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केवल चर्चा, सिर्फ संवाद, कायस्थ खबर परिचर्चा एवं संवाद २०१५ मे हुई कल-आज-कल की बात

रोहित श्रीवास्तव।। किसी भी राजनीतिक या गैर-राजनीतिक (सामाजिक) आयोजन के बाद लोगो के मन मे एक जिज्ञासारूपी प्रश्न जरूर रहता है कि “ संदर्भित आयोजन से क्या (निष्कर्ष) निकल कर आया”? कौन सी महत्वपूर्ण बातें भविष्य की दशा और दिशा निर्धारित कर सकती हैं। गौरतलब है कि रविवार, 5 जुलाई 2015, को कायस्थ खबर द्वारा नोएडा के एक्स्पो सेंटर मे एक परिचर्चा एवं संवाद का आयोजन किया गया था जिसमे कायस्थ समाज के विभिन्न घटको ने भाग भी लिया। बात चाहें राजनीतिक प्रत्निनिधित्व की हो, या सामाजिक और संगठनीय स्तर के नेत्रत्व की, या फिर देशभर के सम्मानीय चित्रांशों की जिन्होने अपने कार्य-क्षेत्रों मे उत्कृष्टता दिखाई है, इस परिचर्चा एवं संवाद मे सभी लोग मौजूद थे।

परिचर्चा एवं संवाद से निकल कर आए कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु :-

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा की भूमिका पर हुई विस्तृत चर्चा एकेबीएम कायस्थों की सबसे पुरानी संस्था है जिसकी स्थापना 1887 मे हुई थी। खुद स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद जिसके अध्यक्ष रह चुके हैं उस एकेबीएम के कार्यो पर कायस्थ खबर द्वारा आयोजित इस परिचर्चा एवं संवाद मे विस्तृत रूप मे चर्चा हुई।  चर्चा के दौरान जब संवाद मे शामिल वक्ताओ से पूछा गया कि “क्या एकेबीएम की विफलता ने ही देशभर मे इतनी सारी छोटी-बड़ी कायस्थ संस्थाओ को जन्म लिया है तो अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के ही डॉ अरविंद श्रीवास्तव ने जवाब दिया कि नहीं ऐसा नहीं है, हाँ लेकिन हम एकेबीएम को री-स्ट्रक्चर करने मे लगे हैं जिसमे खास कर आप जैसे (रोहित श्रीवास्तव (परिचर्चा के संचालक) की और इशारा करते हुए) युवाओ को मौका देना चाहते हैं।  वहीं इस प्रश्न का जवाब देते हुए कायस्थ खबर के संयोजक श्री ए सी भटनागर ने कहा कि ‘हाँ आपकी बात सच हो सकती है पर आपको एक बात समझनी पड़ेगी कि आज के और पहले के संसाधनो मे अंतर है पहले नौकरीपेशा आदमी (चित्रांश) समाज के लिए बहुत कम समय निकाल पता था। कई वक्ताओ ने श्री भटनागर की बात का समर्थन करते हुए कहा कि आज वही (चित्रांश) सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपना योगदान दे सकता है। कायस्थ महिलाओ की समाज और देश मे भागीदारी को लेकर हुई चर्चा  परिचर्चा एवं संवाद मे कायस्थ महिलाओ की समाज मे सहभागिता और भागीदारी पर हुई चर्चा। परिचर्चा के संचालक श्री धीरेन्द्र श्रीवास्तव के एक प्रश्न का जवाब देते हुए अधिवक्ता श्रीमति माधवी देवा ने भी भी स्वीकारा कि वर्षो से समाज मे महिलाओ की सीमित भागीदारी रही है जिसे बढ़ाने की आवश्यकता है। आपको बता दें संवाद मे श्रीमति देवा के अलावा बीजेपी की वरिष्ठ नेता और स्व: श्री लालबहादुर शास्त्री की पुत्रवधू श्रीमति नीरा शास्त्री, डॉ रेणु वर्मा, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा महिला संभाग की जिलाध्यक्ष श्रीमति किरण श्रीवास्तव, कायस्थ खबर की संचालिका  श्रीमति रूपिका भटनागर, श्रीमति अल्पना भटनागर, श्रीमति कविता सक्सेना, श्रीमति रत्ना सिन्हा कायस्थ-महिला-शक्ति का प्रत्निनिधित्व करती दिखी। कायस्थ मे एकता के होने के कारणो पर हुई लंबी बहस कायस्थों की एकता का विषय वर्षो से (कायस्थ) समाज के लिए चर्चा का विषय रहा है। संवाद और परिचर्चा मे भी (परिचर्चा के संचालक रोहित श्रीवास्तव का) प्रश्न यही था कि आज तक यह विषय ‘चर्चा’ मे ही रह कर क्यों रह गया है? हम (कायस्थ) अभी भी एक क्यों नहीं हो पाए। संवाद मे सबसे वरिष्ठ और अनुभवी ए सी भटनागर के साथ सभी ने एक स्वर मे (बिना समय लिए, मुसकुराते हुए) यही कहा कि ‘कायस्थों का अहम ही एकता मे सबसे बड़ा बाधक है’। हमे इस‘अहम’ को हराना होगा तभी हम ‘कायस्थ-एकता’के मिशन पर जीत हासिल कर सकते हैं। कायस्थ महापुरुषों को लेकर हुई चर्चा इस परिचर्चा एवं संवाद मे कायस्थ महापुरुषों को याद करने के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बॉस और लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौतों के खुलासो के लिए (सोशल मीडिया) आंदोलन पर बात हुई जिससे सरकार पर इससे जुड़ी फाइलों को उजागर करने का दबाव बनाया जा सकें। कायस्थ शिरोमणि श्री रवीन्द्र किशोर सिन्हा के साथ केवीपी के अध्यक्ष श्री पंकज भैया ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद को विशेष रूप से याद किया। युवा चित्रांशों की राजनीति मे भूमिका और व्यापार क्षेत्र में सम्भावनाओ पर हुई  kayasthakhabar-paricharcha2    गौरतलब है कि कायस्थ खबर द्वारा आयोजित इस परिचर्चा मे    काँग्रेस के अनुभवी और कद्दावर नेता, मथुरा से विधायक श्री प्रदीप     माथुर भी शामिल हुए। उन्होने ऐसे (कायस्थ खबर की परिचर्चा    एवं संवाद) आयोजनो को आज की जरूरत बताते हुए कहा ऐसे आयोजन देशभर मे होने चाहिए। उन्होने कहा ऐसे आयोजन कहीं     भी होंगे ‘मैं जरूर शामिल हुंगा’। उन्होने चित्रांश युवाओ को राजनीति मे आने के लिए प्रेरित करते हुए कहा ‘हमारे बच्चो को   राजनीति मे आना चाहिए, पार्टी वह अपनी विचारधारा के अनुसार    चुने’ । उन्होने कहा उन्हे (चित्रांश युवाओ को) टिकट दिलाने के लिए हम (उत्तर प्रदेश के चुनाव की ओर इशारा करते हुए) अपनी पार्टी के अलावा    मुलायम, माया और अन्य राजनीतिक दलो से भी  बात करेंगे।  
श्री माथुर ने एक प्रश्न के जवाब मे कहा कि भविष्य मे अखिल   भारतीय कायस्थ महासभा के कार्यक्रमों की सूचना देशभर मे चल रही सभी कायस्थ संस्थाओ को दी जाएंगी।    
कायस्थ शिरोमणि श्री रविन्द्र किशोर सिन्हा ने व्यापार क्षेत्र मे सलाह के तौर पर कहा कि अक्सर लोगो के इस क्षेत्र मे असफल होने का महत्वपूर्ण कारण यह होता है कि ‘वह’ बोनस खाने की बजाए ‘कैपिटल-पूंजी’ ही खा जाते है। वहीँ नॉएडा चित्रगुप्त सभा के अध्यक्ष श्री राजन श्रीवास्तव ने कहा हमें किसी भी कारोबार (व्यापार) को धीरे-धीरे छोटा से बड़ा बढ़ाना चाहिए, इस मुद्दे पर 'व्यापार सत्र' में शामिल अन्य वक्ता श्री विपिन भटनागर. श्री संजीव सक्सेना, श्री प्रशांत सिन्हा भी सहमत दिखे जिन्होंने कायस्थो को प्रेरित करने के लिए अपनी-अपनी 'बिजिनेस-कहानी' लोगो के सामने रखी. सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर हुई चर्चा संवाद के सभी वक्ताओ का मानना था कि वर्तमान मे सोशल मीडिया     कायस्थ-एकता मे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है   और भविष्य मे आगे भी यह एक ब्रिज के रूप मे काम करता    रहेगा। कायस्थ विकास परिषद के श्री पंकज भैया एवं आप पार्टी     से जुड़े श्री संजीव निगम ने इसके महत्व को विस्तार मे     समझाया। दहेज और सामूहिक विवाह पर हुई चर्चा परिचर्चा के संचालक और कायस्थ वृंद के समन्वयक श्री धीरेन्द्र श्रीवास्तव के एक प्रश्न का जवाब देते हुए कायस्थ शिरोमणि एवं एसआईएस ग्रुप के मुखिया श्री रवीन्द्र किशोर ने पटना के आदि मंदिर मे सामूहिक विवाह के (आयोजन संबंधी) प्रबंधों को लोगो के सामने रखा। उन्होने कहा कोई भी वहाँ जाकर दहेज-रहित विवाह कर सकता है। उन्होने दहेज को समाज के लिए अभिशाप बताया। उन्होने कहा ऐसे दहेजरहित सामूहिक विवाहो का आयोजन अब हमे पटना और जयपुर के बाद दिल्ली जैसे बड़े शहरों मे करने होंगे।  कायस्थ शिरोमणि श्री सिन्हा का नेता के रूप मे स्वीकृति kayasthakhabar-paricharchaपरिचर्चा के दौरान जब संचालक श्री रोहित श्रीवास्तव ने यह प्रश्न बार-बार उठाया कि ‘क्या यह सच है कि वर्षो से कायस्थों को एक केंद्रीय नेत्रत्व की कमी खली है जिसके पीछे समाज एक पंक्ति मे चल सके? यही नहीं, एक कदम आगे जाते हुए उन्होने श्री सिन्हा से पूछा कि क्या आप खुद को इस किरदार मे देखते हैं? क्या आप इस दायित्व को संभालने के लिए तैयार हैं? श्री सिन्हा न इसका जवाब मुसकुराते हुए दिया ‘देखिये मैं कायस्थ समाज का सेवक हूँ, और समाज की सेवा करता भी रहूँगा, पर रही बात ‘नेत्रत्व’ की तो आप मे से ही कई लोग (संगठन) मेरे विरोध मे खड़े हो जाएंगे।   हालांकि सभागृह मे मौजूद चित्रांशों से यह जब प्रश्न किया कि क्या आप श्री सिन्हा को अपना‘नेता’ मानने के लिए तैयार है तो सभी ने एकजुटता दिखाते हुए मे‘हाथ उठा’कर इस बात पर अपनी सहमति जताई। आखिरी मे निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है शायद ही इस तरह का आयोजन कायस्थ-समाज मे वर्षो मे पहली बार हुआ है जहां केवल और केवल मुद्दों पर बात हुई। संवाद के रास्ते लोगो ने अपने और अपने संगठनो के विचारो को एक-दूसरे से साझा किया। कई ऐसी बाते निकली जिसने भविष्य की रणनीति बनाने के लिए ‘नींव’ रखी, और अब ऊमीद है कि इस नींव पर ‘कायस्थ एकता की इमारत’ धीरे-धीरे बेशक पर जल्द ही खड़ी होगी।    

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