एक प्रमुख सामाजिक संगठन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष ने भी आज कायस्थ खबर से इन सब घटनाओं को मात्र मह्त्वाकांशी लोगो की आपस की लड़ाई मात्र करार दिया जिसका उनके संगठन के उपर कोई प्रभाव ना पड़ने की बात कही थी कायस्थ खबर ने जब इस बाबत काल्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव से बात की तो वो भी अभी तक उनके साथ होने का दावा तो करते नजर आये लेकिन खुल कर कुछ भी कहने से इनकार कर दिए I गौरतलब है की चुनावों के बाद से ही राजपा और काल्स से अलग होने वाले लोगो की संख्या बदती ही जा रही है I यहाँ तक की पहले काल्स के एक उपक्रम के तोर पर चलने वाला एक कायस्थ पोर्टल(कायस्थ खबर नहीं ) अब स्वतंत्र रूप से चल रहा है ऐसे में एच एस खरे अगर जाते हैं तो ये मनोज श्रीवास्तव के लिए भी एक बड़ा धक्का होगा इधर कायस्थ खबर ने जब कायस्थ वृन्द के मुख्य समन्वयक धीरेन्द्र श्रीवास्तब से उनका पक्ष लेना चाहा तो वो कमेन्ट के लिए उपलब्ध नहीं हो सके I देर रात या कल तक जैसे भी उनका पक्ष इस घटनाक्रम पर कायस्थ खबर को मिलेगा हम उसे भी प्रकाशित करेंगे I धीरेन्द्र श्रीवास्तव खुद भी चाहे तो अपना पक्ष हमें भेज सकते हैकायस्थ खबर सर्वे में अपने नेता को ज़रूर वोट करने के लिए यहाँ क्लिक करें
एच एस खरे ने कायस्थ वृन्द के ग्रुप से किया लेफ्ट, नए संघठन से जुड़ने बाद काल्स और कायस्थ वृन्द बाहर जाने के लगे कयास
कायस्थ खबर ब्यूरो I कायस्थसमाज में एक बार फिर से संगठनो में उठा पटक का दौर शुरू हो गया है I अभी तक कायस्थ वृन्द के सह मुख्य समन्वयक और चित्रांश लोक सेवा समाज के जरनल सेकेट्री रहे एच एस खरे ने एक और कायस्थ संगठन से जुड़ने के बाद इसके संकेत देने शूरू भी कर दिए है I
आज शाम एच खरे ने कायस्थ वृन्द के एक ग्रुप को छोड़ दिया जिसके बाद ये कयास लगाए जाने लगे की जल्द ही खरे कुछ और भी ग्रुप छोड़ देंगे क्या ? हालांकि आज सुबह ही कायस्थ खबर से बातचीत में एच एस खरे ने बताया थी की इस नए संगठन के जरिये वो कोशिश करंगे की सभी छोटे संगठन इसमें मर्ज हो जाए या फिर एक बड़े संगठन के सामने अस्तित्वहीन होकर खुद ही बंद हो जाए I लेकिन कायस्थ खबर के पूछने पर की क्या वो काल्स को भी इसमें मर्ज कर देंगे उन्होंने स्पस्ट जबाब नहीं दिया I
हालांकि एच एस खरे अब तक खुद कायस्थ वृन्द के सह समन्वयक के तोर पर भी जुड़े हुए हैं , जिसके मुताबिक़ संगठनों को बिना उनके अस्तित्व को समाप्त किये सामहिक नेतृत्व की अवधारणा पर जोर दिया जाता है लेकिन एच एस खरे जिस तरह के लगातार छोटे संगठनो को मर्ज कर रहे हैं उससे कायस्थ वृन्द की अवधारण को भी धक्का लगता है I
ऐसे में एच एस खरे की कायस्थवृन्द के ग्रुप छोड़ना शुरू करना एक समीकरण की शुरुवात भी हो सकता है या फिर इसके मतलब ये भी निकाले जा सकते है की एच एस खरे अब सामूहिक अवधारणा की अपनी पुरानी विचारधारा की जगह एकाधिकार की नयी निति पर चलना शुरू कर दिए है I