कायस्थ खबर डेस्क I चुनावी उथल पुथल के बीच कायस्थों के लिए सारा समीकरण पटना साहिब में जाकर बैठ गया है I देखा जाए तो दिल्ली, यूपी, बिहार और राजस्थान में कुल मिलाकर बीजेपी ने एक कायस्थ को टिकट दिया है वो है पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद I ऐसे में एक सामान्य चर्चा ये होनी चाहए की पटना साहिब के कायस्थों के लिए ये एक मौका होना चाहए की वहां से रविशंकर प्रसाद को ऐतिहासिक जीत दिलाकर बीजेपी को एहसास कराये है की हम भी उनके साथ है I
लेकिन ४ राज्यों में सिर्फ एक सीट पर टिकट पाए कायस्थ समाज के लोग क्या वाकई इससे खुश है ? क्या वाकई पटना साहिब में बीजेपी के कायस्थ मतदाता इसका समर्थन कर रहे है ?
इसके लिए कायस्थ खबर ने जब ज़मीनी पड़ताल शुरू की तो इसमें कई मतभेद और पेच नजर आये I ज़मीनी गणित के हिसाब से पटना साहिब में मुकाबला कायस्थ बनाम कायस्थ नहीं है बल्कि पटना साहिब में मुकाबला अब कायस्थ बनाम सुशील मोदी है I पटना साहिब की गलियों में हो रही बातें इसी और संकेत दे रही है
दरअसल पटना साहिब सीट परम्परागत तोर पर कायस्थों की सीट रही है , यहाँ के लगभग ६ लाख के करीब कायस्थ मतदाता ही इस सीट पर जीत हार तय करते रहे है I ऐसे में इस सीट के बन्ने के बाद से ही शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी के सीट पर विजयी होते रहे है I लेकिन २०१९ आते आते जब शत्रुघ्न सिन्हा का इस सीट पर बीजेपी से टिकट का ना मिलना एक दम साफ़ हो गया तो इस सीट फिर सही कायस्थ उत्तराधिकारी की खोज शुरू हुए और यही से शुरू हुई राजनीती की नयी बिसात
असल में इस सीट पर शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ सबसे दमदार प्रत्याशी के तोर पर अगर कोई दावा थोक रहे थे तो वो बीजेपी से ही राज्य सभा सांसद रहे आर के सिन्हा I आपको बता दें की आर के सिन्हा लगभग २०१५ से इस सीट पर ना सिर्फ तैयारी कर रहे थे बल्कि कायस्थों में देश भर में एक सर्वमान्य कायस्थ नेता के तोर पर भी जाने जा रहे है I आर के सिन्हा की यही लोकप्रियता बस सुशील मोदी को खटक गयी है I पटना में अपने आगे किसी की भी राजनीती को ना पनपने देने के लिए जाने वाले सुशिल मोदी ने ऐसा चक्रव्यू ह की रचना की, कि आर के सिन्हा का ना सिर्फ टिकट कटा बल्कि उनकी जगह बीजेपी में ३ बार के राज्यसभा सांसद रविशंकर प्रसाद जैसे कद्दावर नेता को उतार कर सुशील मोदी ने साबित कर दिया की बिहार में वो किसी और को बढ़ने नहीं देंगे I
पटना साहिब की कायस्थ जनता बस इसी खेल से अब सुशील मोदी और बीजेपी से नाराज है I लोगो को ये लगने लगा है की सुशील मोदी ने अपनी पिछड़े की राजनीती की हवा बनाये रखने की लिए आर के सिन्हा के राजनैतिक कैरियर की बलि ले ली है I पटना साहिब के कायस्थ अब इसे कायस्थ समाज का अपमान भी मान रहे है I
समाज के प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के दोनों ही गुट इस समय शांत भले ही दिहाई दे रहे है पर वय्व्हारिक तोर पर रविशंकर प्रसाद के साथ नहीं खड़े है I हालत इस कदर ख़राब है की आर के सिन्हा के साथ हुए अन्याय से आक्रोशित १० में से ७ कायस्थ इस समय बीजेपी के खिलाफ वोट डालने को तैयार है I सबका एक ही कहना है की
रविशंकर तुमसे बैर नहीं पर सुशील मोदी तुम्हारी खैर नहीं I
असल में यही से आकर पटना साहिब का चुनाव बदल रहा है अब चुनाव कायस्थ सवर्ण बनाम पिछड़ा में बदल रहां है I जिसमे बीजेपी से ही निकाले जा चुके शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर इस गणित में फायदे में जा रहे है I कायस्थों की सहानभूति का सीधा फायदा शत्रुघ्न सिन्हा को मिल रहा है I कांग्रेस के टिकट पर कांग्रेस और राजद का पारम्परगत वोट तो उनको मिल ही रहा है लेकिन उसमे लगभग ३ लाख कायस्थ वोट जुड़ जाने से स्थिति एक दम पलट जा रही है I
देखा जाए रविशंकर प्रसाद की जाती वादी छवि का ना होना भी उनके लिए मुश्किल खडी कर रहा है I पटना साहिब में रविशंकर प्रसाद खुद को हिन्दू तो बता रहे है पर कायस्थ कहने में हिचकिचा रहे है I वो डर रहे है की कहीं उन पर जातिवादी होने का ठप्पा ना लग जाए I लेकिन बिहार के जातिवादी मोहोल में कायस्थों को रविशंकर प्रसाद का कायस्थों मूल्यों और परम्पराओ का जिक्र ना करना उनसे मोड़ दे रहा है
ऐसे में जब शत्रुघ्न सिन्हा खुल कर चुनाव में उतरेंगे तो किसका पलड़ा भारी होगा ये रिजल्ट ही बताएगा I क्या कायस्थ बनाम पिछड़ा (सुशील मोदी ) की लड़ाई कायस्थ जीत जाएगा या हार जाएगा
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