अतुल श्रीवास्तव। केपी ट्रस्ट के इलेक्शन नजदीक आ गए चर्चाओं, बहसों, और अफवाहों का बाजार गर्म है, चुनाव की तिथि भी 25 दिसंबर 2023घोषित हो गई है तो आइए आज फिर केपी ट्रस्ट को जानते है, और क्या क्या चल रहा है ट्रस्ट में ?
क्या होता है केपी ट्रस्ट मे, क्या है चुनावी मुद्दे ?
वैसे तो आम कायस्थ और न्यासी ट्रस्ट में क्या चल रहा है जान ही नहीं पाते है। केपी ट्रस्ट यानी कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट जिसको स्थापना मुंशी काली प्रसाद कुलभास्कर ने अपना सर्वस्व अर्पण करके की थी जिसमे महादेव प्रसाद जी ने अपनी सारी प्रॉपर्टी दान दे दी थी कि इससे कायस्थ बच्चो का भविष्य सुधरेगा जो एशिया की सबसे बड़ी एजुकेशन ट्रस्ट है। उन्होंने इसे कभी व्यवसाय नही बनने दिया लेकिन धीरे धीरे इसके अध्यक्ष पद की लड़ाई अहम और पैसे की लड़ाई बन गई और इसके अध्यक्ष और कार्यकारिणी के चुनाव में करोड़ों रुपए खर्च होने लगे, हर न्यासी और आम कायस्थ के मन में ये सवाल उठने लगे आखिर इतना पैसा क्यों खर्च होता है और प्रत्याशी क्यों खर्च करते है। आखिर लाभ क्या है ? केपी ट्रस्ट के पास प्रयागराज एवं उत्तर प्रदेश के कई जनपद एवम बिहार मे बेशकीमती जमीनें है जिनकी कीमत अरबों रुपए है और इनका क्रय विक्रय होता रहता है।
केपी ट्रस्ट चुनावो मे जनता का प्रमुख मुद्दा विधवा पेंशन का है जो दो हजार नौ में सौ रुपए से दो सो पचास हुई फिर पांच सौ विगत तेरह वर्षो में उसमे कोई सुधार नहीं किया गया, और फंड की कमी का रोना रोया जाता है। सदस्यता शुल्क भी ११०रुपए से बढ़ाकर ११०० रुपए कर दिया गया । उसके बाद ढेरो कायस्थों को सदस्यता देने पर ना नुकार किया जाता है। लोग भटकते रहते है, कायस्थ बच्चो को पाठशाला में हॉस्टल नही मिलता है वो इधर उधर भटकते रहते है, ट्रस्ट के बने हुए विवाहघर में कायस्थों को कोई रियायत नहीं मिलती है और अमूमन तो उन्हे मिलता ही नहीं है दुकानें भी दूसरे समुदाय के लोगो को अलॉट की जाती है। कायस्थों के लिए कोई स्वास्थ शिविर नही आयोजित किया जाता है।
स्मरण रहे कि केपी ट्रस्ट में लगभग ३२ हजार सदस्य है जिनमे काफी लोगो की मौत हो चुकी है उसको आजतक अपडेट नही किया गया है उनके स्थान पर गैर बिरादरी के सदस्य वोट डालते है। जहा आज गांव गांव तक मोबाइल और नेट है वहा ट्रस्ट के सदस्यों की सूची तक ऑनलाइन नही है कि वो देख सके कि कहा से कितने और कौन कौन सदस्य है।
ट्रस्ट से जुड़े लोगो का कहना है आज किडजी जैसी संस्था पूरे देश में फेल गई वही केपी ट्रस्ट को डेढ़ सौ साल से ज्यादा होने के बाद भी प्रयागराज में ही कोई इंजियरिंग कालेज, कोई अस्पताल या कोई सामजिक कार्य नही कर पाई। सबसे बड़ा मुद्दा ट्रस्ट की जमीन पर मस्जिद बनने का है इसको विपक्ष बहुत जोर शोर से उछाल रहा है, रंजीत सिंह स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में भी कुछ विवाद है लेकिन चौधरी जी के समर्थक इसकी पूर्व अध्यक्ष टीपी सिंह के सिर मढ रहे है । सत्ता के इस रुख से बहुत से न्यासी दुखी और असंतुष्ट दिख रहे है और वो बदलाव के पूरे मूड में भी दिख रहे है।
कौन कौन है मैदान मे ?
तो अब आते है मुद्दे पर मतलब इस बार चुनाव पर, इसबार के चुनाव में चार प्रत्याशी अध्यक्ष पद के लिए मैदान में है पिछले दो कार्यकाल से चौधरी जितेंद्र नाथ जी अध्यक्ष है, इस बार उनके भाई चौधरी राघवेंद्र नाथ जी प्रत्याशी है दूसरे प्रत्याशी है डॉक्टर सुशील सिन्हा जी जो पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर थे तीसरी प्रत्याशी है पूर्व महामंत्री धीरेंद्र श्रीवास्तव की धर्मपत्नी श्रीमती रत्न श्रीवास्तव और चौथे प्रत्याशी है प्रवीण कुमार श्रीवास्तव उर्फ टार्जन।
फिलहाल चारो ही लोगो के बीच कड़ा मुकाबला वर्तमान में दिखाई दे रहा है जैसा कि अभी तक ज्ञात हुआ है, विपक्ष लगातार ढेरो आरोप वर्तमान अध्यक्ष पर लगाता रहा है कि परिवार का कब्जा ट्रस्ट पर जमीनों की बिक्री मनमानी करना आदि, कई ट्रस्टी सदस्यता पर भी आरोप लगाते है कि ट्रस्ट में गैर कायस्थों को सदस्य बनाया गया है जबकि कायस्थ यदि सदस्यता की बात करते है तो उन्हे कोठी पर आने के लिए बोल दिया जाता है पांच साल में सिर्फ सात दिनों के लिए सदस्यता ओपन की जाती है उसमे भी कई तरह की बाधाए डाली जाती है। इसलिए वर्तमान अध्यक्ष की जगह उनके भाई को भी लोग कोठी का ही प्रत्याशी मानकर विरोध ओर समर्थन कर रहे है I
दूसरी तरफ डॉक्टर सुशील सिन्हा को इस बात विपक्ष के सभी लोगो का समर्थन प्राप्त है पिछले चुनाव मे वो दूसरे स्थान पर रहे थे इसलिए वो इस चुनाव में महत्वपूर्ण जगह बनाते जा रहे है । लोग उनके सौम्य व्यक्तित्व के लोग कायल है ओर पिछली बार विपक्ष के कई विरोधी भी उनका ही समर्थन कर रहे हैं । सुशील इस चुनाव में सदस्यता ऑनलाइन और पेंशन बड़ाने जैसे वादे कर रहे है जिसको मतदाता गंभीरता से ले रहे है
तीसरी प्रत्याशी पूर्व मे विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी ओर पूर्व महामंत्री धीरेंद्र श्रीवास्तव की पत्नी श्रीमती रतन श्रीवास्तव है I चतुर रणनीतिकार कहे जाने वाले धीरेंद्र श्रीवास्तव ने इस बार 33% महिला आरक्षण का कार्ड खेलते हुए अपनी पत्नी को ही अध्यक्ष पद के लिए उतार दिया है। उनका दावा है कि परंपरागत धनी प्रत्याशियों और सत्ता की दावेदारी करते रहे परिवारों की जगह इस बार आम महिला को अध्यक्ष बनने से कायस्थों की समस्याएं दूर हो सकती हैं I ओर वो पारंपरागत भोज ओर बुलावे की जगह साधारण चुनाव लड़ कर जीत कर दिखाएंगे I
चौथे प्रत्याशी प्रवीण कुमार श्रीवास्तव भी लोगों से इस चुनाव में उनका ही अध्यक्ष बनने के दावे कर रहे हैं किंतु सत्ता, विपक्ष और महिला के कार्ड के बाद उनके साथ कौन हैं इसकी तस्वीर अभी तक साफ नहीं हुई है उनके बारे में कहा जा रहा है कि वह विपक्ष के वोट काटने के लिए हैं खड़े किए गए हैं किंतु इस बात का साक्ष्य कोई देने को तैयार नहीं है।
ऐसे में मुकाबला दिनों दिन रोचक होता जा रहा है किंतु परिणाम तो छब्बीस दिसंबर को ही पता लगेगा कि किसका पलडा भारी था। किन्तु हम आपको इस चुनाव से संबंधित अन्य अपडेट देते रहेंगे I इस चुनाव अगर आपके पास कोई भी जानकारी है तो हमे kpTrustelection@kayasthkhabar.com पर मेल कर सकते है I कायस्थ खबर के समाचार सीधे व्हाट्सआप पर पाने के लिए आप हमारे whatsapp चैनल को https://whatsapp.com/channel/0029VaAr0VB3GJP1FlFvyz1D को फालों कर सकते है