरीज यहां आ रहे हैं।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, महात्मा गांधी अस्पताल में दिल्ली-मुंबई के मुकाबले लीवर ट्रांसप्लांट सस्ता है। इसकी वजह यह है कि यहां ट्रांसप्लांट कुछ महीने पहले शुरू हुआ है जबकि दिल्ली-मुंबई में काफी पहले से हो रहा है।
वहां के अस्पतालों में मरीजों की कतार लंबी है व नई तकनीक की वजह से इलाज महंगा है। दिल्ली-मुंबई के मुकाबले यहां किसी भी सर्जरी का खर्च 25-30 फीसदी कम है। बड़ा सवाल राजधानी में 20 लाख बीपीएल परिवार है।
वहीं लाखों लोग निम्न मध्यमवर्ग से हैं, जिनकी आय 20-30 हजार रु. है। 30-40 हजार रु. की आमदनी वाला परिवार भी लीवर या किडनी ट्रांसप्लांट, कैंसर के इलाज का लाखों का खर्च कैसे उठा पाएंगे।