वैदिक ज्योतिष गणना – ग्रहों की ताकत की – निखिलेश माथुर
गणना - ग्रहों की ताकत की
वैदिक ज्योतिष के पाठक अक्सर यह प्रश्न करते हैं कि ग्रहों कीु ताकत ( basic strength) आंकने का क्या formulae (तंत्र) है।
ज्योतिष में कई तरीके हैं जिनसे तजुर्बेकार ज्योतिषी यह तुरंत पता लगा लेतें हैं कि फलाना गृह मजबूत है या कमजोर।
प्रश्न यह है कि कितना मजबूत या कितना कमजोर?
इस लेख में इसी से सम्बंधित एक तरीका समझाने की कोशिश कर रहा हूँ। कृपया ध्यान से पढ़ें।
प्रथम तो यह जान लें कि हर ग्रह कुंडली के हर घर के लिये न तो सामान रूप से मजबूत होता हे और न ही सामान रूप से कमजोर। यानि की हर गृह की कुंडली के हर घर के लिए अलग-अलग strengths और weaknesses होती हैं। तभी तो एक ही अंतर्दशा में कुछ कार्य जल्दी से सुकून के साथ निपट जाते हैं और कुछ कार्यों में ऐड़ी-चोटी का दम लगाने पर पूर्णता आती है, और कुछ मे तो इसके बावजूद भी नतीजा सिफर के आस-पास ही रह जाता है।
ऐसा क्यों?
क्योंकि वही कुछ ग्रह उन कार्यों के लिए, उनके focus house के लिए कमज़ोर होते हैं। वही ग्रह अन्य घरों के लिए वह ताकतवर (strong) होते हैं।
तो कैसे जाना जाये कौन किसके लिए कितना मजबूत है?
किसीे भी तरह की गणना अगर अंको के आधार पर की जाती हो और अगर strengths & weaknesses numeric figures ( अंकों ) में आंकी जा सके तो विश्लेषण करने वाले को उसका सही माप बता देती है। यानि अगर उदहारण के तौर पर हम यह कहें कि लग्नेश की strength सप्तमके लिए 10 है और दशम के लिए 14 तो हम यह जान लेंगे की उक्त कुंडली में लगन का स्वामी दसवे भाव के लिए ज्यादा मजबूत है बनास्पत सातवें भाव के। यानि लग्नेश की अंतर्दशा में दसवे भाव वाले कार्य ज्यादा शीघ्र होने की संभावना रखेंगे।
तो अब विद्यार्थियों का वाजिब प्रश्न होगा कि यह 10 या 14 या कोई भी अंक आएंगे कहाँ से?
तो बता दूँ की यह अंक हम सर्वाष्टक वर्ग(Ashtakvarg chart) से derive करेंगे
जानकार पाठकों को इस chart की तो खूब पहचान होगी ही।
अब प्रश्न है कि यह derive कैसे करेंगे?
इसका आसान तरीका यह है कि विद्यार्थी किसी भी उदाहरणीय कुंडली के हर भाव से आठवां भाव (A), खुद वही भाव (B),और खुद वही भाव (B) से पांचवे भाव (C) के स्वामी लिख कर एक chart बना लें।
कृपया दोबारा समझें।
B यानि जिस भाव के बारे में ग्रहों की strength जाननी हो वह भाव (Focus house)।
A यानि B से आठवे का स्वामी ( Lord of 8th the from Focus house).
C यानि उक्त भाव A से दसवां भाव या भाव B से पांचवां भाव का स्वामी।
ऐसे समझें कि अगर हमें कुंडली के सातवें भाव के लिए सभी ग्रहों की basic strength निकालनी हो तो यहाँ :
A हुआ 2nd house का स्वामी (सातवें से आठवे का स्वामी),
B हुआ 7th house का स्वामी (Lord of Focus house), और
C हुआ 11th house का स्वामी (10th from A or 5th from B)
उपरोक्त चार्ट बनने के पश्चात् कुंडली का अष्टकवर्ग तालिका को देखें। अब हर घर के लिए A,B,C जो हैं (आपके बनाये chart में ) उनके अंक उस घर के आगे लिख लें। यानि कुंडली के हर भाव के लिए उस भाव के A,B,C ग्रहों के अंक लिख लें। अष्टकवर्ग तालिका में हर गृह के हर भाव के लिए कोई अंक लिखा होगा। यह शुन्य से लेकर 8 तक हो सकता है ( these Bindus are any one between zero to eight).
अब A+B+C को जोड़ लें। गणितीय एवम ज्योतिषिय मान से यह अधिक से अधिक 24 हो सकता है।
अब यह माने की जिस भाव में जिस गृह के लिए यह जोड़ 12 या उससे अधिक हो रहा हो तो वह गृह उस भाव के लिए strong होगा। यहाँ हम 12 इसलिए ले रहे क्योंकि यह maximum possible बिन्दुयों (24) का आधा है।
अगर जोड़ का अंक कम है तो उस घर के लिए वह गृह कम मजबूत होगा। जितने अंक ज्यादा उतना ज्यादा मजबूत, जितने अंक कम उतना कम मजबूत। Average strength 12 मानें।
इस विधि से ज्योतिष के विद्यार्थी हर भाव के लिए हर ग्रह की मूल ताकत मालूम कर सकते हैं। मगर ध्यान रहे की इस विधि से ग्रहों की संपूर्ण strength नहीं निकलेगी। सिर्फ़ Basic Strength का पता लगेगा, सिर्फ मूल ताकत।
ग्रहों की संपूर्ण strength को derive करने के लिए तो बाकी औऱ factors को calculations में शामिल करना होगा। जैसे की उन पर दृष्टियां, उनके भाव की स्थिती, व् अन्य ज्योतिषिय योग।
इसका जिक्र फिर किसी और समय करेंगे क्योंकि सीखना हम सबको बहुत है और step by step सीखने में ही समझदारी है।