भरमौर के चौरासी मंदिर में भगवान चित्रगुप्त से जानें , आपने कितने पाप या पुण्य कियें है
क्या आप जानना चाहते हैं कि इस जीवन में आपने कितने पाप किये हैं या पुण्य ? क्या आप मनीमहेश की यात्रा पर जाने वाले हैं? तो बस फिर आप सब देख सकते हैं उत्तर भारत में भरमौर चंबा से 64 किलो मीटर दूरी पर बसा है। जहां पर भगवान धर्मराज का शिवलिंग स्थापित है। इसके सामने ही भगवान चित्रगुप्त अपनी बही लेकर बैठे हैं।
लोग हजारों नहीं लाखों की संख्या में हर साल मनीमहेश की यात्रा करते हैं। बस भागते हुए आते हैं चले जाते हैं माहत्मय को नहीं जानते हैं। स्वामी सरस्वती सर्वज्ञ सर्वानंद जी महाराज़ ने बात करने पर बताया कि वो मनीमहेश की यात्रा पर जा रहे थे। भरमौर में रात रहे वहां लोगों से बातचीत की तो मनीमहेश यात्रा के बारे में जाना तो पहले हम अपने अनुयायियों के साथ ब्रहमाणी माता के दर्शनों को चले गये। वहां पर स्नान किया तो लगा कि वास्तव में विधान ठीक ही है। ब्रहमाणी माता के कुंड का पानी कितना ठंडा था? कुछ बता नहीं सकते हैं। उसके बाद हम नीचे आये तो शाम को एक गददी चेले से आगे का हाल जानना चाहा तो उसने अपनी भाषा में बताया कि आपको आगे जाने की आज्ञा नहीं है?
हम हैरान थे ऐसा क्यों? हम भगवान को मानने वाले लोग हैं सन्यासी हैं। बाद में बातों बातों में पता चला कि भरमौर चौरासी में महाराज धर्मेश्वर महाराज यानि धर्मराज का मंदिर है। हम ने वहां जाकर माथा टेका तो लछिया राम ने बताया कि सामने ही भगवान चित्रगुप्त अपनी बही लेकर बैठे हैं जो पाप व पुण्य का हिसाब लिखते हैं। अगर आप सामने ध्यान लगाकर बैठ जाओ तो कुछ ही क्षणों में आपको सब दिख जायेगा।
स्वामी जी ने बताया कि मन में जानने का जनून जागा और सुबह ही स्नान कर मैं अपने दस लोगों के साथ वहां जाकर बैठ गया। अब सबसे हैरानी की बात थी। कि ऑंखें बंद करते ही चलचित्र ऑंखों के सामने घुमने लगा। हैरानी से मन व दिल पर गैहरा प्रभाव पड़ा। दूसरों ने क्या अनुभव किया नहीं जानता? लेकिन जो जीवन भर मेहनत कर कमाया था उसे देख कर मन डोल उठा? लगभग 2000 पृष्ट लिखे जा चुके हैं। जिनमें पुण्य कम दिखा पाप अधिक बस यहीं से लौट कर आ रहे हैं। जीवन में पहली बार यर्थाथ का अनुभव हुआ? स्वामी जी ने बताया कि धन्य हैं भरमौर में रहने वाले। वो युग पुरूष नागा बाबा जी महाराज जिन्होंने सब कुछ देख कर वहां पर धुना लगाया था।
भरमौर आकर जिंदगी के सच को जाना। स्वामी जी ने बताया कि भरमौर 1500 वर्षों से पुराना नगर है। जहां पर आज भी आना जाना कठिन है उस जमाने में किस प्रकार लोगों ने इतनी सजीव अष्ट धातु की कलात्मक मूर्तियों का निर्माण क्षेत्र में किया होगा। सोच कर हैरानी होती है। भरमौर में सब ठीक है इतने लोग आते हैं उन्हें भरमौर के बारे में सही जानकारी नहीं मिलती है। हिन्दू धर्म के लोगों को इन बातों को जानना चाहिये। धर्मराज के मंदिर के बारे में कहा जाता है कि महाराज ब्रहमलीन मूर्ति नागा बाबा जी को देश में कोई बड़ी दुर्घटना होती थी तो पहले ही पता चल जाता था। कारण था धर्मराज का मंदिर तथा भगवान चित्रगुप्त का लेखा जोखा।
आप भी भरमौर आकर अपने द्वारा किये गये पाप व पुण्य का पता लगा सकते हैं । बस सुबह जल्दी उठ कर निर्मल मन से उनके सामने बैठने की हिम्मत करें सब राज खुल जायेंगें।
स्वर्ण दीपक रेैणा(नवोत्थान लेख सेवा, हिन्दुस्थान समाचार)लेखक हिन्दुस्थान समाचार से जुडे हैं।