दिनांक 22.11.15 को श्री हरिओम श्रीवास्तव जी के घर पर हुयी बैठक में ट्रस्ट के गठन पर चर्चा की गयी थी। उस बैठक में श्री अभिषेक श्रीवास्तव एडवोकेट इलाहाबाद ने श्री त्रिपुरारी प्रसाद बक्सी द्वारा प्रेषित एक सैम्पल डीड प्रस्तुत किया, जिसमें अभिषेक जी का नाम सेटलर के रूप में तथा त्रिपुरारी जी का नाम फाउंडर के रूप में अंकित था। इसमें कहीं भी किसी अन्य नाम का उल्लेख नहीं था। उस दिन की बैठक में सबसे पहले श्री धीरेन्द्र श्रीवास्तव जी ने अपने परिवार की सोसायटी ”कमला प्रसाद सोसायटी आफ इंडस्ट्रियस फेमिलिज” की शाखा लखनऊ में खोल कर उसे चलाने तथा मौजूद सभी लोगों को उसमें सदस्य के रूप में ऐड करने की बात कही। उनकी बात से उपस्थित कोई भी सदस्य सहमत नहीं हुआ तो वे खामोश हो गये। पहले तो यही बहस हुयी कि सोसायटी का पंजीकरण हो या ट्रस्ट का। बाद में ट्रस्ट पर सहमति बनी। इस बैठक में श्री धीरेन्द्र श्रीवास्तव, श्री दीपक श्रीवास्तव, श्री बृजेश श्रीवास्तव, श्री अशोक श्रीवास्तव, श्री संजीव सिन्हा, श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव, श्रीमती रमन सिन्हा, श्रीमती सुकेशनी सिंह, श्रीमती प्रमिला श्रीवास्तव आदि लोग मौजूद थे। मौजूद लोगों में किसी को नहीं पता था कि ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन कहां होगा। ट्रस्ट के पंजीकरण पर सहमति बनने के बाद मुझे जिम्मेदारी सौंपते हुये सारी जानकारी प्राप्त कर हरिओम जी के साथ कार्यवाही हेतु कहा गया। ट्रस्ट की कार्यकारिणी महिलाओं द्वारा संचालित किये जाने पर भी सहमति हुयी। सदस्य संख्या क्या होगी, इस पर जानकारी न होने के कारण उस समय श्री हरिओम श्रीवास्तव, संजीव सिन्हा, श्री धीरेन्द्र श्रीवास्तव, श्री बृजेश श्रीवास्तव, श्री अभिषेक श्रीवास्तव, श्री त्रिपुरारी प्रसाद बक्सी और श्री पुनीत सक्सेना के नाम सम्मिलित किये जाने पर सहमति व्यक्त की गयी। तदोपरान्त मेरे द्वारा सोसायटी रजिस्ट्रार के कार्यालय में जाकर पता करने पर बताया गया कि ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन तहसील में होता है। इसकी जानकारी मेरे द्वारा फोन से हरिओम जी, धीरेन्द्र जी, त्रिपुरारी जी आदि को दी गयी। इसके बाद मेरे द्वारा श्रीमती सुकेशनी सिंह के दामाद श्री पंकज श्रीवास्तव, जो हाईकोर्ट में कार्यरत हैं, से सम्पर्क कर ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन के बारे में पूछे जाने पर उन्होने अपने परिचित वकील श्री दिलीप श्रीवास्तव का नम्बर देकर सम्पर्क करने को कहा। दिनांक 14.12.16 को दिलीप जी से सम्पर्क करने पर उन्होने मुझे तहसील में पंजीकृत ट्रस्ट डीड की एक कापी निकलवा कर देते हुये बताया गया कि इसमें अपनी जरूरत के अनुसार उद्देश्य व सदस्य संख्या रख कर ड्राफ्ट तैयार कर कल लेकर आयें। इसके पश्चात मैं हरिओम जी के साथ अपने घर आया, जहां पर इनकी पत्नी श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव भी थी। मैंने और हरिओम जी ने ट्रस्ट डीड को पढ़कर चित्रांश वेलफेयर ट्रस्ट की डीड को तैयार किया। इसी समय यह तय किया गया कि जब ट्रस्ट में ट्रस्टी की संख्या कुछ भी हो सकती है तो फिर हर परिवार से एक-एक महिला सदस्य तथा कुछ और परिवारों को भी जोड लिया जाये और इस प्रकार पूर्व के 7 पुरूष व उनके परिवार की 7 महिलायें तथा अशोक जी, श्रीमती प्रमिला जी, विनीत कुमार, श्रीमतीसृष्टि श्रीवास्तव तथा श्रीमती सुकेशनी सिंह के नाम सर्वसहमति से ट्रस्टी के रूप में कर कुल 19 ट्रस्टी हुये। सुकेशनी जी के पुत्र भारत से बाहर रहते हैं, इसलिए उनको नहीं जोडा जा सका। इसके लिए सभी से फोन करके सहमति ली गयी थी और इतने लोगों को जोडे जाने का उल्लेख ट्रस्ट के कार्यवाही रजिस्टर में श्री हरिओम श्रीवास्तव जी के हस्तलेख में मौजूद है। फाइनल ड्राफ्ट तैयार होने के बाद हरिओम जी व कुसुम जी रात में लगभग 9 बजे अपने घर गये। दिनांक 15.12.16 को हम दोनों लोग तहसील जाकर दिलीप जी से मिले और उनके द्वारा डीड को कम्प्यूटर पर टाइप कराकर उसकी एक-एक प्रति मुझे व हरिओम जी को तथा एक प्रति स्वयं पढने के लिये लेकर कहा कि इसे मैं भी अच्छी तरह पढ लेता हूं और आपलोग भी पढ लीजिये। कल सुबह जल्दी आइयेगा और दो गवाह चाहे वे घर के हो या ट्रस्टी हो, लेकर आइयेगा। कल पंजीकरण करा दूंगा। दिनांक 16.12.15 को अवकाश होने के कारण पंजीकरण का काम नहीं किया जा सका। इसी दिन धीरेन्द्र जी से बात करने पर उन्होंने श्रीमती नीरज श्रीवास्तव को भी ट्रस्टी बनाने की सलाह दी। मेरे द्वारा श्रीमती नीरज श्रीवास्तव से फोन से पूछे जाने पर उनके द्वारा धनराशि न होने की बात कहते हुये मना कर दिया गया। दिनांक 17.12.16 को मैं, रमन सिन्हा, हरिओम जी व कुसुम जी तहसील पहुंचे तथा डीड में हुये संशोधनों को ठीक कराकर स्टैम्प पेपर पर प्रिण्ट लेकर दिलीप जी के माध्यम से सभी के हस्ताक्षर कराकर रजिस्ट्रार कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया गया परन्तु, उस दिन रजिस्ट्रेषन नहीं हो सका। अगले दिन दिनांक 18.12.15 को हम चारो लोग 10 बजे से पहले ही पहुंच गये तथा रजिस्ट्रार से बात करके पंजीकरण का कार्य संपन्न कराया गया। तदोपरान्त पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हम लोग श्री धीरेन्द्र श्रीवास्तव जी की पत्नी जो एक्सीडेन्ट के कारण आन बेड थी, को देखने के लिए इलाहाबाद चले गये। इलाहाबाद में हमने धीरेन्द्र जी को सारी बाते बतायीं और देर रात वापस आये। दिनांक 19.12.15 को ट्रस्ट के कार्यवाही रजिस्टर में हरिओम जी के हस्तलेख में कार्यकारिणी के गठन की बात अंकित की गयी, जिसके अनुसार अध्यक्ष के पद पर श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव, महामंत्री के पद पर श्रीमती रमन सिन्हा, कोषाध्यक्ष के पद पर श्रीमती सुकेशनी सिंह तथा शेष महिलायें सदस्य के रूप में नामित की गयीं। इन पदाधिकारियों के नामांकन के सम्बन्ध में श्री धीरेन्द्र श्रीवास्तव जी द्वारा दिये गये निर्देश के अनुसार नियुक्ति की गयी थी। दिनांक 20.12.15 को मेरे द्वारा दिलीप जी से डीड की मूल कापी प्राप्त कर उसकी छायाप्रति अपने पास रखकर मूल डीड श्री हरिओम श्रीवास्तव जी को दे दी गयी। ट्रस्ट के सदस्यता फार्म छपने के बाद उन फार्मो तथा ट्रस्ट डीड की एक काफी फैजाबाद जाकर श्री बृजेश श्रीवास्तव को दी गयी। इसी प्रकार सारे ट्रस्टी को डीड की कापी तथा फार्म व्यक्ति रूप से या डाक से भेजे गये। दिनांक 7.1.16 को हरिओम जी के घर के निकट साउथ सिटी में यूनियन बैंक में ट्रस्ट का खाता अध्यक्ष, महामंत्री व कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षरों से खोला गया, जिनमें से कोई दो पदाधिकारी चेक पर हस्ताक्षर करके धनराशि निकाल सकता था। बैंक के खाते में धनराशि के आवागमन के बारे में सूचना के लिये हरिओम जी का ही मोबाइल नम्बर रजिस्टर्ड कराया गया, बैंक की पासबुक व चेकबुक भी हरिओम जी के पास ही रहती है। लखनऊ के श्री पंकज भैया कायस्थ और गिरीडीह के श्री शिवेन्द्र सिन्हा द्वारा ट्रस्ट की स्थायी सदस्यता लिये जाने पर उनको महामंत्री के हस्ताक्षर से दिये गये पत्र पर हरिओम जी द्वारा मुझे फोन करके तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कठोर शब्दों में अध्यक्ष के हस्ताक्षर कराकर ही प्रमाणपत्र देने हेतु निर्देशित किया गया, जबकि नियमावली के अनुसार इसके लिये महामंत्री अधिकृत है। उनकी भाशाशैली से क्षुब्ध होकर मैंने, रमन सिन्हा, मेरी पुत्री व दामाद सहित धीरेन्द्र जी, बृजेश जी व हरिओम जी के पर्सनल वाटस ऐप पर त्यागपत्र की पेशकश की। इस पर बृजेश जी की मध्यस्थता से हरिओम जी और कुसुम जी सामान्य हुये परन्तु दिनांक 7.2.16 को ट्रस्ट की बैठक में हरिओम जी और बृजेश जी द्वारा पुनः ये प्रकरण उठाया गया। इस बैठक में अभिषेक जी द्वारा कुछ सवाल उठाने पर महामंत्री द्वारा उनको जवाब देने का कई सदस्यों ने महामंत्री की अनावश्यक आलोचना की। इसी बैठक में मैने ट्रस्ट डीड को पूरा पढकर सभी लोगों को सुनाया और ट्रस्टी न होने के बावजूद भी बैठक में मौजूद श्रीमती सुकेशनी सिंह के दामाद श्री पंकज श्रीवास्तव ने ट्रस्ट डीड की प्रशंसा करते हुये कहा कि बहुत अच्छी डीड है। दिनांक 12.3.16 की ट्रस्ट की बैठक के पूर्व बृजेश जी अभाकाम प्रकरण पर अनावश्यक बहसबाजी कर ग्रुप का माहौल तनावपूर्ण कर चुके थे और उस दिन दो घंटे तक वे बोलते रहे। धीरेन्द्र जी सिर्फ उनकी सुनते रहे। इसके बाद हरिओम जी द्वारा अचानक बिना किसी एजेंडा के उपाध्यक्ष पद का प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया गया, जबकि नियमावली के अनुसार 2/3 सदस्य लिखित रूप में किसी प्रस्ताव को प्रस्तुत करते हैं। उसके बाद उसके औचित्य पर बहस होती है, फिर प्रस्ताव पारित किया जाता है। पर यहां प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुये हरिओम जी ने सीधे प्रस्ताव रखा, बिना चर्चा के अफरा-तफरी में पारित करा दिया और उस पर प्रमिला जी को नामित कर दिया। इस अवैधानिक प्रक्रिया के दृष्टिगत मेरे द्वारा अगली बैठक में पुष्टि की बात कार्यवाही रजिस्टर में लिखी गयी। रात में हरिओम जी व कुसुम जी मेरे घर आये और बताये कि उपाध्यक्ष पद का सुझाव धीरेन्द्र जी ने दिया था और कहा था कि संजीव जी से बात हो गयी है। मैने धीरेन्द्र जी से बात किया तो उन्होने इस बात से इंकार किया। दिनांक 15.3.16 को हरिओम जी द्वारा ट्रस्ट की कार्यवाही का विवरण वाटस ऐप ग्रुप में डाला गया, जिसमें एक सक्रिय सदस्य के योगदान का जिक्र न होने पर धीरेन्द्र जी द्वारा एक पोस्ट में उनके योगदान का उल्लेख करते हुये पोस्ट बनाकर पर्सनल पर भेजने के लिये कहा गया, जो मैने धीरेन्द्र जी को भेज दिया। उसके बाद उनके द्वारा उसमें आवश्यक संशोधन कर रमन सिन्हा के पर्सनल वाटस ऐप पर भेजते हुये सभी ग्रुपों में भेजने हेतु निर्देशित किया गया, जिसका रमन सिन्हा ने अनुपालन किया। रमन सिन्हा द्वारा पोस्ट डालने के कुछ ही देर बाद हरिओम जी ने नियम विरूद्ध जाते हुये सभी वाटस ऐप ग्रुप पर रमन सिन्हा को स्पष्टीकरण नोटिस भेजते हुये उनसे माफी मांगने तथा माफी न मांगने पर कडी कार्यवाही की धमकी दी। एक पदाधिकारी का स्पष्टीकरण सिर्फ मीटिंग में ही मांगा जा सकता है, जिसको सिर्फ अध्यक्ष ही मांग सकता है, संयोजक नहीं। इस सम्बन्ध में धीरेन्द्र जी द्वारा मुझे व रमन सिन्हा को फोन करके कोई प्रतिक्रिया न देने को कहा गया। परन्तु, उनके द्वारा इस सम्बन्ध में न तो कोई निर्देश हरिओम जी को दिये गये और न ही स्वयं ही कोई पोस्ट डालकर विवाद समाप्त करने का प्रयास किया गया। इसके बाद श्री बृजेश श्रीवास्तव, श्री अशोक श्रीवास्तव, श्रीमती प्रमिला श्रीवास्तव, श्री अभिषेक श्रीवास्तव, श्री पुनीत सक्सेना आदि द्वारा गुटबाजी करके रमन सिन्हा की योग्यता, गृहिणी होने, भावुक होने पर आक्षेप आदि आरोप रोज ग्रुप में लगाये जाने लगे। मैंने धीरेन्द्र जी से हस्तक्षेप करने के लिये कहा तो उन्होंने धैर्य रखने और होली के अवकाश में आकर मामला समाप्त कराने के लिए कहा परन्तु, न तो वे आये और न ही कोई प्रभावी कार्यवाही किये। अंततः विवादों से खिन्न होकर मैंने ट्रस्ट को सर्वसहमति से निलंबित करने का सुझाव दिया। दिनांक 28.3.16 को वाटस ऐप पर आनलाइन मीटिंग में विरोध में पडे मतों का सम्मान करते हुये दिनांक 29.3.16 को मेरे द्वारा हरिओम जी से ट्रस्ट के सदस्यों के नाम व आय-व्यय का विवरण मांगा, जो कि नहीं दिया गया और अनर्गल आरोपों का बहाना करते हुये स्वयं हिसाब-किताब करके अध्यक्ष श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव द्वारा कोषाध्यक्ष श्रीमती सुकेशनी सिंह से दुरभिसंधि कर ट्रस्ट का पैसा चेक के माध्यम से निकालकर सदस्यों को ट्रस्टी के माध्यम से भेज दिया गया। इस कार्यवाही का अंकन न तो ट्रस्ट के कार्यवाही रजिस्टर में किया गया और न तो इसकी सूचना मुझ सह-संयोजक व महामंत्री को देने की आवष्यकता समझी गयी। इसके पश्चात हरिओम जी व कुसुम जी की सहमति से सुकेशनी जी द्वारा सारी सूचना सभी महिला वाटस ऐप ग्रुपों में डाली गयी। उपरोक्त तीनों लोगों द्वारा किये गये गैरकानूनी कृत्य के लिय महामंत्री द्वारा कानूनी नोटिस दी गयी और इसी से बौखलाये हरिओम जी व उनके समर्थकों द्वारा रमन सिन्हा पर अनर्गल व मर्यादाहीन आरोप लगाये जा रहे हैं। सारे सबूत न्यायिक कार्यवाही में ही प्रस्तुत किये जायेंगें। इसके उपरान्त गाजियाबाद की कायस्थ नेत्री श्रीमती कविता सक्सेना द्वारा तथा बाद में कायस्थ वाहिनी प्रमुख श्री पंकज भैया कायस्थ द्वारा ट्रस्ट का विवाद सुलझाने के लिये मध्यस्थता करते हुये दिनांकः 28.4.16 को दोपहर में 1 बजे सभी ट्रस्टियों को अपने कार्यालय में बुलाया गया। परन्तु, वहां पर मेरे और रमन सिन्हा के सिवा कोई ट्रस्टी नहीं पहुंचा। इस पर पंकज जी द्वारा सभी से इस्तीफा लिख कर वाटस ऐप भेजने तथा मूल कापी अपने कार्यालय में भेजने की बात कही गयी। श्री हरिओम श्रीवास्तव, श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव एवं श्रीमती सुकेशनी सिंह द्वारा ट्रस्ट के बैंक खाते से सारा पैसा निकालकर ट्रस्टीज और सदस्यों को दिया जा चुका है परन्तु, अभी तक किसी भी ट्रस्टी ने इस्तीफा नहीं भेजा और न ही ट्रस्ट की मूल डीड ही नष्ट की गयी है। इसका क्या आशय लगाया जाये कि ये लोग फिर से ट्रस्ट प्रारंभ करने के लिय दुरभिसंधि कर रहे हैं। इस गैरकानूनी कार्य के बाद मैं एफआईआर कायम कराने जा रहे था परन्तु, समाज के कई गणमान्य लोगों द्वारा यह कह कर मना किया गया कि बुजुर्ग लोगों को इस समय पुलिस कार्यवाही में नहीं डालना चाहिए, उन्हें समझाने का प्रयास किया जायेगा, जो कि अब तक नहीं हुआ है। अब आप लोग पूरी जानकारी के बाद स्वयं तय करें कि दोषी कौन है, सक्षम कौन था, गबन किसने किया, किसकी शह व समर्थन पर गबन किया गया। महामंत्री के पास न तो चेक थी, न पासबुक, बैंक हमारे घर से 10 किलोमीटर दूर हरिओम जी के घर के निकट है, मोबाइल नम्बर हरिओम जी का बैक में रजिस्टर्ड है। तो रमन सिन्हा ने क्या गलती की। आपलोग तय करें और आपलोग ही बतायें। आपलोग यह भी तय करे कि इस गुटबाजी का जिम्मेदार कौन है और किस कारणवश कायस्थ समाज के उत्थान के लिए गठित इस ट्रस्ट को समाप्त करने के लिये षडयंत्र रचा गया।
चित्रांश वेलफेयर ट्रस्ट मामले में संजीव सिन्हा ने अशोक श्रीवास्तव प्रमिला श्रीवास्तव समेत सभी १९ सदस्यों को दोषी बताया
चित्रांश वेलफेयर ट्रस्ट मामले में संजीव सिन्हा ने ट्रस्ट के सदस्यों पर गंभीर आरोप लगाए है उन्होंने राजस्थान से छपने वाले एक न्यूज़ पोर्टल को दिए पोस्ट में आरोप लगाए की ट्रस्ट में अशोक श्रीवास्तव प्रमिला श्रीवास्तव समेत सभी १९ सदस्यों को दोषी है क्योंकि उनके परिवार के लोग भले ही ४ थे लेकिन बाकी लोगो के भी २ लोग तो थे ही I उन्होंने ट्रस्ट के लोगो पर खर्च हुए पैसे का भी हिसाब नहीं देने का इलज़ाम लगाया है I जानिये संजीव सिन्हा ने अपने आरोपों ने क्या कहा है