कायस्थों को शुद्र कहिए या एस सी एस टी में डाल दीजिए फर्क नही पड़ता मगर डर इस बात से लगता है कि आने वाली पीढ़ी अम्बेडकरवाद की राह ना पकड़ ले।
उत्तरप्रदेश में कायस्थ समाज को ओबीसी में रखने का बीजेपी का प्रस्ताव निंदनीय है और उत्तरप्रदेश के कायस्थों को बीजेपी का विरोध करना चाहिए साथ ही उसे आश्वासन दीजिये की हम बिना लालच के भी उसके साथ है।
आज कायस्थ समाज सुभाषचंद्र बोस और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों का समाज है क्या आप चाहेंगे कि यहाँ राजनीति का फायदा उठाकर हार्दिक पटेल पैदा हो जाये?
और ये निश्चित होगा जैसे ही कायस्थों को आरक्षण की बीमारी लगेगी हार्दिक पटेल जैसे नालायक यहाँ भी पैदा होंगे। इसलिए भूखे रह लीजिये मगर आरक्षण स्वीकार मत कीजिए। यह वो बुराई है जो समाज को पंगु बना देगी।
लेखा जोखा करने के आगे व्यापार पर बल दीजिये व्यापार ना हो तो विदेशों की जुगाड़ कीजिये मगर आने वाली पीढ़ी को अम्बेडकरवाद में पड़ने से बचाइए।
"कायस्थ ब्राह्मणवादी है" मैं कहूंगा यह बयान लाख गुना बेहतर है बजाय की हम आरक्षण की भीख मांगे और हमारे बच्चे जय भीम बोले। हमे ब्राह्मणों और क्षत्रियो से कोई शिकायत नही है और यदि है भी तो इसे आपसी वार्ता में निपटाया जाएगा ना कि पिछड़ा बनकर।
ज्ञातव्य हो भारत मे जब राजा महाराजाओं का शासन था तो प्रधानमंत्री और सेनापति के बाद रखे वित्तमंत्री के आसन पर सदियों से हम ही विराजमान रहे है। चाहे वो राजा किसी भी जाति का हो, हमारा पद और सम्मान सदैव रहा है।
अब रही बात सरकारी नौकरी की तो कायस्थों को प्रोग्रेसिव होना ही होगा। जो जल बहाव में नही बहता वो कीचड़ बन जाता है पिछले 75 वर्षों में हजारों परिवर्तन आये है एक परिवर्तन और ही सही। त्याग दीजिये सरकारी नौकर बनने की जिद।
हिन्दुओ का हित बीजेपी में है अतः आप भी बीजेपी को ही वोट दीजिये और उत्तरप्रदेश में जो लोग कायस्थ समाज के अध्यक्ष है वे अपनी सरकार पर दबाव बनाए और आरक्षण की भीख ना ले।
हम आरक्षण के बिना भी योग्य है और योग्यता का गवाह इतिहास है, इसके अलावा कायस्थ अपने बच्चों पर ध्यान रखे वे ऐसी कोई बात ना करे जिसमे कायस्थ होने का अहंकार छिपा हो जो कि अन्य जातियों में दिखाई देता है।
कायस्थों का इतिहास है कि हमने इस देश को सदा ही मुंशी प्रेमचंद, हरिवंशराय बच्चन, बाला साहेब और नवीन पटनायक जैसे हीरे दिये है हमारे यहाँ हार्दिक पटेल और प्रकाश अम्बेडकर जैसी गंदगिया पैदा नही होती। ध्यान रहे यह गंदगी तब ही जन्म लेगी जब कायस्थ अपने कायस्थ होने पर घमण्ड करना शुरू कर देंगे।
हमे अपना स्टेटस मेंटेन रखना है देश या हिन्दू धर्म हमें क्या दे रहा है वो मायने नही रखता हम देश और धर्म को क्या देते है उसी से इतिहास हमारा आंकलन करेगा। सिखों ने देश को बहुत कुछ दिया मगर जब से उसका हिसाब दिखाने लगे हमने देखा कि उनका तो उनका गुरुओं का सम्मान भी समाज की नजर में गिर गया।
वैसे मुझे खुशी है कि कायस्थों ने इस निर्णय का विरोध ही किया है फिर भी इतना लंबा ज्ञान लिखना आवश्यक था और एक कायस्थ होने के नाते मेरा कर्तव्य भी।
तीसरी बार रिपीट कर रहा हु मुझे पिछड़ी जाति और शूद्र वर्ण से कोई विरोध नही है डर सिर्फ इस बात का है कि कोई जातिवादी नेता पैदा ना हो जाए जो कायस्थ समाज को अम्बेडकरवाद के अंधेरे की ओर ले जाये।
जय कायस्थ जय भारत
परख सक्सेना