सिद्धार्थ नाथ सिंह पर इस्तीफे का दबाब इसलिए भी ज्यदा है क्योंकि वो एक महान नेता के नाती है जिसमे रेल मंत्री रहते हुए महज एक रेल हादसे पर अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था । लेकिन बदले दौर की राजनीती में जब घोटालो और अपराधो में दोषी होने के बाद भी इस्तीफे ना देने का चलन हो तो सिर्फ सिद्धार्थ नाथ सिंह से ऐसी उम्मीद बेमानी हैक्या सिद्धार्थ नाथ सिंह का इस्तीफ़ा समस्या का समाधान है ? कायस्थ खबर ने जब इस मुद्दे की गहराई से छानबीन की तो इसमें कई पहलु सामने आये जिसमे सिद्धार्थ नाथ सिंह का स्वास्थ्य मंत्रालय पर सीधे तोर पर नियंत्रण ना होना तो है लेकिन इस विशेष मुद्दे पर सवाल ये भी है की gorkhpur के इस अस्पताल में जब 9 तारीख को ही मुख्यमंत्रीयोगी आदित्यनाथ विशेष दौरे पर थे तो वहां के प्रिंसिपल , वहां के डाक्टर से इन मुद्दे पर कोई आवाज़ क्यूँ नहीं उठाई । क्या ६९ लाख रूपए के बिल के पैंडिंग होने के कारण की जिस आक्सीजन की सप्लाई रोकी गयी उसकी भी असलियत किसी ने जान्ने की कोशिश की ? कायस्थ खबर के इस पर कुछ सवाल -
- आखिर ये ६९ लाख रूपए का बिल कितने महीनो का है ?
- पुरानी सरकार में अगर इसके पीछे कोई दबाब था तो नै सरकार में ३ महीनो से अस्पताल प्रबंधन इसको क्यूँ नहीं अदा कर पाया ?
- अगर अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी थी तो उन्होंने 9 तारीख को ही मुख्यमंत्री के सामने इसे क्यूँ नहीं बताया ?
- क्या इस सम्बन्ध में अस्पताल प्रबंधन ने कोई जानकारी स्वास्थ सचिव या मंत्री को देने की कोशिश की ?
- अगर नहीं तो क्या अस्पताल प्रबन्धन और डाक्टर भी किसी गोरखधंधे के खेल में शामिल है ?