?पहला खंड समझौते एवं मिलन का हनीमून काल समाप्त हो चुका है।
2013 मे SDM कोर्ट मे श्री ए॰ के॰ श्रीवास्तव जी पर गबन का आरोप पारिया मंडली ने लगाया था, और उसी आरोप के आधार पर SDM कोर्ट ने पारिया मंडली के पक्ष मे निर्णय सुनाया था। जबकि उस समय भी श्रीवास्तव जी ने इसे निराधार और स्वार्थवश लगाया गया आरोप बताते हुये पाँच लाख सुरक्षित रहने की बात कह रहे थे। आरोप और कालिमा से आहत श्रीवास्तव जी को उच्च न्यायालय मे जाने के लिए बाध्य होना पड़ा था। किसी के जेब से पैसे खर्च हुए तो किसी ने चंदे की रकम से केस लड़ा। आखिर इस पब्लिक मनी का दुरुपयोग क्योंकर हुआ? इस रकम से समाज के अन्य कार्य किए जा सकते थे।अब प्रश्न संख्या- अब आज किन परिस्थितियों मे यह समझौता हुआ है? क्या अब पारिया कमिटी ने यह मान लिया है कि श्रीवास्तव जी ने गबन नहीं की थी? या इस आरोप को ठंढे बस्ते मे डाल दिया गया है अथवा आरोप को वापस ले लिया गया है, समाज यह जानना अवश्य चाहेगा।
- अगर गबन नहीं की थी तो क्या पारिया कमिटी ने अखिल भारतीय कायस्थ महासभा मे शीर्षर्थ पदाधिकारी बनने के लोभ से वशीभूत होकर ही ऐसा किया था?
- करीब करीब तीन साल यानि महासभा का एक कार्यकाल समाप्त हो चुका है। मनोनयन के आधार पर चल रहे संगठन पदाधिकारियों की जगह अब दूसरे नए पदाधिकारी बनाए जाने की बारी थी, तो क्या यह मिलन करके अगले कार्यकाल मे यथावत बने रहने की चाल तो नहीं है?
- पारिया कमिटी को विगत तीन सालों का महासभा मे कार्य एवं आय-व्यय का ब्योरा प्रमाण सहित समाज के पटल पर रखनी चाहिए, जिसे जानने का हक पूरे कायस्थ समाज को है। ताकि श्री सारंग गुट को भी लेखा-जोखा देने के लिए बाध्य किया जा सके।
- पारिया कमिटी के पदाधिकारी अपने कार्यकाल मे दना-दन कई हवाई यात्राएं की। ये यात्राएं किनके द्वारा प्रायोजित थी और क्यों?
- इस तीन साल के कार्यकाल मे अगर कोई बड़ी उपलब्धि समाज के लिए हासिल की होगी तो सविस्तार बताना चाहिए।
- पारिया कमिटी के सभी पदाधिकारी को 2014 से 2017 तक (पूरे कार्यकाल का) का संपत्ति का विवरण देंना चाहिए। यह प्रश्न CBI (Community bureau of Investigation) का है। (आदरणीय योगी जी एवं मोदी जी सहित उनके मंत्रिमंडल के सभी पदाधिकारियों ने इस प्रक्रिया का अनुपालन किया है। बदले हुये परिवेश मे यह जरूरी भी हो गया है। अब आदमी से भरोसा इस कदर उठ गया है कि अपनी सही पहचान भी आधार कार्ड से होती है। )
- आपके कार्यकाल मे कुछ लोगों को कायस्थ रत्न बनाया गया था। इसके लिए क्या मानदंड तय किए गए हैं। कायस्थ रत्नो की सूची उपलब्ध कराएं ताकि वे जब कभी किसी क्षेत्र मे जाएँ तो वहाँ के युवा, कायस्थ रत्न के बायोडेटा, बनने के तौर-तरीके / कोर्स के बारे मे एवं उस विश्व विद्यालय का नाम, जहां से यह डिग्रियाँ मिलती है, को जान सकें, प्रेरित हो सकें एवं कायस्थ रत्नो का यथोचित सम्मान हो सके।
?अब दूसरा खंड
श्री कैलाश ना॰ सारंग जी 1998 से अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुये हैं। अबतक उन्होने कई काम किए होंगे। कुछ पब्लिक डोमेन मे हैं भी। लेकिन परदे के पीछे उन्होने जितनी कारस्तानियां की है (समाज की आवाज) उसकी सूची मे क्या-क्या हैं, कायस्थ समाज उसे भी जानना चाहेगा।महत्वपूर्ण बातें जो प्रकाश मे आई हैं उसकी झलकियाँ-- दिल्ली मे कायस्थ समाज के सहयोग से एक बड़ी भूखंड (प्लॉट) खरीदी गयी है। उसकी वर्तमान स्थिति क्या है?
- प्रेरणा भवन के निर्माण के लिए कितनी सहयोग राशि ईकट्ठी की गयी है और उसकी वर्तमान राशि क्या है और किस स्थिति मे है।
- जैसा कि समाज को पता है कि प्रेरणा भवन (मंदिर) का निर्माण आपके द्वारा निर्मित ट्रस्ट के माध्यम से होना है, तो "प्रेरणा भवन" का निर्माण कार्य करने से आपको किसने रोका है? (अभी इतना ही)
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