2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की पिछले साल के अंतिम महीनों से ही चर्चा चल रही है , लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल में विस्तार देख डॉ. संजय जायसवाल भी ऐसे ही विस्तार की अपेक्षा करने लगे है । जायसवाल ने अपने समानांतर खड़े हो रहे मोर्चों को साधने के लिए अंतिम कोशिश करते हुए 9 मार्च को राज्य के 45 सांगठनिक जिलों के जिलाध्यक्ष घोषित कर दिए है इसको एक बार फिर उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने की घोषणा माना जा रहा है लेकिन बिहार की राजनीति को समझने वाले कहते है कि संजय जायसवाल चाहे कितना भी जोर लगा लें उनका जाना तय है ।
ऐसे में पटना के बांकीपुर विधायक और पूर्व मंत्री नितिन नवीन के नाम की चर्चा तेजी से चल रही है
प्रदेश में नित्यानंद राय के प्रदेश अध्यक्ष बनने के दौरान सुशील मोदी लगातार प्रभावशाली रहते थे और सुशील मोदी के रहते बिहार में कायस्थों के राजनीतिक उद्धव पर हमेशा ग्रहण लगा रहता था । लेकिन 2020 के बाद सुशील मोदी के केंद्र में जाने बाद बिहार में जाति से अलग एक साफ चेहरे को लाने की कवायद बीजेपी में चल रही है । जिसमे नितिन नवीन फिट बैठ रहे हैं ।
नितिन नवीन के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा तेज, रवि शंकर प्रसाद निभा सकते है भूमिका
बिहार में बहुत दिनों बाद किसी कायस्थ नेता के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा तेज हो गई है । नितिन नवीन कायस्थ जाति से हैं, जिसका प्रभाव पटना समेत 20 शहरों में विधानसभा सीटों पर है। बिहार में जाति की राजनीति को छोड़ने के लिए भाजपा ले लिए नितिन नवीन उपयुक्त चेहरा है । बिहार में कायस्थ समाज को मुख्यता जातीय अभिमान वाली पार्टी नही माना जाता है ऐसे नितिन नवीन को यह कुर्सी नहीं देने पर भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन अगर उनको अध्यक्ष बनाया जाता है तो गठबंधन की जातीय राजनीति को बड़ा धक्का लगेगा । नितिन नवीन के पक्ष में पूर्व केंद्रीय मंत्री व पटना से सांसद रवि शंकर प्रसाद इस सीट पर प्रभावी हो सकते हैं। सुशील मोदी का भाजपा में कमजोर होना भी नितिन को फायदा दे सकता है ।
कौन है नितिन नवीन सिन्हा ?
नितिन नवीन सिन्हा बिहार के बाकीपुर से विधायक है । वह दिग्गज भाजपा नेता नवीन किशोर सिन्हा के बेटे हैं। वह बांकीपुर से 4 बार विधायक हैं। उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में लगभग 84,000 वोटों से जीत हासिल की। पिछले चुनाव में उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को भारी अंतर से हराया था। पुष्पम प्रिया चौधरी भी इस चुनाव में भारी अंतर से हार गईं। फिलहाल बह भाजपायुमो के प्रदेश अध्यक्ष है
आर के सिन्हा से नितिन नवीन की राजनीतिक खटास का भी पड़ सकता है असर
हालांकि नितिन नवीन का बिहार भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है लेकिन पटना से ही महत्वपूर्ण कायस्थ नेता आरके सिन्हा के साथ बीते कुछ सालों में नितिन नवीन की खटास उनको नुकसान भी दे सकती है 2019 के चुनाव में टिकट ना मिलने पर नाराज आर के सिन्हा ने कुछ बातों को लेकर नितिन नवीन के खिलाफ एफ आई आर भी दर्ज करा दी थी ।
ऐसे में क्या आरके सिन्हा उन बातों को भुलाकर नितिन नवीन के पक्ष में लॉबिंग करने में कामयाब रहेंगे या फिर एक बार फिर किसी युवा कायस्थ के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर पहुंचने में कोई कायस्थ ही रोक लगा देगा इस बात की संभावना इसलिए भी मानी जा रही है कि आर के सिन्हा के पुत्र रितुराज सिन्हा भी केंद्रीय कार्यसमिति में महत्वपूर्ण पद पर मौजूद हैं और लगातार चुनावों में अपना प्रभाव बना रहे हैं ऐसे में बिहार की राजनीति में प्रदेश अध्यक्ष पद पर नितिन नवीन की चर्चा बहुत हो रही है संभावनाओं को ना तो नकारा जा रहा है और ना ही दावे से कहा जा रहा है लेकिन अगर भाजपा, विपक्ष के महा गठबंधन की जातीय राजनीति को समाप्त करना चाहेगी तो बिहार में एक बार नितिन नवीन का प्रदेश अध्यक्ष बनना तय है