डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जन्मस्थली पर अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय का भूमिपूजन
दी सिचुएशन एंड डेवेलोपमेंट फाउन्डेशन के अंतर्गत भारतीय जागर्ति मंच ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री डा राजेन्द्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादई मे में राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा ने आज एक समारोह मे भाग लिया जहा उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय का भूमिपूजन किया। उनके साथ सांसद ओमप्रकाश यादव जी भी थे। कार्यक्रम मे डा राजेन्द्र प्रसाद के बारे मे बताते हुए आर के सिन्हा ने कहा कि अभी संविधान पर देषभर में चर्चायें हो रही हैं। डा0 राजेन्द्र प्रसाद ही संविधान सभा के अध्यक्ष थे और उन्होंने जिन 24 उप-समितियों का गठन किया था, उन्हीं में से एक ‘‘मसौदा कमेटी’’ के अध्यक्ष डा0 भीमराव अम्बेडकर थे। उनका काम 300 सदस्यीय संविधान सभा की चर्चाओं और उप-समितियों की अनुषंसाओं को संकलित कर एक मसौदा (ड्राफ्ट) तैयार करना था जिसे संविधान सभा के अध्यक्ष के नाते डा0 राजेन्द्र प्रसाद स्वीकृत करते थे। फिर वह ड्राफ्ट संविधान में शामिल होता था। संविधान निर्माण का कुछ श्रेय तो आखिरकार देशरत्न डा0 राजेन्द्र प्रसाद को भी मिलना ही चाहिए।
अगर बात बिहार की करें तो वहां गांधीजी के बाद राजेन्द्र प्रसाद ही सबसे बड़े और लोकप्रिय नेता थे। गांधीजी के साथ ‘राजेन्द्र प्रसाद जिन्दाबाद’ के भी नारे लगाए जाते थे। लंबे समय तक देश के राष्ट्रपति रहने के बाद भी राजेन्द्र बाबू ने कभी भी अपने किसी परिवार के सदस्य को न पोषित किया और न लाभान्वित किया।
राजेंद्र प्रसाद भारतीय सभ्यता देश के एकता का मूल तत्व मानते थे। राजेन्द्र बाबू को देश के गांवों में जाना पसंद था, इसीलिए राजेन्द्र बाबू देश के राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद पटना जाकर रहने लगे । उसी कमरे में रहते हुए राजेन्द्र बाबू की 28 फरवरी,1963 को मौत हो गई। आज ये अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय उनको हम सबकी तरफ से एक श्रन्धान्जली है जिसमे सभी सुविधाए होंगी I