करगिल युद्ध के दौरान युद्ध क्षेत्र में भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलट गुंजन सक्सेना, जिसको हमने भुला दिया
कायस्थ खबर डेस्क I 17 साल पहले करगिल युद्ध के दौरान युद्ध क्षेत्र में भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलटों को भेजा गया था। फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना और फ्लाइट लेफ्टिनेंट श्रीविद्या राजन पहली बार लड़ाकू जेट विमानों से उड़ान भर रही थीं, वो भी एक ऐसे क्षेत्र में जहां, पाकिस्तानी सैनिक बुलेट और मिसाइलों से भारतीय हेलिकॉप्टर और एयरक्राफ्टों को देखते ही निशाना बना रहे थे। उनके छोटे चीता हेलिकॉप्टर में कोई हथियार नहीं था और दुश्मनों की गोलीबारी से अपना बचाव भी नहीं कर सकता था। और उस समय, अपने पुरुष समकक्षों की तरह, इन दो युवा महिला सैनिकों ने उत्तरी कश्मीर में 1999 के करगिल युद्ध के दौरान खतरे से भरे इलाके में दर्जनों उड़ानें भरीं।
उन दिनों भारतीय वायुसेना में महिला पायलट बिल्कुल नई थीं और ऐसी एक धारणा बनी हुई थी कि उन्हें अपने पुरुष सहकर्मियों के बराबर खुद को साबित करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होती है।
गुंजन और श्रीविद्या ने उस समय शानदार ढंग से प्रदर्शन किया। ये दोनों पायलट इस विश्वास के साथ घायलों को बचाकर निकालने और करगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी पॉजिशंस को पहचानने की चुनौती के बीच अक्सर पाकिस्तानी पॉजिशंस के बेहद करीब से उड़ान भरती थीं कि वे पाकिस्तानी गनर्स की रेंज से दूर हैं। एक बार तो गुंजन का हेलिकॉप्टर करगिल की हवाई पट्टी पर तैनात था और तभी उन पर सीधा हमला हुआ। एक पाकिस्तानी सैनिक ने संभवत: रॉकेट या कंधे के सहारे दागी जाने वाली मिसाइल सीधे उनके एयरक्राफ्ट पर दाग दी। पाकिस्तानी सैनिक का निशाना चूक गया और वह (रॉकेट या मिसाइल) गुंजन व उनके एयरक्राफ्ट के पीछे पहाड़ी पर जाकर फट गया। इससे वह बिल्कुल भी विचलित नहीं हुईं। गुंजन ने किसी भी मिशन के लिए उनके साथ रहने वाली एक पूरी तरह से भरी हुई इंसास राइफल और एक रिवॉल्वर के साथ अपनी परिचालन उड़ान को जारी रखा। पाकिस्तानी आर्मी पोजिशन के पास क्रैश लैंडिंग होने की स्थिति में वह इस मुसीबत से बाहर आने के लिए ठीक उसी तरह से लड़तीं, जिस तरह से उस समय करगिल में तैनात भारतीय सेना में शामिल उनका भाई लड़ रहा था।
आज 17 साल के बाद, गुंजन कहती हैं कि करगिल के दौरान भारतीय सेना के घायल जवानों को सुरक्षित निकालकर लाना उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा थी। उन्होंने कहा, 'एक हेलिकॉप्टर पायलट होने के नाते मेरे विचार में यह सवश्रेष्ठ भावना होती है। हताहतों की निकासी वहां पर हमारी मुख्य भूमिकाओं में से एक थी। मैं कहना चाहूंगी कि जब आप किसी की जिंदगी बचाते हैं तो यह बेहद संतोषजनक भावना होती है, आखिर इसी काम के लिए तो आप वहां पर हैं।'
भारतीय वायु सेना में युवा महिलाओं को जो अवसर अब मिल रहे हैं, वैसे अवसर फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना को कभी नहीं मिले। एक शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी के रूप में उनका कार्यकाल सात साल के बाद समाप्त हो गया, लेकिन भारतीय वायुसेना के साथ उसका जुड़ाव कभी खत्म नहीं हुआ। क्योंकि उन्होंने भारतीय वायु सेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर के पायलट से शादी कर ली। गुंजन कहती हैं महिला पायलटों को अब वायुसेना में स्थायी कमीशन मिल रहा है और यह प्रशंसनीय कदम है। वे कहती हैं, 'मुझे लगता है कि लड़ाकू दस्तों में महिलाओं को शामिल करना वायुसेना का एक बहुत बड़ा और सकारात्मक कदम है। अग्रणी होने के नाते मैं कहना चाहती हूं कि यह खबर सुनकर बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे उम्मीद है कि लड़ाकू दस्ते में शामिल होने वाली यह महिलाएं वास्तव में अपना 100 प्रतिशत देंगी और सही मायनों में आसमान की ऊंचाइयों को छुएंगीं।
input:ndtv