गेस्ट आफ आनर विवाद : अखिल भारतीय महासभा के लिए कायस्थ समाज के लोगो की इच्छा की जगह अपने राष्ट्रीय महामंत्री की जिद ज्यदा महत्वपूर्ण रहेगी या संगठन की शुचिता बनाए रखना I
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा पारिया गुट के बडोदा सम्मलेन के बाद उठे विवादों का जो तूफ़ान उठा है उसमे अखिल भारतीय कायस्थ महासभा को चुप्पी साधने पर मजबूर कर दिया है I लेकिन इस चुप्पी से गेस्ट आफ आनर विवाद में आरोपी पति पत्नी के इस्तीफे का अब तक ना होना भी बड़े सवाल करता है I
दरअसल कायस्थ समाज ने जिस तरह से बड़ोदा सम्मलेन की फोटोज सोशल मीडिया में आते ही सवाल किये और इस प्रकरण में शामिल लोगो के इस्तीफे मांगे उसने abkm पारिया गुट को असहज कर दिया I लेकिन इस्तीफे की मांग को नकार कर अखिल भारतीय महासभा ने ये साबित कर दिया की नैतिकता , इमानदारी अब हमारे संगठनो के लिए कोई महत्व नहीं रखती है I
दरअसल अखिल भारतीय कायस्थ महासभा पारिया गुट के पैरोकारो ने जिस तरह से इस मामले में इस्तीफे के विरोध को हैंडल करने की नाकाम कोशिश की है उसने इस विवाद के बाद अखिल भारतीय कायस्थ महासभा का वर्षो पुराना स्वर्णिम इतिहास को शर्मशार किया है I विरासत को संभाल पाना हमेशा वर्तमान पीड़ी के लिए बड़ा सवाल होता है I लेकिन कानूनी दावपेचो के आधार पर हासिल की गयी सत्ता के मद अभाकाम के राष्ट्रीय महामंत्री शायद ये भूल गए है की समाज आपकी जिद को बर्दास्त तो कर लेता है लेकिन वक्त आने पर आपको पहचानने से भी इनकार कर देता है
अखिल भारतीय कायस्थ मह्सभा भी आज कुछ इसी मनोस्थिति का शिकार है I बीते दिनों कायस्थ वृंद ने जिस तरह से अखिल भारतीय कायस्थ मह्सभा के एक पद एक संगठन पर अपना विरोध दर्ज कराया है वो भी महासभा की गिरती साख की तरफ इशारा करता है I भले ही अखिल भारतीय कायस्थ मह्सभा एक शहर तक सिमटे किसी राजनैतिक संगठन के नेता से अपने पक्ष में कुछ भी लाबिंग करवा ले पर समाज के लोग बस यही सवाल पूछ रहे है की आखिर इतने सारे विवादों के बाद ये सब क्या है और क्यूँ अबतक इस्तीफे नहीं हुए है
अब देखना ये बाकी रहेगा की अखिल भारतीय महासभा के लिए कायस्थ समाज के लोगो की इच्छा की जगह अपने राष्ट्रीय महामंत्री की जिद ज्यदा महत्वपूर्ण रहेगी या संगठन की शुचिता बनाए रखना I